उस दिन आकाश विशेष रूप से साफ़ और उजला था (भाग 2)
मैंने बहन के शब्दों पर चिंतन किया और महसूस किया कि उसने जो कहा उसमें बहुत समझदारी थी, इसलिए मैं वहाँ बैठी चुपचाप सुनती रही... बहन ने बात करना जारी रखा: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन ने पहले से ही 'बचाये जाने' और 'पूर्ण उद्धार प्राप्त करने' के रहस्य को खोल दिया है, तो आओ, हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन की ओर ध्यान दें और देखें कि उसे इसके बारे में क्या कहना है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है: 'उस समय यीशु का कार्य समस्त मानव जाति का छुटकारा था। उन सभी के पापों को क्षमा कर दिया गया था जो उसमें विश्वास करते थे; जितने समय तक तुम उस पर विश्वास करते थे, उतने समय तक वह तुम्हें छुटकारा देगा; यदि तुम उस पर विश्वास करते थे, तो तुम अब और पापी नहीं थे, तुम अपने पापों से मुक्त हो गए थे। यही है बचाए जाने, और विश्वास द्वारा उचित ठहराए जाने का अर्थ। फिर भी जो विश्वास करते थे उन लोगों के बीच, वह रह गया था जो विद्रोही था और परमेश्वर का विरोधी था, और जिसे अभी भी धीरे-धीरे हटाया जाना था। उद्धार का अर्थ यह नहीं था कि मनुष्य पूरी तरह से यीशु द्वारा प्राप्त कर लिया गया था, लेकिन यह कि मनुष्य अब और पापी नहीं था, कि उसे उसके पापों से क्षमा कर दिया गया था: बशर्ते कि तुम विश्वास करते थे, तुम कभी भी अब और पापी नहीं बनोगे' ('वचन देह में प्रकट होता है' से 'परमेश्वर के कार्य का दर्शन (2)')। 'मनुष्य को छुटकारा दिये जाने से पहले, शैतान के बहुत से ज़हर उसमें पहले से ही गाड़ दिए गए थे। हज़ारों वर्षों की शैतान की भ्रष्टता के बाद, मनुष्य के भीतर पहले ही ऐसा स्वभाव है जो परमेश्वर का विरोध करता है। इसलिए, जब मनुष्य को छुटकारा दिया गया है, तो यह छुटकारे से बढ़कर और कुछ नहीं है, जहाँ मनुष्य को एक ऊँची कीमत पर खरीदा गया है, परन्तु भीतर का विषैला स्वभाव नहीं हटाया गया है। मनुष्य जो इतना अशुद्ध है उसे परमेश्वर की सेवा करने के योग्य होने से पहले एक परिवर्तन से होकर अवश्य गुज़रना चाहिए। न्याय और ताड़ना के इस कार्य के माध्यम से, मनुष्य अपने भीतर के गन्दे और भ्रष्ट सार को पूरी तरह से जान जाएगा, और वह पूरी तरह से बदलने और स्वच्छ होने में समर्थ हो जाएगा। केवल इसी तरीके से मनुष्य परमेश्वर के सिंहासन के सामने वापस लौटने में समर्थ हो सकता है। …मनुष्य अपनी स्वयं की गहराही माना जाता है कि परमेश्वर मनुष्य के अपराधों का स्मरण नहीं करता है और मनुष्य के अपराधों के अनुसार मनुष्य से व्यवहार नहीं करता है। हालाँकि, जब मनुष्य देह में रहता है और उसे पाप से मुक्त नहीं किया गया है, तो वह, भ्रष्ट शैतानी स्वभाव को अंतहीन रूप से प्रकट करते हुए, केवल पाप करता रह सकता है। यही वह जीवन है जो मनुष्य जीता है, पाप और क्षमा का एक अंतहीन चक्र। अधिकांश मनुष्य दिन में सिर्फ इसलिए पाप करते हैं ताकि शाम को स्वीकार कर सकें। वैसे तो, भले ही पापबलि मनुष्य के लिए सदैव प्रभावी है, फिर भी यह मनुष्य को पाप से बचाने में समर्थ नहीं होगी। उद्धार का केवल आधा कार्य ही पूरा किया गया है, क्योंकि मनुष्य में अभी भी भ्रष्ट स्वभाव है। …यह पाप की अपेक्षा अधिक