549 सत्य का अनुसरण करने से सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है
अब, वास्तविकता का अर्थ है सत्य का अनुसरण करना, अपनी भ्रष्ट प्रकृति को जानना, अपने भ्रष्ट स्वभाव से मुक्त होने के लिए सत्य को समझना और परमेश्वर की संतुष्टि के लिए अपना कर्तव्य निभा पाना। सत्य की वास्तविकता में प्रवेश करना और एक सच्चे इंसान के समान जीना—यह वास्तविकता है। वास्तविकता है परमेश्वर से प्रेम करना, परमेश्वर के प्रति समर्पण और परमेश्वर के लिए गवाही देना। परमेश्वर यही परिणाम चाहता है। उन चीजों पर शोध करना बेकार है जिन्हें न तो छुआ जा सकता है और न ही देखा जा सकता है। उनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है, और न ही परमेश्वर के कार्य के प्रभावों से उनका कोई लेना-देना है। सच तो यह है कि बुद्धिमान लोगों का दृष्टिकोण इस प्रकार का होता है : “परमेश्वर चाहे कुछ भी करे, कैसे भी व्यवहार करे या मैं चाहे कितना भी भ्रष्ट हूँ या मेरी मानवता कैसी भी हो, मैं सत्य का अनुसरण करने के लिए अपने दृढ़-प्रतिज्ञ रहूँगा और परमेश्वर को जानने का प्रयास करूँगा।" परमेश्वर को जानकर ही कोई अपने भ्रष्ट स्वभाव को दूर कर सकता है और परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकता है; यह मानव-जीवन के लिए दिशा है, इंसान को इसी को पाने का प्रयास करना चाहिए और यही उद्धार का एकमात्र मार्ग है।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन से रूपांतरित