परमेश्वर के स्वागत का अवसर गँवाते-गँवाते बचा
मेरी पत्नी और मैं 1995 में ईसाई बने, और तभी से हम उत्सुकता से अपनी खोज में लगे हुए थे, पहले से हम लोग सोला फाइड कलीसिया में सहकर्मी थे। फिर वर्ष 2000 के आस-पास, कलीसिया के बहुत से सदस्यों ने चमकती पूर्वी बिजली के सुसमाचार के बारे में सुना और सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने लगे। तब से, पादरी और एल्डर लगातार सहकर्मियों की सभाओं में चमकती पूर्वी बिजली के ख़िलाफ़ प्रचार कर रहे हैं। एक बार पादरी वांग ने कहा कि बाइबल में पौलुस ने कहा है : "मुझे आश्चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं : पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो" (गलातियों 1:6-8)। उन्होंने यह भी कहा कि हमें प्रभु के मार्ग का अनुसरण करना है, किसी और सुसमाचार को सुनना प्रभु को धोखा देना है और हम दंडित किए जाएँगे। उन्होंने कहा कि चमकती पूर्वी बिजली प्रचार करती है कि प्रभु लौट आया है और वह अपने वचनों से अंत के दिनों का न्याय-कार्य कर रहा है, और यह दूसरा सुसमाचार है। उन्होंने कहा कि हम इसे नहीं सुन सकते, और न ही इस पर विश्वास कर सकते—ऐसा करके हम प्रभु को धोखा देंगे। अगर कोई हमें चमकती पूर्वी बिजली के बारे में बताता है तो हमें उसे बाहर निकाल देना चाहिए। पादरी जब भी बाइबल के इन पदों का ज़िक्र करते, मैं मन ही मन अपने आप को चेतावनी देता, "याजक-वर्ग हमें चमकती पूर्वी बिजली के संपर्क में नहीं आने देगा, और इसी में हमारी भलाई है। मुझे बाइबल की ज्यादा समझ नहीं है और मेरा आध्यात्मिक कद भी छोटा है, तो मैं कुछ भी नहीं सुन सकता। मैंने प्रभु के अनुग्रह का इतना आनंद लिया है। मैं उसे धोखा नहीं दे सकता!" मेरे कुछ दोस्तों और संबंधियों ने कई बार मेरे साथ सुसमाचार साझा किया है, लेकिन मैंने उन्हें नकार दिया। मुझे लगा कि मुझे प्रभु के मार्ग पर ही टिके रहना चाहिए, मैं और कुछ भी नहीं सुन सकता। अगर मैं भटक गया और प्रभु ने मुझे नकार दिया, तो मैं क्या करूँगा? एक दिन मेरी भतीजी मेरी पत्नी और मेरे साथ सुसमाचार साझा करने आयी, और मैंने ठंडे स्वर में कहा, "बाइबल में लिखा है, 'परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो' (गलातियों 1:8)। हम प्रभु यीशु में विश्वास रखते हैं, अगर किसी और मार्ग का अनुसरण करेंगे, तो वह धर्म-त्याग और प्रभु के साथ धोखा होगा। हम दंडित किए जाएँगे। तुम्हें इसी वक्त प्रभु के आगे अपने पाप का प्रायश्चित करना चाहिए।" मैं पादरी की कही बात सुन रहा था। अंत के दिनों में परमेश्वर का सुसमाचार साझा करने चाहे कोई भी आए, मुझे नहीं सुनना, और उनसे पीछा छुड़ाने के लिए मैं हर तरह के बहाने बनाता था।
एक बार जब मैं और मेरी पत्नी खेतों में काम कर रहे थे, तो वह बड़ी संभलकर बोली, "प्रभु यीशु लौट आया है। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है।" जब उसने यह बात कही तो मुझे लगा कि उसने न सिर्फ चमकती पूर्वी बिजली को सुन लिया है, बल्कि उसे स्वीकार भी कर लिया है। मुझे गुस्सा आ गया और यह कहते हुए उसे फटकार लगाई, "याजक-वर्ग ने बार-बार कहा है कि हम चमकती पूर्वी बिजली को नहीं सुन सकते। तुमने उन्हें क्यों सुना? दूसरे मार्ग को स्वीकारना प्रभु को धोखा देना है, अब तुम परमेश्वर के राज्य में नहीं जा सकोगी।" मेरी परेशानी बढ़ती जा रही थी, फिर मुझे बाइबल के इस पद का ख्याल आया : "दूसरों के पापों में भागी न होना; अपने आप को पवित्र बनाए रख" (1 तीमुथियुस 5:22)। मैंने सोचा चूँकि वह चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार करके प्रभु को धोखा दे चुकी है, तो मैं उसके पाप में भागीदार नहीं बन सकता। मैंने तुरंत यह बात पादरी को बता दी ताकि वह उससे लौट आने के लिए कहे। वे यह बात सुनकर परेशान हो गए और बोले, "दूसरी आस्थाओं का उपदेश देने वाले लोगों को सुनना प्रभु को धोखा देना है, उसे कलीसिया से निकाल दिया जाएगा। अगर उसके पास ऐसी पुस्तकें हों तो उन्हें नष्ट कर दो। उस पर नज़र