गहराई तक फैला है, इसे शैतान के द्वारा गाड़ा गया है और यह मनुष्य के भीतर गहराई से जड़ पकड़े हुए है। मनुष्य के लिए अपने पापों के प्रति अवगत होना आसान नहीं है; मनुष्य अपनी स्वयं की गहराई से जड़ जमाई हुई प्रकृति को पहचानने में असमर्थ है। केवल वचन के द्वारा न्याय के माध्यम से ही इन प्रभावों को प्राप्त किया जा सकता है। केवल इस प्रकार से ही मनुष्य को उस स्थिति से आगे धीरे-धीरे बदला जा सकता है' ('वचन देह में प्रकट होता है' से 'देहधारण का रहस्य (4)')। 'तुम सिर्फ यह जानते हो कि यीशु अन्तिम दिनों के दौरान आयेगा, परन्तु वास्तव में वह कैसे आयेगा? तुम जैसा पापी, जिसे बस अभी अभी छुड़ाया गया है, और परिवर्तित नहीं किया गया है, या परमेश्वर के द्वारा सिद् नहीं किया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो अभी भी पुराने मनुष्यत्व के हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और यह कि परमेश्वर के उद्धार के कारण तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुमने अपने आपको नहीं बदला है तो तुम संत के समान कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता के द्वारा घिरे हुए हो, स्वार्थी एवं कुटिल हो, फिर भी तुम चाहते हो कि यीशु के साथ आओ – तुम्हें बहुत ही भाग्यशाली होना चाहिए! तुम परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास में एक चरण में चूक गए हो: तुम्हें महज छुड़ाया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के हृदय के अनुसार होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें बदलने एवं शुद्ध करने के कार्य को करना होगा; यदि तुम्हें सिर्फ छुड़ाया गया है, तो तुम शुद्धता को हासिल करने में असमर्थ होगे। इस रीति से तुम परमेश्वर की अच्छी आशिषों में भागी होने के लिए अयोग्य होगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंध करने के परमेश्वर के कार्य के एक चरण को पाने का ससुअवसर खो दिया है, जो बदलने एवं सिद्ध करने का मुख्य चरण है। और इस प्रकार तुम, एक पापी जिसे बस अभी अभी छुड़ाया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हैं' ("वचन देह में प्रकट होता है" से "पद नामों एवं पहचान के सम्बन्ध में")।
बहन ने सहभागिता जारी रखी: "सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से हम देख सकते हैं कि परमेश्वर द्वारा किए गये कार्य का हर चरण भ्रष्ट मानव जाति की आवश्यकताओं के अनुसार पूरा किया जाता है। व्यवस्था के युग के अंत में, मनुष्य के पास शैतान के प्रलोभन और भ्रष्टता के कारण पाप के बंधनों से मुक्त होने के लिए संघर्ष करने की शक्ति नहीं बची थी। मनुष्य ने यहोवा के नियमों का उल्लंघन किया था और उसे पत्थरों से मार दिए जाने और स्वर्ग की आग से जलाए जाने के खतरों का सामना करना पड़ा था। परमेश्वर मानवजाति से प्यार करता है। उसने पापी मानव देह की समानता में देहधारण किया, और पाप से मनुष्य को बचाने के लिए उसे क्रूस पर कीलों से जड़ दिया गया। इसलिए, जब तक हम प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं, हम बचा लिए जाएँगे। प्रभु अब हमारे पापों को याद नहीं करता है। हम सीधे परमेश्वर के सामने आ सकते हैं और उससे प्रार्थना कर सकते हैं, और