521 जो सत्य का अनुसरण करता है उसे ही परमेश्वर द्वारा पूर्ण किया जा सकता है
रोज़ाना के मामले या तो समझे जाते महत्वपूर्ण या मामूली।
बड़े हों तो वे ज़रूरी समझे जाते हैं और ईश्वर के भेजे हुए माने जाते हैं।
1
जब ये बड़ी बातें होती हैं,
तो इंसान अपनी कम क्षमता, अपरिपक्वता
के कारण ईश-इच्छा पूरी नहीं कर सकते,
प्रकाशन या वास्तविक ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते।
जब बात छोटी होती है,
तो इंसान इन्हें अनदेखा करें हाथ से धीरे-धीरे फिसलने दें,
ऐसे वे परीक्षण के मौके गँवाएँ।
जब लोग परीक्षण ठुकराते हैं जो ईश्वर भेजता है उन्हें,
जब वे उनसे दूर भागते हैं, ईश्वर का एक ही रवैया है।
ईश्वर ऐसे लोगों को पूरे दिल से ठुकरा देता है।
ये ईश्वर का अंतिम निर्णय है,
उनके लिए जो न चलें ईश्वर के मार्ग पे,
न ईश्वर का भय मानें, न बुराई से दूर रहें।
2
जब तुम हमेशा अनदेखा करो लोगों को ,
चीज़ों और परिस्थितियों को जिनकी व्यवस्था ईश्वर करता है,
इसका मतलब तुम त्याग रहे हो
ईश्वर द्वारा अपनी पूर्णता और अगुवाई को।
जब ईश्वर परिस्थिति की व्यवस्था करता है,
वो हमेशा वहाँ है, छिपकर देखता है,
देखता है तुम्हारा दिल, तुम्हारे विचार और तुम्हारी सोच,
देखता है तुम कैसे सोचते हो और किस तरह काम करते हो।
यदि तुम एक लापरवाह इंसान हो,
ईश-मार्ग, वचन, सत्य के लिए गंभीर नहीं,
तुम सचेत न होगे, या ध्यान न दोगे उसपे जो ईश्वर पूरा करना चाहता है।
तुम उसकी मांग पे ध्यान नहीं दोगे जब वो परिस्थितियों की व्यवस्था करता है;
तुम नहीं जानोगे कि कैसे लोग, चीज़ें, मामले
सत्य या ईश्वर के इरादों से सम्बन्ध रखते हैं।
जब लोग परीक्षण ठुकराते हैं जो ईश्वर भेजता है उन्हें,
जब वे उनसे दूर भागते हैं, ईश्वर का एक ही रवैया है।
ईश्वर ऐसे लोगों को पूरे दिल से ठुकरा देता है।
ये ईश्वर का अंतिम निर्णय है,
उनके लिए जो न चलें ईश्वर के मार्ग पे,
न ईश्वर का भय मानें, न बुराई से दूर रहें।
3
परीक्षणों का बार-बार सामना करने के बाद भी,
अपने दिल में ईश्वर को तुम महिमान्वित नहीं करते
या उसकी निर्मित स्थितियों के संग
ईश्वर के परीक्षणों जैसा व्यवहार नहीं करते।
बजाय इसके तुम अस्वीकार करते हो ये सारे अवसर
जो ईश्वर तुम्हें प्रदान करता रहता है,
तुम उन्हें बार-बार हाथ से जाने देते हो।
क्या ये इंसान के द्वारा बहुत बड़ी अवज्ञा नहीं?
जब लोग परीक्षण ठुकराते हैं जो ईश्वर भेजता है उन्हें,
जब वे उनसे दूर भागते हैं, ईश्वर का एक ही रवैया है।
ईश्वर ऐसे लोगों को पूरे दिल से ठुकरा देता है।
ये ईश्वर का अंतिम निर्णय है,
उनके लिए जो न चलें ईश्वर के मार्ग पे,
न ईश्वर का भय मानें, न बुराई से दूर रहें।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का स्वभाव और उसका कार्य जो परिणाम हासिल करेगा, उसे कैसे जानें से रूपांतरित