रखने के लिए अभी घर जाओ। तुम उसे बाहर जाकर दूसरों की बातें सुनने की अनुमति नहीं दे सकते।" यह सुनकर मैंने सोचा, "हाँ! अपनी पत्नी को बचाने का एकमात्र रास्ता है पादरी की बात मानना। वरना प्रभु उसे नकार देगा और वह स्वर्ग में जाने का अवसर गँवा देगी।" तब से मैं पत्नी पर नज़र रखने लगा, मैं उसे चमकती पूर्वी बिजली के किसी भी व्यक्ति से संपर्क नहीं करने देता था। काम पर जाते वक्त अपनी दोनों बेटियों से उस पर नज़र रखने के लिए कहता। लेकिन वह फिर भी चोरी-छिपे सभाओं में चली जाती थी। एक दिन जब मैं घर आया तो देखा पत्नी नहीं है, मैं समझ गया कि वह सभा में गयी है। मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं उसे किसी भी तरह रोक नहीं पा रहा था, तो मुझे लगा थोड़ी और सख्ती करनी चाहिए। मैं तमाशबीन बनकर उसे प्रभु को धोखा देते और निकाल दिए जाते नहीं देख सकता था। जब वह घर आयी, तो मैंने उस पर हाथ उठा दिया। शादी के इतने सालों में मैंने उसे कभी नहीं मारा था। मुझे बहुत अफसोस हुआ, लेकिन फिर सोचा, कहीं वह गलत रास्ते पर चलकर प्रभु का उद्धार न गँवा दे। लेकिन मेरी तमाम सख्ती के बावजूद, चमकती पूर्वी बिजली के प्रति उसकी आस्था बनी रही। मुझे कुछ समझ नहीं आया, फिर मुझे पादरी वांग की उसकी पुस्तकें नष्ट करने वाली बाद याद आयी। मुझे लगा उनकी बात सही है, बिना पुस्तकों के, वह अपनी आस्था का अभ्यास कैसे करेगी? गुस्से में, मैंने उसकी पुस्तकें ढूंढकर नष्ट कर दीं, लेकिन अब भी उसके इरादे में कोई बदलाव नहीं आया। वह हमेशा मेरी नज़रें बचाकर सभाओं में पहुँच जाती और मुझसे कहती कि मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर खुद देखना चाहिए कि वह परमेश्वर की वाणी है या नहीं। सच कहूँ तो मैं दुविधा में था। मेरी पत्नी बड़ी शांत किस्म की है, वह कभी अड़ियल नहीं रही। मुझे समझ नहीं आया कि इस बार वो अड़ क्यों गयी? मैं सोचने लगा आखिर चमकती पूर्वी बिजली क्या उपदेश दे रही है और वह इतनी दृढ़ता से कैसे खिंची चली गयी? मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन नहीं पढ़ना चाहता था। लेकिन जब मुझे पादरी की बात याद आयी, तो मैंने खुद को चेताया, "हमें प्रभु में ही अपनी आस्था टिकाए रखनी चाहिए। भटकाव प्रभु के साथ धोखा होगा!" तो मैंने साफ मना कर दिया।
एक दिन जब मैं कोयले की खान में था, एक सहकर्मी डेटोनेटर सुलगा रहा था कि अचानक उसमें विस्फोट हो गया, और वह उसी वक्त अपनी आँखें खो बैठा। मैं भी पास में ही था, लेकिन मैं बच गया। मैं खौफ से काँप रहा था। मुझे अपने सहकर्मी का अफसोस हुआ, लेकिन मैं खुश भी था कि परमेश्वर ने मुझे बचा लिया। मैं घर पहुँचने तक भी सामान्य नहीं हो पाया था, मैंने अपनी पत्नी को सारी घटना बतायी। उसने कहा, "वह तो सिर्फ आँखों से अंधा हुआ है, लेकिन आप तो आध्यात्मिक रूप से अंधे हैं। मैं हमेशा कहती हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ो, लेकिन आप पढ़ने के बजाय, उसकी निंदा करते हैं। आप परमेश्वर की कृपा से बच गए, लेकिन यह आपके लिए उसकी एक चेतावनी भी है।" उसकी इस बात का मुझ पर असर हुआ। अगर यह मेरे लिए सचमुच परमेश्वर की चेतावनी हुई तो? कुछ दिनों के बाद जब मैं अपनी कंवेयर बेल्ट जाँच रहा था, तो अचानक मुझे चक्कर आ गए और मैं बेल्ट पर गिरते-गिरते बचा। डर से मेरे पसीने छूट गए, अगर मैं गिर जाता, तो मेरा कीमा बन जाता। मैं इतने खौफ में आ गया कि बता नहीं सकता, घर आकर मैंने अपनी पत्नी को बताया। मैंने पूछा, "एक विश्वासी होने के नाते, मैं सुरक्षित क्यों नहीं हूँ? यह क्या हो रहा है?" उसने कहा, "प्रभु यीशु सचमुच आ चुका है। