975 नए युग की आज्ञाओं का अर्थ बहुत गहरा है
1
नए युग की आज्ञाएँ बहुत गहरी हैं।
वे दिखाएँ ईश्वर सच में दुनिया में आएगा,
वो जीतेगा पूरी कायनात को,
देह में अपनी पूरी महिमा प्रकट करेगा।
व्यावहारिक काम के ज़रिये चुने हुओं को पूर्ण बनाएगा।
अपने वचनों से इस धरा पर सब-कुछ पूरा करेगा,
और ये प्रकट करेगा कि देहधारी ईश्वर ऊँचा उठता है,
ताकि इस दुनिया के सभी लोग, सभी देश,
ईश्वर के आगे घुटने टेकें, जो महान है।
नए युग की आज्ञाएँ प्रतीक हैं कि
ईश्वर और इंसान नए स्वर्ग और धरती में हैं।
जैसे यहोवा ने इस्राएलियों के बीच, यीशु ने यहूदियों के बीच किया,
वैसे ही ईश्वर धरा पर अधिक व्यावहारिक, महान काम करेगा।
2
भले ही इंसान को नए युग की आज्ञाओं का पालन करना है,
भले ही यह उसका कर्तव्य और दायित्व है,
पर उनके द्वारा दर्शाया गया अर्थ इतना गहरा है
कि चंद लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं किया जा सके।
नए युग की आज्ञाएँ, पुराने और नए विधान के उन नियमों की जगह लें,
जो यहोवा और यीशु के आदेश से थीं।
जान लो यह सबक है बहुत गहरा, इतना गहरा जितना इंसान सोच न सके।
नए युग की आज्ञाएँ प्रतीक हैं कि
ईश्वर और इंसान नए स्वर्ग और धरती में हैं।
जैसे यहोवा ने इस्राएलियों के बीच, यीशु ने यहूदियों के बीच किया,
वैसे ही ईश्वर धरा पर अधिक व्यावहारिक, महान काम करेगा।
3
नए युग की आज्ञाएँ, इस नए युग की
आज्ञाएँ, हैं अर्थपूर्ण व्यावहारिक ढंग से।
वे जोड़ें राज्य और अनुग्रह के युग को,
वे करें अंत पुराने युग के नियमों और तरीकों का।
वे इंसान को अधिक व्यावहारिक ईश्वर के सामने लायें
ताकि वो व्यक्तिगत रूप से उन्हें पूर्ण कर सके।
आज्ञाओं से पूर्णता का पथ शुरू होता है।
तो समझो कि इन्हें तुम्हें मानना है, तुच्छ नहीं समझना,
तो सही रवैया रखो, अच्छे से पालन करो।
नए युग की आज्ञाएँ ज़ोर देती हैं कि
इंसान को आज के व्यावहारिक ईश्वर की आराधना करनी है,
आत्मा के सार का व्यावहारिक पालन करना है।
वे उस सिद्धान्त पर ज़ोर दें जिनसे ईश्वर धार्मिकता के सूर्य-सा प्रकट होकर
इंसान के दोषी या धर्मी होने का फैसला करेगा।
नए युग की आज्ञाएँ प्रतीक हैं कि
ईश्वर और इंसान नए स्वर्ग और धरती में हैं।
जैसे यहोवा ने इस्राएलियों के बीच, यीशु ने यहूदियों के बीच किया,
वैसे ही ईश्वर धरा पर अधिक व्यावहारिक, महान काम करेगा।
वैसे ही ईश्वर धरा पर अधिक व्यावहारिक, महान काम करेगा।
वैसे ही ईश्वर धरा पर अधिक व्यावहारिक, महान काम करेगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आज्ञाओं का पालन करना और सत्य का अभ्यास करना से रूपांतरित