उस दिन आकाश विशेष रूप से साफ़ और उजला था (भाग 3)
घर लौटने के बाद, बहन ने जो सहभागिता की थी, उस पर मैं विचार करती रही, और मैंने मन ही मन सोचा: आज वह छोटी बहन बहुत प्यार करने वाली थी, वह वास्तव में पादरी ने जो कहा था वैसी बिलकुल नहीं थी। साथ ही, वह जो कह रही थी वह सब बाइबल में है। इससे पहले मेरा यह विश्वास आधारहीन था कि "एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है।" मैंने उन विगत सारे वर्षों के दरम्यान परमेश्वर में विश्वास करने के बारे में सोचा और महसूस किया कि मैं लगातार उन परिस्थितियों में रहती थी जिनमें मैं पाप किया करती थी और फिर अपना दोष स्वीकार कर लेती थी, लेकिन मैं कभी इसे हल नहीं कर सकी थी, और मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत पीड़ा से गुज़री थी। मुझे लगा कि अगर मैं इसी तरह विश्वास करते रहती, तो अंत में मैं परमेश्वर की सराहना प्राप्त नहीं कर सकती थी। बहन की सहभागिता सुनने के बाद, मैं और भी निश्चित हो गई कि यदि प्रभु में विश्वास करने वाले लोग उद्धार प्राप्त करना चाहते हैं और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना चाहते हैं, तो उन्हें वास्तव में प्रभु यीशु की वापसी में किए गए कार्य को प्राप्त करना होगा जो मनुष्य का न्याय और शुद्धिकरण करता है। तो फिर, अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय का कार्य वास्तव में क्या है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य को कैसे शुद्ध करता और बदलता है?...जब मैं इन बातों पर विचार कर रही थी, तो साथ ही मैं बाइबल के पन्ने भी पलटाये जा रही थी, और तब मैंने एक ऐसा अंश देखा जहाँ प्रभु यीशु कहता है: "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। मैंने देखा कि बाइबल यह भी कहती है कि: "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1पतरस 4:17)। "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:7)। जब मैंने इसे पढ़ा तो मुझे ऐसा लगा कि मैं अंततः एक सपने से जाग उठी थी: जैसा कि पता चलता है, प्रभु यीशु ने बहुत पहले भविष्यवाणी की थी कि अंत के दिनों में परमेश्वर और अधिक सच्चाई को व्यक्त करेगा और काम का एक नया चरण पूरा करेगा। क्या यह मनुष्य का न्याय और शुद्धिकरण के कार्य को करने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर का आना नहीं हो सकता? अफसोस! अगर आज पादरी अंदर आकर मुझे परेशान नहीं करता तो मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के मार्ग के बारे में अधिक सावधानीपूर्वक सुन सकती थी। इससे पहले मैंने हमेशा पादरी और एल्डर्स की बातें सुनी थीं, लेकिन मैंने कभी भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की खोज और जाँच नहीं की थी, मैंने तो पादरी और एल्डर्स ने जो कुछ भी कहा, उसे ही सुना था। आज तक मुझे यह पता नहीं चला था कि मेरे दिल में प्रभु के लिए कोई जगह थी ही नहीं। प्रभु की वापसी का अध्ययन करने में, मैंने प्रभु की इच्छा की खोज नहीं की, बल्कि पादरी और एल्डर्स की बातें सुनी। मैं वास्तव में अत्यंत बेवकूफ़ थी! हम में से जो प्रभु में विश्वास करते हैं उन्हें परमेश्वर को महान मानकर उसे सम्मान देना चाहिए, और हमें प्रभु की वापसी के संबंध में सक्रिय रूप से परमेश्वर के कदमों की तलाश करनी चाहिए, केवल इसी तरह हम परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप होंगे। आज मैंने देखा कि पादरी का काम परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप बिलकुल नहीं हैं। वे जो कुछ भी कहते हैं उसे मैं अब और अपनी आँखों पर पट्टी बांधकर नहीं सुन सकती, मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के मार्ग की खोज और जाँच करनी होगी।