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। आप उसका विरोध करते रहते हैं न, तो यह आपके लिए उसकी चेतावनी है! आपको उससे लड़ना बंद कर देना चाहिए।" मुझे उस वक्त डर लगा और सोचा कि मुझे पत्नी को रोकना नहीं चाहिए। मगर फिर मुझे पादरी की बात याद आयी कि वह दूसरे मार्ग का अनुसरण करके प्रभु को धोखा दे रही है, परमेश्वर मुझे आज़मा रहा है और मुझे उसी में आस्था रखनी चाहिए। मैं उस पर ज़्यादा सोच नहीं पाया, डर गया कि उसकी बात मानकर कहीं डगमगा न जाऊँ। सभाओं में उसके जाने को लेकर, मैं अड़ंगा डालता रहा और गुज़ारिश करता रहा कि वह अपना पाप स्वीकारे और प्रायश्चित करे। लेकिन जब मैंने उसे रोकने की कोशिश की, तो बेवजह मैं कमज़ोर और शिथिल हो गया। लगा जैसे मेरे अंदर बिल्कुल ताकत न हो, मैं काम पर भी नहीं जा सका। बिस्तर पर निर्जीव-सा पड़ा रहा। प्रभु से बार-बार प्रार्थना करता रहा, लेकिन कोई लाभ न हुआ। पत्नी ने कहा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर को पुकारो, बोली कि अब वही बचा सकता है। जब कुछ समझ नहीं आया, तो सोचा कोशिश करके देखता हूँ। मैंने मन ही मन उसे पुकारा : "हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! सर्वशक्तिमान परमेश्वर ..." सर्वशक्तिमान परमेश्वर को पुकारते ही मेरी ताकत लौटने लगी, मैं हैरान रह गया। ऐसा और भी कई बार हुआ। मैं जब भी पत्नी के रास्ते का रोड़ा बनता, मेरी पूरी ताकत चली जाती और मैं बेकार हो जाता। लेकिन जैसे ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर से प्रार्थना करता, धीरे-धीरे मेरी ताकत लौट आती। उसके बाद, मैं इतना कठोर नहीं रहा, और मैं समर्पण करने लगा। मैं सोचने लगा, क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर वाकई लौटकर आया प्रभु यीशु हो सकता है? अगली बार जब पत्नी ने मुझसे सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने को कहा, तो मैं मान गया।
उसी दिन मैंने कुछ लोगों को अपनी साली के घर पर चमकती पूर्वी बिजली का सुसमाचार साझा करते देखा। एक बहन ने व्यवस्था के युग से लेकर अनुग्रह के युग तक परमेश्वर के कार्य के बारे में, इंसान को उसके पापों से छुटकारा दिलाने के लिए प्रभु यीशु के सूली पर चढ़ने के कार्य के बारे में चर्चा की। फिर उसने, अंत के दिनों में परमेश्वर के लौटकर आने, सत्य व्यक्त करने, न्याय-कार्य करने, इंसान को उसकी पापी प्रकृति से मुक्त करने, हमें पूरी तरह से शुद्ध करने, बचाने और उसके राज्य में ले जाने के बारे में संगति करने के लिए प्रभु यीशु के वचनों और बाइबल की भविष्यवाणियों को भी शामिल किया। उसने इस पर भी चर्चा की कि स्वर्गारोहण क्या होता है, बुद्धिमान और मूर्ख कुँवारियाँ कौन होती हैं आदि। उसकी संगति एकदम स्पष्ट और बाइबल के अनुरूप थी। मेरा दिल प्रकाशित हो गया। बतौर ईसाई, मैंने ऐसी संगति कभी नहीं सुनी थी। मैंने सोचा, बेशक चमकती पूर्वी बिजली के उपदेशों में पवित्र आत्मा का कार्य है और उससे मुझे बहुत पोषण मिला। मैं हैरान था कि कलीसिया के याजक-वर्ग ने हमें इससे अलग क्यों रखा, मैं कलीसिया जाकर उनसे संगति करना चाहता था ताकि वे भी चमकती पूर्वी बिजली के बारे में सब कुछ सुन सकें, और विचार कर सकें कि क्या वह सच्चा मार्ग है। इससे पहले कि मैं उनसे मिलने जाता, वे ही मेरे घर चले आए, और इस बात का आग्रह करने लगे कि मेरी पत्नी चमकती पूर्वी बिजली को त्याग दे। मेरी पत्नी ने उनसे दो-तीन घंटे बहस की, यह देखकर कि वह अपनी आस्था में अडिग है, पादरी वांग उस पर चिल्लाए, "तुम मेरी बात सुनने के बजाय, चमकती पूर्वी बिजली में आस्था रखने पर ही अड़ी हुई हो। यह धर्म-त्याग और प्रभु से धोखा है! प्रभु से अलग होकर तुम सुरक्षित नहीं रहोगी, और अगर तुम्हें कुछ हो जाता है तो कलीसिया तुम्हारा साथ नहीं देगी!" दूसरे पादरी ने भी उसे फटकारा : "तुम प्रभु से मुँह मोड़ रही हो, तुम्हें अभी पाप स्वीकार करके प्रायश्चित करना चाहिए। वरना तुम्हें कलीसिया से निकाल दिया जाएगा!" वे चाहते थे कि मेरी पत्नी घुटनों पर बैठकर प्रभु से माफी माँगे। मुझे उनके आक्रामक रवैये से चिढ़ हो रही थी, मैंने सोचा, "अगर आपको उसकी आस्था सही नहीं लग रही, तो भी आप मनमाने ढंग से आलोचना और निंदा नहीं कर सकते। आपको क्षमाशील, प्रेममय और मददगार होना चाहिए, उसके साथ तसल्ली से संगति करनी चाहिए। यही प्रभु की इच्छा है। आप इतने अहंकार से बात कैसे कर सकते हैं?"
