156 परमेश्वर के लिए मेरा प्यार कभी नहीं बदलेगा
1
एक विनम्र इंसानी शरीर में, वह धैर्य से काम करता है,
लेकिन इंसान का प्यार हासिल करना मुश्किल है।
जीवन भर कठिनाई का सामना किया,
कौन जानता है कि कितना दर्द वह सहता है,
हवा और बारिश के बीच भटकते हुए।
अनगिनत वचन कहे हैं उसने,
दिल के टुकड़े हो जाने की हद तक फ़िक्र की है उसने।
दशकों से वह इंसान को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
दशकों से वह इंसान को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
2
परमेश्वर के वचन से,
सत्य को समझता हूं, जानता हूं कि कैसा होना चाहिए मुझे।
परमेश्वर के वचनों से देखा है मैंने सब कुछ।
उसका सत्य है सबसे क़ीमती, उसका सत्य है अनमोल।
कब मैं परमेश्वर के दिल को, उसके प्यार को समझ पाऊंगा,
ताकि मैं दे सकूं उसे थोड़ा दिलासा?
3
परमेश्वर को देता हूं अपना दिल मैं,
चुकाता हूं उसका प्यार।
जब तक चलती हैं मेरी सांसें,
तब तक रहूंगा परमेश्वर का वफ़ादार मैं।
ईमानदारी से पूरा करूंगा अपना कर्तव्य मैं,
परमेश्वर की गवाही देने,
उसकी महिमा करने के लिए अंतिम पीड़ा सहूंगा मैं।
परीक्षण और विपत्तियां जितनी भी बड़ी हों,
परमेश्वर से प्यार सबसे सार्थक चीज़ है।
उसके वचन मेरे दिल को जीतते हैं,
उसकी आज्ञा का पालन करने की मेरी इच्छा अडिग है।
उसके वचन मुझे शुद्ध करते हैं,
परमेश्वर के लिए मेरा प्यार बदलेगा कभी नहीं,
उसके वचन मुझे शुद्ध करते हैं,
परमेश्वर के लिए मेरा प्यार बदलेगा कभी नहीं।