159 धार्मिकता के लिए कष्ट उठाना
1 मसीह के अनुसरण के दौरान, मुझे सीसीपी ने यातना दी, मुझे हर कदम पर खतरों और मुश्किलों का सामना करना पड़ा, और लगातार यह खतरा बना रहता था कि मुझे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाएगा और यातना दी जाएगी। लेकिन मेरा दिल इन सब चीजों के लिए बहुत पहले ही तैयार हो चुका है; अगर मैं मर भी जाऊँ, तो मुझे कोई पछतावा नहीं होगा : अंत के दिनों में मसीह का अनुसरण करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है; परमेश्वर ने सचमुच मुझे ऊँचा उठाया है। परमेश्वर की वाणी सुनकर और बहुत-से सत्य समझकर मैं संतुष्ट हूँ; परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को फैलाने और उसकी गवाही देने में सक्षम होने के कारण मेरा जीवन व्यर्थ नहीं गया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, तू प्रियतम है, मैं अनंतकाल तक तेरा अनुसरण करूँगा और तेरी गवाही दूँगा! हालाँकि स्वर्गिक राज्य का मार्ग जोखिम, उथल-पुथल, खतरों और मुश्किलों से भरा है, फिर भी मैं तुझे प्रेम करने का प्रयास करूँगा। अगर मैं देह को सँजोता रहूँगा और अपने जीवन में ही व्यस्त रहूँगा, तो फिर मैं विजेता कैसे बन पाऊँगा?
2 जब मुझे गिरफ्तार करके जेल में डाला गया, मैंने उसी क्षण अपने जीने-मरने का फैसला परमेश्वर पर छोड़ दिया। उन्होंने मुझ पर पागल जानवरों जैसे यातना के उपकरणों से हमला किया। वह पीड़ा असहनीय थी। परमेश्वर के वचनों ने ही मुझे प्रबुद्ध किया और मेरा मार्गदर्शन किया। उसके लिए जीवन खोना जीवन पाना है। परीक्षणों और क्लेशों के बीच मैंने जाना कि परमेश्वर कितना मनोहर है, और मेरा दिल उसके और करीब हो गया। दुष्ट शैतान सीसीपी के कुरूप चेहरे देखकर मैंने बड़े लाल अजगर को पूरी तरह से त्याग दिया और परमेश्वर की शानदार गवाही देने के लिए अपने आपको उसके प्रति पूरी तरह से समर्पित कर दिया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, तू प्रियतम है, मैं अनंतकाल तक तेरा अनुसरण करूँगा और तेरी गवाही दूँगा! अँधेरी रात चाहे कितनी भी लंबी और मुश्किलों से भरी हो, मैं प्रसन्नता से तेरी व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित हो जाऊँगा; शैतान को शर्मिंदा करने और तेरी महिमा बढ़ाने में सक्षम होने के लिए कोई भी कष्ट उठाना सार्थक है।
3 यह धार्मिकता के लिए उत्पीड़न सहना है और मुझे यह विकल्प चुनने पर कोई पछतावा नहीं है! परमेश्वर के प्रेम का इतना अधिक आनंद उठाने के बाद मुझे अपना जीवन प्रिय परमेश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। मुझे अपने लक्ष्य का दायित्व लेकर उसकी गवाही देनी चाहिए। मुश्किलें चाहे कितनी भी भयंकर हों, मैं पीछे नहीं हटूँगा, मैं खुशी-खुशी अपने हिस्से के कष्ट सहूँगा, ताकि वह संतुष्ट हो। यह धार्मिकता के लिए उत्पीड़न सहना है और मुझे यह विकल्प चुनने पर कोई पछतावा नहीं है! परमेश्वर के प्रेम का इतना अधिक आनंद उठाने के बाद मुझे अपना जीवन प्रिय परमेश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। भोर का प्रकाश आ गया है, बड़ा लाल अजगर परमेश्वर द्वारा नष्ट कर दिया गया है और मैं परमेश्वर की धार्मिकता का शानदार स्तुतिगान कर रहा हूँ। मसीह का राज्य प्रकट हो चुका है।