मैं रात भर करवटें बदलता रहा। मैं समझ नहीं पाया कि वे पादरी होकर भाई-बहनों के साथ ऐसे कैसे पेश आ सकते हैं? उनमें ज़रा भी दया, प्रेम और धीरज नहीं है, और प्रभु हमें यही तो सिखाता है। ये कैसा याजक-वर्ग है? मुझे हैरानी हुई जब पूरी कलीसिया में मेरी पत्नी के बारे में तेज़ी से अफवाहें फैल गयीं, सब लोग कहने लगे कि यह चमकती पूर्वी बिजली में आस्था रखती है और पागल हो गयी है। मुझे बहुत गुस्सा आया। सभा में मैंने पादरी वांग से पूछा : "मेरी पत्नी एकदम ठीक है, आप उसे पागल क्यों कह रहे हैं? आप इस तरह से अफवाह कैसे फैला सकते हैं?" मुझे सदमा लगा जब वे बेपरवाही से बोले, "हमें डर है कि बाकी लोग भी चमकती पूर्वी बिजली का अनुसरण करके प्रभु को धोखा देंगे, हमें लोगों के जीवन की चिंता है, इसलिए ऐसा बोलना पड़ा ..." मुझे यकीन नहीं हुआ कि एक पादरी के मुँह से ऐसी बात निकली है। प्रभु यीशु ने साफ कहा है : "परन्तु तुम्हारी बात 'हाँ' की 'हाँ,' या 'नहीं' की 'नहीं' हो; क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है" (मत्ती 5:37)। उन्होंने हमें ईमानदारी से बोलना सिखाया है, झूठ को झूठ और सच को सच कहना सिखाया है, हम झूठ, कपट वगैरह नहीं गढ़ सकते। पादरी न केवल सफेद झूठ बोल रहे थे, बल्कि उन्हें इस बात का बुरा भी नहीं लग रहा था। पादरी वांग ने ढिठाई से कह दिया कि भाई-बहनों की भलाई के लिए उन्होंने ऐसा कहा। उनका व्यवहार विश्वासियों जैसा नहीं था। मैं सभा में किसी बात पर ध्यान नहीं दे सका और जल्दी ही वहाँ से निकल गया। पादरियों ने जो अफवाहें फैलायी थीं, उसे लेकर बहुत सारे सगे-संबंधी और यार-दोस्त मेरी पत्नी के बारे में पूछने के लिए आने लगे, पूरा पास-पड़ोस कानाफूसी कर रहा था। हम पति-पत्नी परेशानी में फँस गए। मैं पादरी के व्यवहार से आहत और मायूस था और लगातार प्रार्थना कर रहा था। "हे प्रभु, विश्वासियों को चमकती पूर्वी बिजली की जाँच-पड़ताल से दूर रखने के लिए पादरी सच को तोड़-मरोड़ रहे हैं और मेरी पत्नी के बारे में झूठ फैला रहे हैं। मैं उनकी हरकतों से ज़रा भी सहमत नहीं हूँ। प्रभु, मैंने चमकती पूर्वी बिजली के उपदेश सुने हैं मुझे वे अद्भुत और व्यवाहारिक लगे, लेकिन मैं तुझे धोखा देने से डरता हूँ। समझ में नहीं आ रहा क्या करूँ। मुझे प्रबोधन और विवेक दो।"
मैं थोड़े वक्त के लिए खो-सा गया और चमकती पूर्वी बिजली के लोगों के साथ हुई संगति पर विचार करने लगा। वे लोग बहुत गरिमामय थे और स्नेह से बात कर रहे थे। वे मुझे धर्म-निष्ठ लगे, प्रभु के वचनों पर उनकी संगति भी मुझे बहुत प्रबुद्ध करने वाली लगी। वह पादरियों की बातों से बिल्कुल अलग थी। लेकिन अगर वह सच्चा मार्ग है, तो पादरी और एल्डर उसे स्वीकार क्यों नहीं कर रहे, या वे विश्वासियों को उसकी जाँच-पड़ताल क्यों नहीं करने दे रहे? मैं दुविधा और उलझन की स्थिति में था कि अचानक मुझे प्रताप और अधिकार के साथ यह वाणी सुनाई दी, "कोई संदेह मत कर, सदा आस्था रख!" इस वाणी को सुनकर ऐसा लगा जैसे मैं साक्षात परमेश्वर के सामने हूँ। मैं स्तब्ध रह गया। मैं वहीं ठहर गया, मन में भय-सा महसूस हुआ। मुझे प्रकाशित-वाक्य की भविष्यवाणी का विचार आया, "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:7)। मुझे अपनी पत्नी की बात का भी ख्याल आया जो हमेशा कहती थी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने बहुत से वचन व्यक्त किए हैं। क्या ये वही वचन हैं जो पवित्र आत्मा कलीसियाओं से कहता है? मैंने तभी चमकती पूर्वी बिजली की जाँच-पड़ताल करने का फैसला कर लिया। मेरी पत्नी ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई झोउ को घर पर आमंत्रित किया ताकि वह परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की गवाही दे सकें। मैंने भाई से पूछा, "पौलुस ने बाइबल में कहा है, 'मुझे आश्चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं : पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो' (गलातियों 1:6-8)। पादरी और एल्डर इसे इस तरह समझाते हैं कि