188 मैं परमेश्वर के प्रति पूर्णत: समर्पित रहने के लिए संकल्पबद्ध हूँ
1 शैतान ने मुझे चरम सीमा तक भ्रष्ट और नष्ट कर दिया था; मैं नाम और धन-दौलत के पीछे भागते हुए पाप में जी रहा था। मेरे मन में हर कोई अपनी चिंता खुद करे और पिछड़ जाने वालों को शैतान ले जाए वाली बात थी; मुझेजमीर या नैतिकता की परवाह नहीं थी। परमेश्वर ने मुझ पर दया करके मुझे ऊपर उठाया, और मुझे बुराई की दुनिया से बचाया। परमेश्वर के न्याय के वचनों और खुलासे ने मुझे दुनिया की भ्रष्टता के मूल के दर्शन करवा दिए। शैतान ने ही इंसान को इतनी गहराई से भ्रष्ट किया है, बुराई की खाई में फंसा दिया है। परमेश्वर के न्याय के वचनों ने मुझे जगाया और मैंने जीवन का प्रकाश देखा। नाम, धन-दौलत, पद-प्रतिष्ठा और दैहिक सुख सब वास्तव में खोखली बातें हैं, मैं अब इनके पीछे नहीं भागूँगा। परमेश्वर के प्रति समर्पित होना, परमेश्वर के हृदय का विचार करना और अपने कर्तव्य को पूरा करना ही स्वर्ग और धरती के सच्चे सिद्धांत हैं। मैं परमेश्वर के न्याय और शुद्धिकरण को स्वीकारना और सच्चे इंसान की तरह जीना चाहता हूँ।
2 परमेश्वर हमें पुकारता है, ताकि हम ऊपर उठकर उसके आदेश को स्वीकार कर सकें; उसके लिए अपने आपको खपाना बहुत गौरव की बात है। मुसीबत में, परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन से मेरा संकल्प और भी मज़बूत हो जाता है; मैं हल पर हाथ रखकर पीछे की ओर कैसे देख सकता हूँ? राज्य के प्रशिक्षण को स्वीकार करने के योग्य होना अत्यंत दुर्लभ है और मैं पूर्ण किए जाने के इस अवसर को बिल्कुल नहीं गँवा सकता। परमेश्वर को निराश करके, मुझे आजीवन पश्चाताप होगा। अगर मैं परमेश्वर से मुंह मोड़ता हूँ तो इतिहास मेरा तिरस्कार करेगा। अगर मैंने अपना कर्तव्य अच्छी तरह नहीं निभाया और परमेश्वर के प्यार का प्रतिदान नहीं दिया, तो मैं परमेश्वर के सामने रहने के योग्य कैसे हो सकता हूँ? अपने हृदय की गहराई में मैं केवल सत्य को संजोता है और परमेश्वर के प्रति समर्पित है, मैं अब दोबारा कभी विद्रोह करके परमेश्वर के दुख का कारण नहीं बनूँगा। अगर मुझमें परमेश्वर के प्रति सच्चा प्रेम है तो कोई भी ताकत मुझे नहीं रोक सकती। अब चाहे कितने भी मुश्किल परीक्षण और क्लेश आएँ, मैं उसका महिमामंडन करने के लिए उसकी गवाही दूँगा। मैं सत्य को प्राप्त करने और परमेश्वर द्वारा पूर्ण किए जाने और सदा उसकी गवाही देने के लिएदृढ़-संकल्प हूँ।