211 मेरे दिल की गहराई में एक पीड़ा है
1
मेरे दिल गहराई में एक पीड़ा है। जब भी मैं अतीत के बारे में सोचता हूँ तो मेरे दिल में एक चाकू-सा चुभ जाता है।
एक बार मैंने मसीह का विरोध और उसकी निंदा की थी। मुझे परमेश्वर में विश्वास तो था लेकिन मैं उसे जानता नहीं था, और मैंने उसका विरोध किया।
मैंने मसीह को सत्य व्यक्त करते हुए देखा लेकिन फिर भी मैंने उसे नकार दिया, मैं फ़रीसियों से अलग नहीं हूँ।
मैं खून में लिखे इस सबक को कभी नहीं भूलूँगा। मेरे पास अंतहीन पश्चाताप और अफ़सोस हैं।
2
मैंने वर्षों तक प्रभु में विश्वास रखा है लेकिन मैं सत्य के मार्ग पर नहीं चला। मैंने सिर्फ़ दिखावे के लिए बाइबल का ज्ञान बटोरा।
मैंने धर्मशास्त्र के सिद्धांतों का ज्ञान बघारा ताकि लोग मुझे पूजें और मुझे सम्मान से देखें। मैंने आशीषों और पुरस्कारों के लिए कड़ी मेहनत की।
मैं स्वार्थी और नीच था, मैंने कभी परमेश्वर की इच्छा की परवाह नहीं की। मैंने परमेश्वर को प्रसन्न करने के बारे में शोर तो बहुत मचाया लेकिन मैंने कभी सत्य का अभ्यास नहीं किया।
मैंने परमेश्वर के प्रति अपनी वफादारी ज़ाहिर की लेकिन मैं उसके प्रति लापरवाह रहा। मैं दिखावे के लिये धर्मपरायण था लेकिन मैंने समर्पण नहीं किया।
3
परमेश्वर के न्याय और ताड़ना ने मुझसे धरती पर झुक कर नमन कराया। जब मैं परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को देखता हूँ तो भय से काँप जाता हूँ।
मुझे अपनी गहन भ्रष्टता और अमानवीयता से नफ़रत है। मैंने बहुत सारे अपराध किए हैं और परमेश्वर का दिल दुखाया है।
मैंने जो कुछ भी किया है, उसके लिए मुझे परमेश्वर द्वारा बहुत पहले ही तबाह कर दिया जाना चाहिये था। फिर भी परमेश्वर मेरे साथ धैर्यवान और सहिष्णु है, मुझे प्रायश्चित का मौका दे रहा है।
परमेश्वर का उद्धार देखकर मेरा दिल पश्चाताप से भर जाता है। मैंने सत्य का अभ्यास करने और इंसानों की तरह जीने का संकल्प लिया है।
मैं परमेश्वर के लिए अपना जीवन बिताने और परमेश्वर के प्रेम का प्रतिदान देने के लिए तैयार हूँ। मैं सदा परमेश्वर का आज्ञापालन और उसकी आराधना करूँगा।