अगर हम प्रभु के मार्ग से भटककर कोई और सुसमाचार सुनेंगे, तो वह धर्म-त्याग और प्रभु से धोखा होगा। तो क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आस्था रखना प्रभु को धोखा देना नहीं होगा?" उन्होंने कहा, "पादरी और एल्डर इसकी व्याख्या इस तरह करते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखना प्रभु के मार्ग से अलग होना है, अन्य सुसमाचार सुनना और परमेश्वर को धोखा देना है। तो क्या यह पौलुस की बात को सही ढंग से समझाता है? क्या वे इस बात की गारंटी दे सकते हैं, पौलुस ने जिस 'अन्य सुसमाचार' का हवाला दिया, वह अंत के दिनों में परमेश्वर की वापसी का राज्य सुसमाचार है? क्या पौलुस ने ऐसा ही कहा था?" मैं अवाक रह गया। मुझे एहसास हुआ कि पौलुस ने ऐसा कभी नहीं कहा। फिर उन्होंने आगे संगति की : "पौलुस की चेतावनी का संदर्भ यह था कि उसने यह बात प्रभु यीशु द्वारा छुटकारे का कार्य समाप्त करने के तुरंत बाद कही थी, जब परमेश्वर के स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया जा रहा था। बहुत सारे गलातियों ने प्रभु यीशु को स्वीकार लिया था, लेकिन कुछ ने भटककर अन्य सुसमाचार में आस्था रखनी शुरू कर दी थी। पौलुस के पत्र लिखने के पीछे यही आशय था, वह गलातियों से आग्रह कर रहा था, अनुग्रह के युग में चेतावनी दे रहा था, केवल एक ही सुसमाचार था, वह था प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य का सुसमाचार। यदि कोई प्रभु यीशु के सुसमाचार से अलग अन्य सुसमाचार का प्रचार करता है, तो वह 'अन्य सुसमाचार' है और वह लोगों को भटकाता है। परमेश्वर ने अंत के दिनों का कार्य नहीं किया था और जब पौलुस ने ऐसा कहा था तो उस समय कोई अंत के दिनों के सुसमाचार को साझा नहीं कर रहा था। इसलिए पौलुस ने जो कहा उसका मतलब अंत के दिनों में प्रभु की वापसी के सुसमाचार से नहीं था। पौलुस के वचनों को अंत के दिनों में परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की निंदा करने के लिए अनुग्रह के युग की कलीसियाओं पर मनमर्जी से इस्तेमाल करके, वे लोग चीज़ों को संदर्भ से हटकर ले रहे हैं और बाइबल की गलत व्याख्या कर रहे हैं। क्या यह बेतुकी बात नहीं है?"
भाई झोउ की संगति ने, मुझे पादरी की कही बातों की कुछ समझ तो दी, लेकिन अभी भी थोड़ी आशंका थी। प्रभु में आस्था का मतलब है उसके नाम और उसके मार्ग के प्रति निष्ठावान होना। अगर मैं चमकती पूर्वी बिजली को स्वीकार कर लूँ, तो क्या वह प्रभु के साथ धोखा नहीं होगा? उन्होंने कहा, "ज़रा सोचो। जब प्रभु यीशु ने प्रकट होकर कार्य किया, तो यहोवा परमेश्वर के बहुत से विश्वासियों ने प्रभु के मार्ग के बारे में सुना और वे उसका अनुसरण करने लगे। तो क्या वे यहोवा परमेश्वर को धोखा दे रहे थे? बिल्कुल नहीं। वे मेमने के पदचिह्नों का अनुसरण कर रहे थे। वे परमेश्वर के पक्के अनुयायी थे। मगर जो लोग ज़िद करके पुराने नियम से चिपके रहकर प्रभु यीशु को नकार रहे थे, वे यहोवा परमेश्वर के प्रति समर्पित तो दिखते थे, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हीं लोगों ने परमेश्वर के विरुद्ध सबसे अधिक विद्रोह और उसका विरोध किया। वे केवल परमेश्वर के पिछले कार्य को कायम रखे हुए थे, लेकिन वे परमेश्वर के वर्तमान कार्य और वचनों को न तो स्वीकार कर रहे थे और न ही उनके प्रति समर्पित थे। बल्कि उन्होंने उनकी निंदा की और उनके विरुद्ध लड़ाई की। यही वजह है कि उन्हीं लोगों ने प्रभु को धोखा दिया, परिणाम यह हुआ कि उन्हें नकार कर हटा दिया गया।" भाई झोउ ने यह भी कहा, "परमेश्वर का कार्य हमेशा आगे ही बढ़ता रहता है, वह अपनी प्रबंधन योजना और इंसान की ज़रूरतों के अनुसार हमेशा नए और ऊँचे कार्य करता है। अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु का छुटकारे का कार्य केवल हमें अपने पापों से छुटकारा दिलाना था, ताकि जब हम पाप करें, तो प्रार्थना करने पर प्रभु यीशु हमें माफ कर सके। लेकिन उससे हमारी पापी प्रकृति से छुटकारा नहीं मिलता था। हम अब भी निरंतर पाप करने और