301 मैं रखूँगा दिल में तुझे, हमेशा के लिए

1

तू मेरे साथ है, हर एक मौसम में।

देख तेरा तनहा ये रुख, दिल में उठता है ग़मों का सैलाब।

मैंने बांटा कभी ना ग़म तेरा, और न जाना तेरी तन्हाई।

सुनकर भी तेरी गुज़ारिश हर बार, मैं हूँ ज़िद से भरा।

सदा दुखाता हूँ दिल, और करता हूँ नाउम्मीद।

सिर्फ पाकर ही सज़ा, सिर्फ पाकर ही सज़ा।

तेरे संग रहकर भी, नहीं हूँ सच्चा हमसफ़र।

नहीं मुझमें अहसास कोई, ना मैं समझा, तेरी मुश्किलें।


2

हवस-ओ-ख्वाहिश के लिए, भूला नीति और सच्चाई भी।

और पछताया जब, तेरा दिल तोड़ चुका था मैं।

मुझे ग़म का भी अहसास नहीं, तेरे दर्द के गहराई की।

बदी के दर्द से कराहते, फैलाये लालची हाथ भीख के लिए।

किसमें है ज़मीर और अहसास कि बाँट ले, परेशानी तेरी?

तू है सबसे रहमदिल, प्यार है अनमोल और सच।

कौन है सुन्दर तुमसे भी, और तुमसे बढ़कर सम्मानित!

तेरे संग-संग मैं रहूँ सदा, बन जाऊं तेरी परछाईं।

तेरे संग-संग मैं रहूँ सदा, बन जाऊं तेरी परछाईं।

तू है सबसे रहमदिल, प्यार है अनमोल और सच।

कौन है सुन्दर तुमसे भी, और तुमसे बढ़कर सम्मानित!

तेरे संग-संग मैं रहूँ सदा, बन जाऊं तेरी परछाईं।

तेरे संग-संग मैं रहूँ सदा, बन जाऊं तेरी परछाईं।

ख़ुशी और सुख सदा, तेरे चेहरे पर दिखे।

मेरा दिल तेरा आशियाँ, हो सदा के लिए।

ख़ुशी और सुख सदा, तेरे चेहरे पर दिखे।

मेरा दिल तेरा आशियाँ, हो सदा के लिए।

रहे मेरे दिल में तू, सदा के लिए।

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