770 परमेश्वर आशा करता है कि मनुष्य उसे पूरे दिलो-दिमाग और क्षमता से प्रेम करे
1
ईश्वर के चुने लोगों में उसका काम लगभग हो गया,
अब उसका क्रोध दिखेगा आपदाओं के ज़रिये, लेकिन वो खुद न दिखेगा।
आपदा झेलेंगे लाल अजगर के देश में सभी, और दुनिया की कलीसिया भी।
तथ्य आएँगे सामने, कोई न बचेगा, ईश्वर की यही है योजना।
आपदा के सामने, इंसान कुछ सोच न सके और।
ईश्वर का आनंद लेना होगा मुश्किल, तो प्रेम करो उससे देर होने से पहले।
ईश्वर की है आशा कि पूरे दिल से, मन और शक्ति से प्यार करो तुम उसे,
वैसे ही जैसे प्यार करते तुम अपनी ज़िंदगी से।
क्या नहीं है यह एक सार्थक जीवन?
2
जब यह तथ्य बीत जाये, ईश्वर लाल अजगर को हराए,
ईश्वर के लोगों की गवाही का अंत हो जाए।
इसके बाद, काम का दूसरा चरण ईश्वर शुरू करेगा,
लाल अजगर के देश का विनाश करेगा।
दुनिया के लोगों को क्रूस पर उल्टा लटकाएगा,
फिर वो इंसान को तबाह कर देगा।
ईश्वर के काम के अगले चरण हैं ये।
शांति के इस समय तुम्हें प्रेम करना चाहिए उसे।
ईश्वर की है आशा कि पूरे दिल से, मन और शक्ति से प्यार करो तुम उसे,
वैसे ही जैसे प्यार करते तुम अपनी ज़िंदगी से।
क्या नहीं है यह एक सार्थक जीवन?
3
भविष्य में, ईश्वर से प्रेम का नहीं मिलेगा कोई मौका,
क्योंकि इंसान उसे बस देह में प्रेम कर सके।
जब वे रहेंगे दूसरी दुनिया में, ईश्वर से प्रेम की न होगी कोई बात।
क्या यह एक प्राणी का फर्ज़ नहीं? तो कैसे करोगे जीते-जी प्रेम उससे?
क्या उससे प्रेम करने को मौत का इंतज़ार है तुम्हें? क्या ये खोखली बातें नहीं?
आज, ईश्वर को प्रेम करने की कोशिश क्यों नहीं करते तुम?
ईश्वर की है आशा कि पूरे दिल से, मन और शक्ति से प्यार करो तुम उसे,
वैसे ही जैसे प्यार करते तुम अपनी ज़िंदगी से।
क्या नहीं है यह एक सार्थक जीवन?
4
और कहाँ मिल सकता तुम्हें अर्थ जीवन का? हो कितने अंधे?
क्या प्रेम करना चाहो ईश्वर से? तो क्या करना चाहिए तुम्हें?
बेहिचक, बेखटके प्रेम करो तुम उसे,
देखो कि जिन्हें वो पूर्ण करे, क्या वे सच में उससे प्यार करें?
फिर जान जाओगे तुम इच्छा ईश्वर की।
ईश्वर की है आशा कि पूरे दिल से, मन और शक्ति से प्यार करो तुम उसे,
वैसे ही जैसे प्यार करते तुम अपनी ज़िंदगी से।
क्या नहीं है यह एक सार्थक, सार्थक जीवन?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 42 से रूपांतरित