उसे स्वीकार करने के कुचक्र में ही फँसे हुए हैं, पाप के बंधन से छूट नहीं पा रहे हैं। इन दिनों प्रभु के विश्वासी किस तरह की स्थिति में जी रहे हैं? वे हमेशा नाम और रुतबे के लिए झूठ बोलते हैं, कपट करते हैं, संसारी तौर-तरीके अपनाते हैं, पैसे के लालची हैं। विश्वासी आपस में लड़ते हैं, ईर्ष्या करते हैं, एक-दूसरे की आलोचना करते हैं, आपस में कोई प्रेम नहीं है। सहकर्मी षड्यंत्रों और सत्ता-संघर्ष में लिप्त रहते हैं जिससे कलीसियाओं का नुकसान होता है। पादरी और एल्डर लौटकर आये प्रभु के कार्य की कोई जाँच-पड़ताल नहीं करते, बल्कि अफवाहें गढ़ते हैं, विरोध और निंदा करते हैं, दूसरों को सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से रोकते हैं। कुछ ने तो सीसीपी की मदद भी की है, अंत के दिनों का सुसमाचार साझा करने वालों को पुलिस के हाथों गिरफ्तार करवाया है।" उन्होंने कहा, "परमेश्वर धार्मिक और पवित्र है, और उसका राज्य पवित्र मैदान है। परमेश्वर पापियों और परमेश्वर-विरोधियों को अपने राज्य में प्रवेश की अनुमति कैसे दे सकता है? इसीलिए प्रभु यीशु ने वापस आने का वादा किया था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में आया है, सत्य व्यक्त कर रहा है और प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की बुनियाद पर न्याय का कार्य कर रहा है। यह हमारी पापी प्रकृति का समाधान करने के लिए है ताकि हम पूरी तरह से पाप से मुक्त हो सकें, परमेश्वर हमें बचा सके और अपने राज्य में ले जा सके। इससे प्रभु यीशु की यह भविष्यवाणी साकार होती है : 'जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा' (यूहन्ना 12:48)। 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)।"
फिर भाई झोउ ने अपनी संगति में परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़े। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया, फिर भी उसने केवल समस्त मानवजाति की मुक्ति का कार्य पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना; उसने मनुष्य को उसके समस्त भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। मनुष्य को शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से बचाने के लिए यीशु को न केवल पाप-बलि बनने और मनुष्य के पाप वहन करने की आवश्यकता थी, बल्कि मनुष्य को उसके शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए स्वभाव से मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़ा कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, अब जबकि मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिया गया है, परमेश्वर मनुष्य को नए युग में ले जाने के लिए वापस देह में लौट आया है, और उसने ताड़ना एवं न्याय का कार्य आरंभ कर दिया है। यह कार्य मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में ले गया है। वे सब, जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे, उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़े आशीष प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे और सत्य, मार्ग और जीवन प्राप्त करेंगे" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')। "यहोवा के कार्य के बाद, यीशु मनुष्यों के मध्य अपना कार्य करने के लिए देहधारी हो गया। उसका कार्य अलग से किया गया कार्य नहीं था, बल्कि यहोवा के कार्य के आधार पर किया गया था। यह कार्य एक नए युग के लिए था, जिसे परमेश्वर ने व्यवस्था का युग समाप्त करने के बाद किया था। इसी प्रकार, यीशु का कार्य समाप्त हो जाने के बाद परमेश्वर ने अगले युग के लिए अपना कार्य जारी रखा, क्योंकि परमेश्वर का संपूर्ण प्रबंधन सदैव आगे बढ़ रहा है। जब पुराना युग बीत जाता है, तो उसके स्थान पर नया युग आ जाता है, और एक बार जब पुराना कार्य पूरा हो जाता है, तो परमेश्वर के प्रबंधन को जारी रखने के लिए नया कार्य शुरू हो जाता है। यह देहधारण परमेश्वर का दूसरा देहधारण है, जो यीशु का कार्य पूरा होने के बाद हुआ है। निस्संदेह, यह देहधारण स्वतंत्र रूप से घटित नहीं होता; व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के बाद यह कार्य का तीसरा चरण है। हर बार जब परमेश्वर कार्य का नया चरण आरंभ करता है, तो हमेशा एक नई शुरुआत होती है और वह हमेशा एक नया युग लाता है। इसलिए परमेश्वर के स्वभाव, उसके कार्य करने के तरीके, उसके कार्य के स्थल, और उसके नाम में भी परिवर्तन होते हैं। