36 ऊँचे सुर में स्तुति करो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की
1
अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रकट हुआ
दुनिया के पूरब में।
वो सत्य बोलता है, इंसान को बचाने,
वो उद्धारक का प्रकटन है।
परमेश्वर जन सुनते उसकी वाणी को,
उठाये जाते हैं उसके सिंहासन के समक्ष।
खाते-पीते हम उसके वचनों को,
जानें हम सत्य और रहस्यों को,
पूरी तरह जीत लिया परमेश्वर के वचनों ने हमको।
इम्तहान और शुद्धिकरण से गुज़र रहे हम,
सहते बेहद पीड़ा, होती निर्मल भ्रष्टता हमारी।
राज्य की तालीम स्वीकार कर,
हासिल करते सत्य और जीवन हम।
निर्मल करता, बचाता वो हमको,
ऊँचे सुर में स्तुति करते सर्वशक्तिमान परमेश्वर की हम,
परमेश्वर की हम।
2
यातनाओं, इम्तहानों के ज़रिये,
कुरूप चेहरा शैतान का देखते हम।
सेवा के लिए शैतान का इस्तेमाल करता है परमेश्वर,
और परीक्षण द्वारा इंसान की आस्था को पूर्ण करता है।
बेहद नफ़रत है शैतान से हमें,
अंत तक अनुसरण करेंगे परमेश्वर का हम।
सत्य बोलता है, भ्रष्टता में आकंठ डूबे इंसान
को जीतता परमेश्वर।
बड़े लाल अजगर की संतानों का न्याय करते हैं,
शुद्धिकरण करते हैं परमेश्वर के वचन।
विजेता बनाए जाते हैं, अजगर के देश में।
3
परास्त कर दिया पूरी तरह शैतान को परमेश्वर ने,
सारी महिमा पा ली है परमेश्वर ने।
सत्य, मार्ग और जीवन हैं मसीह के वचन,
खंडित नहीं किया जा सकता इसे।
यकीनन परमेश्वर की विनम्रता को प्रेम करना,
पूजना चाहिये इंसान को।
धार्मिक स्वभाव है परमेश्वर का,
श्रद्धा से निहारते परमेश्वर को हम।
अद्भुत हैं, समझने में कठिन हैं कर्म परमेश्वर के,
अंतहीन स्तुति करते परमेश्वर की हम।
सामर्थ्य परमेश्वर का झुकाता है, गुणगान कराता है सभी देशों से।
अनंत जीवन का मार्ग पाते हैं हम।
ऊँचे सुर में स्तुति करते परमेश्वर की हम,
परमेश्वर की हम, परमेश्वर की हम।