265 मैं परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के साथ अपना सारा जीवन बिता दूंगा
1 हे परमेश्वर! तेरा प्रेम कितना बहुमूल्य और सुंदर है; मैं उस दुष्ट के हाथों में जीने की कामना कैसे कर सकता था? क्या मुझे तूने नहीं बनाया था? मैं शैतान के अधीन कैसे रह सकता था? मैं अपने समूचे अस्तित्व के साथ तेरी ताड़नाओं में रहना अधिक पसंद करूंगा। मैं उस दुष्ट के अधीन नहीं जीना चाहता। यदि मुझे पवित्र बनाया जा सके और यदि मैं अपना सब कुछ तुझे अर्पित कर सकूँ, तो मैं अपने शरीर और मन को तेरे न्याय और ताड़ना की भेंट चढ़ाने को तैयार हूँ, क्योंकि मैं शैतान से घृणा करता हूँ, मैं उसके अधीन जीवन बिताने को तैयार नहीं हूँ। मेरा न्याय करके तू अपना धार्मिक स्वभाव दर्शाता है; मैं खुश हूँ, और मुझे जरा-सी भी शिकायत नहीं है। यदि मैं एक प्राणी होने के कर्तव्य को निभा सकूँ, तो मैं तैयार हूँ कि मेरा संपूर्ण जीवन तेरे न्याय से जुड़ जाए, जिसके जरिए मैं तेरे धार्मिक स्वभाव को जान पाऊँगा, और शैतान के प्रभाव से अपने-आपको छुड़ा पाऊँगा।
2 यद्यपि मैं तेरी ताड़नाओं और तेरे न्याय के बीच रहता हूँ, इससे जुड़ी कठिनाई के बावजूद, मैं शैतान के अधीन जीवन व्यतीत नहीं करना चाहता, मैं शैतान के छल-कपट को तो बिल्कुल नहीं सहना चाहता। मैं तेरे अभिशापों के बीच जी कर आनंदित हूँ, और मेरे लिए शैतान के आशीषों में जीना कष्टदायक है। तेरे न्याय के बीच जीवन बिताते हुए मैं तुझसे प्रेम करता हूँ, क्योंकि तेरे न्याय में जीवन बिताकर मुझे बहुत आनंद प्राप्त होता है। तेरी ताड़ना और न्याय धार्मिक और पवित्र हैं; ये मुझे शुद्ध करने और इससे भी बढ़कर मुझे बचाने के लिए हैं। मैं अपना सारा जीवन तेरे न्याय में बिताना चाहता हूँ ताकि मैं तेरी देखरेख में रहूँ। मैं एक घड़ी भी शैतान के अधिकार क्षेत्र में रहने को तैयार नहीं हूँ; मैं तेरे द्वारा शुद्ध होना चाहता हूँ; भले ही मुझे कष्ट झेलने पड़ें, मैं शैतान द्वारा शोषित होने और छले जाने को तैयार नहीं हूँ।
3 मुझ प्राणी को, तेरे द्वारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए, तेरे द्वारा प्राप्त किया जाना चाहिए, तेरे द्वारा न्याय दिया जाना चाहिए, और तेरे द्वारा ताड़ना दी जानी चाहिए। यहाँ तक कि मुझे तेरे द्वारा शापित भी किया जाना चाहिए। जब तू मुझे आशीष देने की इच्छा करता है तो मेरा हृदय आनंदित हो उठता है, क्योंकि मैं तेरे प्रेम को देख चुका हूँ। तू सृष्टिकर्ता है, और मैं इस सृष्टि का एक प्राणी हूँ : तुझको धोखा देकर, मुझे शैतान के अधिकार क्षेत्र में नहीं रहना चाहिए, न ही मुझे शैतान के हाथों शोषित होना चाहिए। शैतान के लिए जीने से अच्छा है, मैं तेरा घोड़ा या बैल बन जाऊँ। मैं बिना भौतिक सुखों के, तेरी ताड़नाओं में रहकर जीवन व्यतीत करना ज्यादा पसंद करूँगा, और इसमें मुझे आनंद मिलेगा, फिर भले ही मैं तेरा अनुग्रह गँवा दूँ। हालाँकि तेरा अनुग्रह मेरे साथ नहीं है, फिर भी मैं तेरे द्वारा ताड़ना दिए जाने और न्याय किए जाने से प्रसन्न हूँ; यह तेरा सर्वोत्तम आशीष है, तेरा सबसे बड़ा अनुग्रह है।