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि मनुष्य के लिए नए युग में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करना कठिन होता है। परंतु इस बात की परवाह किए बिना कि मनुष्य द्वारा उसका कितना विरोध किया जाता है, परमेश्वर सदैव अपना कार्य करता रहता है, और सदैव समस्त मानवजाति का प्रगति के पथ पर मार्गदर्शन करता रहता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" की 'प्रस्तावना')। इसे पढ़ने के बाद, उन्होंने कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर न्याय का कार्य करता है, भले ही यह प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य और व्यवस्था के युग में यहोवा परमेश्वर के कार्य से अलग है, फिर भी यह कार्य के उन्हीं दो चरणों की बुनियाद पर बना है। यह कार्य का वह चरण है जो इंसान को (पूरी तरह) शुद्ध करने और बचाने के लिए परमेश्वर अंत के दिनों में करता है। कार्य का हर चरण पिछले कार्य से अधिक उन्नत हो जाता है, लेकिन ये सारे कार्य उसी परमेश्वर द्वारा किए जाते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है, और हमारी पाप-मुक्ति और शुद्धिकरण का एकमात्र तरीका यह है कि हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय-कार्य को स्वीकार लें। तभी हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश के अधिकारी बन पाएँगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकारने का मतलब है बुद्धिमान कुँवारी बनना जो प्रभु की वाणी सुनकर उसका स्वागत करती है। यह सिंहासन के सामने उन्नत किया जाना और प्रभु के विवाह भोज में शामिल होना है। यह प्रभु के मार्ग से भटकना या उसे धोखा देना कैसे हुआ?" मैं यह सुनने के लिए बेताब था। मुझे एहसास हुआ कि प्रभु यीशु ने तो केवल हमारे पापों को माफ करने के लिए छुटकारे का कार्य किया था, उसने हमारी पापी प्रकृति का समाधान नहीं किया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने आया है क्योंकि हमें अपनी पापी प्रकृति से मुक्ति दिलाने, हमें शुद्ध करके (पूरी तरह से) बचाने और हमारा उद्धार करने का एकमात्र तरीका यही है, ताकि हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकें। मैं जानता था कि चमकती पूर्वी बिजली को सुनने का मतलब प्रभु को धोखा देना नहीं है, बल्कि उसकी वाणी को सुनना और उसका स्वागत करना है। यह मेमने के पदचिह्नों का अनुसरण करना है! इससे मुझे प्रकाशित-वाक्य का यह पद याद आ गया : "ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4)। अब प्रभु लौट आया है, लौटकर आए प्रभु के वचनों और कार्य को न स्वीकरना उसे धोखा देना है! उस समय, मैं अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पा रहा था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आया प्रभु यीशु है जिसका हम बरसों से इंतजार कर रहे थे! आखिरकार मैं प्रभु का स्वागत कर पाया! मैं अपने जीवनकाल में ही प्रभु की वाणी को सुनकर उसका स्वागत पर पाया—यह उसकी कितनी बड़ी कृपा है! लेकिन मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि मैं इस ढंग से प्रभु का स्वागत करूँगा। लोग बरसों से मेरे साथ सुसमाचार साझा कर रहे थे, लेकिन मैं याजक-वर्ग की झूठी बातें सुनकर हर बार परमेश्वर के लिए द्वार बंद कर देता था, मैंने अपनी पत्नी को सर्वशक्तिमान परमेश्वर में आस्था से दूर रखने के लिए हर कोशिश की। और याजक-वर्ग के उकसावे में आकर, पत्नी की परमेश्वर के वचनों की प्रतियाँ तक नष्ट कर डालीं। मैं सचमुच दंड के लायक हूँ। मैं परमेश्वर के सामने जाने लायक नहीं!
