548 परमेश्वर को पसंद हैं लोग जिनमें संकल्प है

1

परिवेश, मुश्किलें हमारी कितनी भी कठोर क्यों न हों,

हम कितने भी मायूस क्यों न हों, हम में एक संकल्प होना चाहिये।

हम खो नहीं सकते भरोसा, कि आयेगा बदलाव हमारे पुराने स्वभाव में।

हम खो नहीं सकते विश्वास, परमेश्वर के बोले वचनों में।


वादे किये हैं परमेश्वर ने इंसान से,

उन्हें पाने का संकल्प होना चाहिये इंसान में।

परमेश्वर को पसंद नहीं कायर इंसान।

उसे पसंद हैं मज़बूत इरादे वाले इंसान।


2

कितनी भी भ्रष्टता उजागर की हो तुमने अपनी

कितने भी घुमावदार रास्तों पर चले हो तुम,

परमेश्वर का विरोध, अपराध किया हो।

दिल में ईश-निंदा हो या उसे दोष दिया हो,

परमेश्वर ये देखता नहीं।

वो सिर्फ़ देखता है, तुम बदलोगे या नहीं।


वादे किये हैं परमेश्वर ने इंसान से,

उन्हें पाने का संकल्प होना चाहिये इंसान में।

परमेश्वर को पसंद नहीं कायर इंसान।

उसे पसंद हैं मज़बूत इरादे वाले इंसान।


3

समझता है परमेश्वर इंसान को, जैसे जानती है माँ अपनी संतान को।

वो जानता है इंसान के दुखों को, कमज़ोरियों को

और जानता है हर इंसान की ज़रूरतों को।

समझता है परमेश्वर पूरी तरह,

स्वभाव-परिवर्तन में आने वाली नाकामियों और दिक्कतों को।

वो देख लेता है भीतर से इंसान के दिलों को।


वादे किये हैं परमेश्वर ने इंसान से,

उन्हें पाने का संकल्प होना चाहिये इंसान में।

परमेश्वर को पसंद नहीं कायर इंसान।

उसे पसंद हैं मज़बूत इरादे वाले इंसान।


भले ही कमज़ोर हो तुम, त्यागो मत परमेश्वर के नाम को,

छोड़ो मत कभी परमेश्वर को या इस मार्ग को,

मिलेगा मौका तुम्हें पाने का इस बदलाव को।

अगर बदल गया स्वभाव हमारा, तो मिल सकता हमें अस्तित्व हमारा।

अगर है अस्तित्व की उम्मीद, तो है बचाये जाने की उम्मीद।


—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, अपना स्वभाव बदलने के लिए अभ्यास का मार्ग से रूपांतरित

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