974 नये युग की आज्ञाएं
यद्यपि अब व्यवस्था का युग नहीं है, फिर भी ऐसे कई वचन हैं, जो व्यवस्था के युग में बोले गए वचनों जैसे हैं, और जिनका पालन किया जाना चाहिए। इन वचनों का पालन केवल पवित्र आत्मा के स्पर्श पर भरोसा करके नहीं किया जाता, बल्कि वे ऐसी चीज हैं, जिनका मनुष्य द्वारा निर्वाह किया जाना चाहिए।
1 तुम व्यवहारिक परमेश्वर के कार्य पर निर्णय पारित नहीं करोगे। तुम उस मनुष्य का विरोध नहीं करोगे, जिसकी परमेश्वर द्वारा गवाही दी गई है। परमेश्वर के सामने तुम लोग अपने स्थान पर रहोगे और स्वच्छंद नहीं होगे। तुम्हें वाणी में संयत होना चाहिए, और तुम्हारे शब्द और काम उस व्यक्ति की व्यवस्थाओं के अनुसार होने चाहिए, जिसकी परमेश्वर द्वारा गवाही दी गई है। तुम्हें परमेश्वर की गवाही का आदर करना चाहिए। तुम परमेश्वर के कार्य और उसके मुँह से निकले वचनों की उपेक्षा नहीं करोगे। तुम परमेश्वर के कथनों के लहजे और लक्ष्यों की नकल नहीं करोगे। बाहरी तौर से तुम लोग ऐसा कुछ नहीं करोगे, जो परमेश्वर द्वारा गवाही दिए गए व्यक्ति का प्रत्यक्ष रूप से विरोध करता हो।
2 आज मनुष्य के लिए निम्नलिखित बातों का पालन करने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है : तुम्हें उस परमेश्वर को फुसलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, जो तुम्हारी आँखों के सामने खड़ा है, न ही तुम्हें उससे कुछ छिपाना चाहिए। तुम अपने सामने खड़े परमेश्वर के सम्मुख कोई गंदी या अहंकार से भरी बात नहीं कहोगे। तुम परमेश्वर के भरोसे को जीतने के लिए अपनी मीठी और साफ़-सुथरी बातों से अपनी आँखों के सामने खड़े परमेश्वर को धोखा नहीं दोगे। तुम परमेश्वर के सामने अनादर से व्यवहार नहीं करोगे। तुम परमेश्वर के मुख से बोले जाने वाले समस्त वचनों का पालन करोगे, और उनका प्रतिरोध, विरोध या प्रतिवाद नहीं करोगे। तुम परमेश्वर के मुख से बोले गए वचनों की अपने हिसाब से व्याख्या नहीं करोगे। तुम्हें अपनी जीभ को काबू में रखना चाहिए, ताकि इसके कारण तुम दुष्टों की कपटपूर्ण योजनाओं के शिकार न हो जाओ। तुम्हें अपने क़दमों के प्रति सचेत रहना चाहिए, ताकि तुम परमेश्वर द्वारा तुम्हारे लिए निर्दिष्ट की गई सीमा का अतिक्रमण करने से बच सको। अगर तुम अतिक्रमण करते हो, तो यह तुम्हारे द्वारा परमेश्वर की स्थिति में खड़े होने और अहंकार भरे और आडंबरपूर्ण शब्द कहने का कारण बनेगा, जिसके लिए परमेश्वर तुमसे घृणा करने लगेगा।
3 तुम परमेश्वर के मुँह से निकले वचनों को लापरवाही से प्रसारित नहीं करोगे, ताकि कहीं ऐसा न हो कि दूसरे तुम्हारी हँसी उड़ाएँ और हैवान तुम्हें मूर्ख बनाएँ। तुम आज के परमेश्वर के समस्त कार्य का पालन करोगे। भले ही तुम उसे समझ न पाओ, तो भी तुम उस पर निर्णय पारित नहीं करोगे; तुम केवल खोज और संगति कर सकते हो। कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के मूल स्थान का अतिक्रमण नहीं करेगा। तुम एक मनुष्य की हैसियत से आज के परमेश्वर की सेवा करने से अधिक कुछ नहीं कर सकते। तुम एक मनुष्य की हैसियत से आज के परमेश्वर को सिखा नहीं सकते—ऐसा करना मार्ग से भटकना है। कोई भी व्यक्ति परमेश्वर द्वारा गवाही दिए गए व्यक्ति के स्थान पर खड़ा नहीं हो सकता; अपने शब्दों, कार्यों, और अंतर्तम विचारों में तुम मनुष्य की हैसियत में खड़े हो। इसका पालन किया जाना आवश्यक है, यह मनुष्य का उत्तरदायित्व है, और इसे कोई बदल नहीं सकता; ऐसा करना प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन होगा। यह सभी को स्मरण रखना चाहिए।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, नये युग की आज्ञाएँ से रूपांतरित