पादरी और एल्डर सभी बाइबल को समझते हैं और बरसों उन्होंने प्रभु की सेवा की है। वे बाइबल से मनमर्जी की चीजें चुनकर और उनकी गलत व्याख्या करके लोगों को गुमराह कैसे कर सकते हैं, विश्वासियों को सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से रोकने के लिए झूठी अफवाहें कैसे फैला सकते हैं? जब भाई-बहनों के साथ संगति की, तब जाकर मुझे चीजें थोड़ी-बहुत समझ में आयीं। सोचो जब प्रभु यीशु कार्य करने के लिए आया। फरीसियों ने उसकी निंदा और विरोध करने के लिए झूठ क्यों गढ़े? यूहन्ना के सुसमचार के अध्याय 11, पद 47 और 48 में लिखा है, "इस पर प्रधान याजकों और फरीसियों ने महासभा बुलाई, और कहा, 'हम करते क्या हैं? यह मनुष्य तो बहुत चिह्न दिखाता है। यदि हम उसे यों ही छोड़ दें, तो सब उस पर विश्वास ले आएँगे, और रोमी आकर हमारी जगह और जाति दोनों पर अधिकार कर लेंगे।'" और मत्ती 23:13–14 में प्रभु यीशु ने फरीसियों को लताड़ा है : "हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो। हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम विधवाओं के घरों को खा जाते हो, और दिखाने के लिए बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हो : इसलिये तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा।" बाइबल के अंश हमें बताते हैं कि फरीसियों ने प्रभु यीशु के बारे में झूठ फैलाने, उससे लड़ने, उसकी निंदा करने और विश्वासियों को भटकाने में सारी हदें पार कर दीं ताकि वे अपना रुतबा और आजीविका कायम रख सकें। उन्होंने दावा किया कि प्रभु यीशु का मार्ग व्यवस्था का उल्लंघन है और यह पाखंड है जो लोगों को भटकाता है। उन्होंने यह कहकर उसका अपमान और तिरस्कार किया कि वह हैवानों के शहज़ादे, शैतान के ज़रिए हैवानों को बहिष्कृत करता है। यहाँ तक कि प्रभु यीशु के पुनरुत्थान के बारे में झूठ बोलने और छिपाने के लिए सैनिकों को घूस भी देते थे। नतीजा यह हुआ कि अधिकतर विश्वासी भटक गए और उन्होंने प्रभु यीशु को नकारकर अपना उद्धार गँवा दिया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रकट होकर अंत के दिनों में कार्य कर रहा है। याजक-वर्ग और धार्मिक जगत जानता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन कितने अधिकार-संपन्न और सामर्थ्यवान हैं, और लोग उनमें परमेश्वर की वाणी को तुरंत पहचानकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण कर सकते हैं। इसलिए यह पादरियों और एल्डरों के लिए बहुत बड़ा खतरा है। अगर सभी लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखेंगे, तो उन्हें कौन सुनेगा? उन्हें कौन भेंट देगा? इसलिए अपने रुतबे और रोजी-रोटी को बचाए रखने के लिए वे लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अपमान करते हैं, उसकी निंदा करते हैं, लोगों को भटकाते हैं, उन्हें परमेश्वर की वाणी सुनने और प्रभु का स्वागत करने से वंचित रखते हैं। उनका सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और विरोध करना उससे अलग कहाँ हुआ जो फरीसियों ने प्रभु यीशु के साथ किया था? जो लोगों को परमेश्वर की शरण में जाने से रोकें, क्या वे मसीह-विरोधी नहीं हुए? आइए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक और अंश पढ़ें। इससे तुम्हें पादरियों का सार समझ में आएगा।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। पादरी दावा करते हैं कि वे अपने झुंडों को बचा रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि वे अपने रुतबे और रोजी-रोटी को बचा रहे हैं। मुझे तो पादरी सच्चे-भक्त लगते थे, लेकिन मैं उनके कृत्यों के पीछे की मंशा नहीं समझ पाया। तभी मैं बेवकूफ बन गया। (अगर हम विचार करें, तो) हम जानते हैं कि प्रभु का स्वागत करना कितनी बड़ी बात है। जब पादरियों और एल्डरों को पता चले कि कोई प्रभु की गवाही दे रहा है, तो उन्हें तुरंत उसकी जाँच-पड़ताल करनी चाहिए, प्रभु की वाणी सुनने और उसका स्वागत करने में भाई-बहनों का मार्गदर्शन करना चाहिए। लेकिन पद और धन के लालच में, वे बाइबल की गलत व्याख्या करने लगते हैं, लोगों को भटकाते हैं, और उन्हें सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से रोकते हैं। जब कोई सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार कर लेता है, तो वे तथ्यों को तोड़-मरोड़कर उनका अपमान करते हैं ताकि विश्वासी उनकी निंदा करें और उन्हें नकार दें। कलीसिया का याजक-वर्ग बेहद धूर्त और दुष्ट है! अपने रुतबे और आजीविका के लिए, वे लोग राज्य में प्रवेश के भाई-बहनों के अवसरों को भी नष्ट करने में नहीं हिचकते। कितनी घटिया हरकत है! कलीसिया का याजक-वर्ग परमेश्वर-विरोधी मसीह-विरोधी है। वह परमेश्वर का शत्रु है। अब मैं सोचता हूँ कि मैं पहले इतना बेवकूफ और अज्ञानी कैसे था? प्रभु के वचन सुने बिना ही उसमें आस्था रखता था, बल्कि पादरियों के झूठ सुनता था, धार्मिक धारणाओं से चिपके रहकर, मैं बार-बार परमेश्वर को नकारता रहा। यहाँ तक कि मैंने अपनी पत्नी को भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकरने से रोका, याजक-वर्ग के साथ मिलकर परमेश्वर के खिलाफ लड़ा। उन्होंने मुझे तबाह कर दिया। सोचकर ही डर लगता है! परमेश्वर के प्रकटन और अंत के दिनों के कार्य ने मेरे सामने कलीसिया के याजक-वर्ग का असली चेहरा दिखा दिया ताकि मैं समझ सकूँ कि वे लोग परमेश्वर-विरोधी फ़रीसी और मसीह-विरोधी हैं, और उनके धोखे और नियंत्रण से मुक्त हो सकूँ। परमेश्वर का कार्य कितना सच्चा है!
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?