उसके द्वारा दिए गए अनुग्रह की बहुतायत का आनंद ले सकते हैं। लेकिन यद्यपि हम बचाए गए हैं, उससे यह साबित नहीं होता है कि हम पाप से रहित हैं। हम, अर्थात मानवजाति हज़ारों सालों से शैतान द्वारा भ्रष्ट हो गई है। शैतान के ज़हर ने हमारे अंदर गहरी जड़ें बना ली हैं, यह ज़हर हमारी प्रकृति, हमारा जीवन बन गया है। हम शैतानी प्रकृति के दंभ और अहंकार, धोखाधड़ी और कुटिलता, स्वार्थ और अवमानना, और लालच तथा बुराई से नियंत्रित होते हैं। परमेश्वर के प्रतिरोध में हम अभी भी झूठ बोलने, धोखा देने और पाप करने में सक्षम हैं। यह पापों को लगातार करने और फिर दोष को स्वीकार कर लेने के हमारे चक्रीय जीवन की जड़ है। इसलिए, भ्रष्ट मानव जाति की माँगों और मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर की प्रबंधन योजना के आधार पर, परमेश्वर मनुष्य को शुद्ध करने और उसके भ्रष्ट स्वभाव को बदलने की खातिर, उसका न्याय करने और उसे ताड़ना देने के लिए, अंत के दिनों में कार्य का एक नया चरण पूरा करने आया है, ताकि अंत में जो लोग उद्धार प्राप्त कर लेते हैं और जिन्हें पूर्ण किया जाता है, वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकें। अगर हम अब भी इस अवधारणा को थामे रहते हैं कि 'एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है,' तो हम अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करने से इंकार कर रहे हैं। यदि मामला ऐसा है, तो शैतान का ज़हर जो हमारे खून में है, वह कभी भी शुद्ध नहीं होगा, और हम कभी भी परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त नहीं कर सकेंगे, स्वर्ग के राज्य में लाए जाने का तो उल्लेख भी नहीं किया जा सकता। ये परिणाम बहुत गंभीर हैं। तो, अब, इन अंत के दिनों में, केवल अनुग्रह के युग से आगे चलकर और अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करके, मनुष्य पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा, परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करेगा और एक अच्छे ठिकाने तक पहुँचेगा।"
जब मैंने बहन द्वारा की गई सहभागिता को सुना, तो मैंने मन ही मन सोचा: "हाँ, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन इतने व्यावहारिक रूप से कहे गए हैं। पिछले कई सालों के दौरान, क्या मैं ऐसा जीवन नहीं जी रही हूँ जिसमें मैं दिन के दौरान कई पाप करती हूँ लेकिन फिर रात में उन्हें स्वीकार कर लेती हूँ? प्रभु में हमारे विश्वास के कारण हमें वास्तव में केवल हमारे पापों के लिए क्षमा किया गया है, लेकिन हमारे पापों की प्रकृति अभी भी मौजूद है। हम अभी भी पाप, और परमेश्वर का विरोध, कर सकते हैं। प्रभु पवित्र है। कैसे वे लोग जो अक्सर पाप करते हैं और उनका विरोध करते हैं, स्वर्ग के राज्य में जा सकते हैं? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मेरे मन में इन मुद्दों की गांठों को खोल दिया है जिनका मुझ पर कई वर्षों से भार था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में वास्तव में एक सच्चाई है जिसे खोजा जा सकता है। क्या यह हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में लौटा हुआ प्रभु है? मुझे वास्तव में इसकी ठीक से जाँच करने की ज़रूरत है..."
