67 परमेश्वर की स्तुति में नाचो, गाओ
1 अंत के दिनों का मसीह प्रकट हुआ है इंसान को बचाने और काम करने के लिए। वो प्रकट करता है परमेश्वर का प्रेम इन्सान को सिंचित, पोषित करके, उसे राह दिखा के। परमेश्वर के वचनों में है स्नेह और शक्ति, वे हमारे दिलों को जीत लेते हैं। हम परमेश्वर के वचनों को खाते-पीते, उनका आनंद लेते, भोज में शामिल होते हैं। उन्हें खाने-पीने, उन पर विचार और संगति करने से, पवित्रात्मा हमें प्रबुद्ध करता है, हम सत्य समझ जाते हैं। तोड़ के सांसारिक बंधन, हम फर्ज़ निभाते हैं। परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कितनी बड़ी आशीष है!
2 तलवार से हैं वचन परमेश्वर के, हमारी प्रकृति को प्रकट करते हैं। हमारे घमंड, दम्भ और कपट रोशनी में आते हैं। न्याय, ताड़ना का अनुभव करने से, हम खुद को जान जाते हैं। हमारे भ्रष्ट स्वभाव शुद्ध होते, हम नये इन्सान बन जाते हैं। दूसरों संग मिलकर काम करते हुए, हम अपना फ़र्ज़ निभाते हैं। हम गिरते हैं, असफल होते हैं, सत्य को खोजते हैं। परमेश्वर के वचन और सत्य हैं बहुत कीमती, वे हमें शुद्ध करते हैं। शैतान के प्रभाव से मुक्त, हम परमेश्वर की सराहना पाते हैं।
3 मसीह ही सत्य है, ये निश्चित है जानकर अटूट संकल्प के साथ हम उसके पीछे जाते हैं। परमेश्वर की गवाही देने को हम अपने लक्ष्य का दायित्व लेते हैं, हम उसके प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। उपहास या अपयश हमें पीछे नहीं हटा सकते कभी। परमेश्वर को संतुष्ट करने को हम फ़र्ज़ निभाते हैं, परमेश्वर की महिमा सर्वोपरि है। शैतान जो बना ले हमें बंदी, तो भी हम नीचे नहीं झुकेंगे। यातना मिलती है हमें बड़ी, फिर भी हम सदा वफादार रहेंगे। परीक्षा और क्लेशों से, परमेश्वर के लिए हमारा प्रेम मज़बूत होता है। हम पूरी तरह त्यागते हैं बड़े लाल अजगर को, गुंजायमान गवाही देते हैं।
परमेश्वर की स्तुति में नाचो-गाओ। जीवन के पथ पर हमें राह दिखाने के लिए परमेश्वर का शुक्रिया करो। हम हर दिन परमेश्वर के वचनों का आनंद लेते, उसके सामने जीते हैं। परमेश्वर की धार्मिकता की हम सदा गवाही देंगे, सदा उसकी स्तुति करेंगे।