677 शुद्धिकरण के दौरान परमेश्वर से प्रेम कैसे करें
शुद्धिकरण के दौरान ईश्वर से कैसे प्रेम करे इंसान?
1
इसे ईश-प्रेम के संकल्प संग स्वीकारो।
इस दौरान तुम दुखी होते अंदर से। लगेगा जैसे दिल पर छुरी चल रही हो।
पर अपने प्रेम से तुम ईश्वर को संतुष्ट करने को तैयार हो,
तुम देह की फिक्र नहीं करते। यही ईश-प्रेम के अभ्यास के मायने हैं।
यही अभ्यास है शुद्धिकरण के दौरान।
ईश-प्रेम को बुनियाद बनाकर, शुद्धिकरण से तुम ईश्वर के करीब आओगे,
तुम उसके अंतरंग बन जाओगे।
2
तुम आहत हो, दर्द तुम्हारा गहरा है, फिर भी तुम प्रार्थना करते हो, कहते हो:
"हे ईश्वर, मैं छोड़ न पाऊँ तुझे। है अंधकार मेरे भीतर,
पर ये भी सच है कि मैं संतुष्ट करना चाहूँ तुझे।
हे ईश्वर, तू मेरे दिल को जाने। तू अपना प्रेम और अधिक मुझमें भर दे।"
यही अभ्यास है शुद्धिकरण के दौरान।
ईश-प्रेम को बुनियाद बनाकर,
शुद्धिकरण से तुम ईश्वर के करीब आओगे, तुम उसके अंतरंग बन जाओगे।
3
शुद्धिकरण में, इंसान शैतानी ताकतों का शिकार बने।
ऐसे में तुम ईश्वर से कैसे प्रेम करो?
इच्छा पैदा करो, ईश्वर को अपना दिल अर्पित करो,
अपना शेष जीवन उसे दे दो।
वो जैसे चाहे तुम्हारा शोधन करे,
ईश-हृदय को सुख देने, सत्य पर अमल करो, ईश्वर को खोजो, संगति करो।
शायद तुम अपना काम अच्छे से न कर पाओ,
पर यही तुम कर पाओ, ये सब ईश-प्रेम की ख़ातिर है।
लोग चाहे जो सोचें, सही हैं इरादे तुम्हारे,
तुम दंभी नहीं, क्योंकि तुम ईश्वर की तरफ़ से कार्य करते।
यही अभ्यास है शुद्धिकरण के दौरान। ईश-प्रेम को बुनियाद बनाकर,
शुद्धिकरण से तुम ईश्वर के करीब आओगे, तुम उसके अंतरंग बन जाओगे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल शुद्धिकरण का अनुभव करके ही मनुष्य सच्चे प्रेम से युक्त हो सकता है से रूपांतरित