मैं धीरे-धीरे उन सतर्कताओं से छुटकारा पा रही थी जो मैंने बहन के खिलाफ़ रखीं थीं, लेकिन जैसे ही मैं उन मामलों की जाँच करने के बारे में सोच रही थी, जिन पर हमने चर्चा की थी, ज़ोरदार और आग्रहपूर्ण दस्तक देने की एक आवाज़ अचानक दरवाजे से आई। बहन ह्यू दरवाजा खोलने के लिए भागी, और एक पादरी को कमरे में घुसने दिया। उसने मुझे देखा, और फिर उसने उस बहन को देखा जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार फैला रही थी, और फिर उसने मुझे आश्चर्य और क्रोध के स्वर में कहा: "तुम यहाँ क्या कर रही हो? क्या मैंने तुम्हें नहीं कहा था कि यहाँ-वहाँ जाकर अपरिचितों के प्रचार को मत सुनना? तुम फिर भी कैसे यहाँ आकर उन्हें सुन सकती हो? जल्दी घर चली जाओ, उन्हें और मत सुनो वर्ना तुम धोखा खा जाओगी और तुम्हारे पश्चाताप के लिए बहुत देर हो जाएगी!" जब पादरी ने मुझे ये बातें सुना लीं, तो उसके बाद वह बहन को धमकी देने लगा: "और तुम लोग जो पूर्वी बिजली का प्रचार रहे हो, तुम हमारी कलीसिया में आकर मेमनों को चुराने के अलावा और कुछ नहीं करते हो! तुरंत चली जाओ, अगर तुम नहीं जाओगी तो मैं इतना विनम्र नहीं रहूँगा!" पादरी को बहन के साथ इस तरह पेश आते देखकर मैं चिढ़ गई, अतः मैंने उससे कहा: "पादरी महाशय, इस बहन के पास कहने के लिए कुछ वाकई अच्छी बातें थीं, और यह सब बाइबल के अनुरूप है। मुझे लगता है कि यह वास्तव में काफी संभव है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु हो। तुम इसे एक बार सुन क्यों नहीं लेते, और फिर हम निर्णय ले सकते हैं। इसके अलावा, क्या बाइबल यह नहीं कहती है कि 'अतिथि-सत्कार करना न भूलना, क्योंकि इसके द्वारा कुछ लोगों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर-सत्कार किया है' (इब्रा.13:2)? हम लोगों के पास जो प्रभु में विश्वास करते हैं, प्यार होना चाहिए, हम लोगों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते। क्या इस बहन को इस तरह से बाहर निकालना परमेश्वर की शिक्षाओं के खिलाफ़ नहीं जाता है?" मुझे यह कहते हुए सुनकर पादरी मुझ पर चिल्लाया: "तुम क्या समझती हो? हम जो यीशु में विश्वास करते हैं, पहले से ही बचाए जा चुके हैं, हमें फिर से बचाए जाने की ज़रूरत नहीं है! वे यहाँ मेमने चुराने आए हैं, उनका स्वागत मत करो!" इस समय जो बहन सुसमाचार फैला रही थी, मुस्कुराई और बोली: "हम सभी प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, हम क्यों बैठकर बातचीत नहीं कर सकते? अगर हम प्रभु की वापसी को चूक जाते हैं तो हमें बहुत खेद होगा—" बहन की बात पूरी होने की प्रतीक्षा किए बिना, पादरी ने उसे बाहर निकालना शुरू कर दिया: "बात मत करो, भले ही तुम्हारे पास कहने के लिए और भी बेहतर चीज़ें हों, मुझे फिर भी उन्हें सुनना नहीं है! तुरंत ही चली जाओ!" और इसी तरह, पादरी इस हद तक चला गया कि बहन को घर से बाहर निकालने के लिए उसे धकेलने, खींचने और गालियाँ देने लगा। बहन के जाने के बाद, पादरी मुझे दुबारा धमकाने लगा: "जल्दी से घर वापस जाओ। अब से तुम्हें पूर्वी बिजली के लोगों के संपर्क में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अन्यथा तुम्हें कलीसिया से निष्कासित कर दिया जाएगा, और यदि ऐसा होता है तो तुम्हें कभी परमेश्वर की सराहना प्राप्त करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का अवसर नहीं मिलेगा..."। उस समय जब मैंने बहन द्वारा दी गई सहभागिता सुन ली थी, मुझे समझ में आ गया था कि प्रभु यीशु ने हमें केवल बचाया था, उसने हमें शुद्ध नहीं किया था, केवल तभी जब प्रभु न्याय के अपने कार्य को पूरा करने के लिए लौटता है, तो मनुष्य को पूरी तरह से शुद्ध करने और बचाने के कार्य को पूरा किया जाएगा। अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को प्राप्त किए बिना, मनुष्य का भ्रष्ट स्वभाव नहीं बदलेगा, और वह परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में समर्थ नहीं होगा। इसलिए, पादरी के शब्दों का मुझ पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा, मुझे बस जो कुछ हुआ उसका सिर हिलाकर सामना करना था, और बाद में मैं घर लौट आई।
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?