अगले दिन सुबह, सबसे पहले, मैंने बहन ह्यू के घर जाकर उस बहन की तलाश करने का फैसला किया जिसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सुसमाचार का प्रचार किया था, ताकि हम सहभागिता को जारी रख सकें। किसने सोचा होगा कि इससे पहले कि मैं दरवाज़े से बाहर निकलता, बहन ह्यू उस बहन को मेरे घर पर ले आई थी। यह वास्तव में प्रभु का मार्गदर्शन था। उसने पहले चिंतापूर्वक मुझसे पूछा कि क्या मैं उसके पहले वाले दिन पादरी के कारण परेशान हुई था। मैंने बहुत निश्चय से कहा: "नहीं, कल की सहभागिता के बाद, मैं यहाँ वापस आई और सावधानी से मैंने सारी बातों पर विचार किया, और मुझे एहसास हुआ कि वास्तव में केवल प्रभु यीशु में विश्वास करके हम शुद्ध नहीं हो सकते हैं, हमारी भ्रष्ट प्रकृति अभी भी मौजूद है, और इसके होते हुए हम परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे। और भी, मैंने बाइबल का एक परिच्छेद भी पढ़ा जो वास्तव में भविष्यवाणी करता है कि प्रभु अंत के दिनों में न्याय के अपने कार्य को पूरा करने के लिए वापस आएगा। जिस बात को मैं अब सबसे ज्यादा जानना चाहती हूँ वह है: वास्तव में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत के दिनों का न्याय का कार्य क्या है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर का निर्णय का कार्य कैसे मनुष्य को शुद्ध करेगा और बदल देगा?"
बहन ने खुशी से कहा: "परमेश्वर को धन्यवाद हो! तुमने जो प्रश्न पूछा है वह वास्तव में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस महत्वपूर्ण विषय के साथ जुड़ा हुआ है कि कैसे परमेश्वर में हमारा विश्वास हमें उद्धार प्राप्त करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है। आओ, हम देखें कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन में यह बात कैसे कही गई है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है: 'निस्संदेह इस समय जब परमेश्वर देहधारी हुआ, तो उसका कार्य, प्राथमिक रूप में ताड़ना और न्याय के द्वारा, अपने स्वभाव को व्यक्त करना है। इसे नींव के रूप में उपयोग करके वह मनुष्य तक अधिक सत्य को पहुँचाता है, अभ्यास करने के और अधिक मार्ग दिखाता है, और इस प्रकार मनुष्य को जातने और मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से बचाने के अपने उद्देश्य को प्राप्त करता है। राज्य के युग में परमेश्वर के पीछे यही निहित है' ("वचन देह में प्रकट होता है" के लिए प्रस्तावना)। 'जब "न्याय" शब्द की बात आती है, तो तुम उन वचनों के बारे में सोचोगे जो यहोवा ने सभी स्थानों के लिए कहे थे और फटकार के उन वचनों के बारे में सोचोगे जो यीशु ने फरीसियों को कहे थे। अपनी समस्त कठोरता के कारण, ये वचन मनुष्य के बारे में परमेश्वर का न्याय नहीं हैं, ये केवल विभिन्न परिस्थितियों, अर्थात्, विभिन्न हालातों में परमेश्वर द्वारा कहे गए वचन हैं; और ये वचन मसीह द्वारा तब कहे गए वचनों के असमान हैं जब वह अन्त के दिनों में मनुष्यों का न्याय करता है। अंत के दिनों में, मसीह मनुष्य को सिखाने के लिए विभिन्न प्रकार की सच्चाइयों का उपयोग करता है, मनुष्य के सार को उजागर करता है, और उसके वचनों और कर्मों का विश्लेषण करता है। इन वचनों में विभिन्न सच्चाइयों का समावेश है, जैसे कि मनुष्य का कर्तव्य, मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिए, हर व्यक्ति जो परमेश्वर के कार्य को मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होना चाहिए, मनुष्य को किस प्रकार सामान्य मानवता से, और साथ ही परमेश्वर की बुद्धि और उसके स्वभाव इत्यादि को जीना चाहिए। ये सभी वचन मनुष्य के सार और उसके भ्रष्ट स्वभाव पर निर्देशित हैं। खासतौर पर, वे वचन जो यह उजागर करते हैं कि मनुष्य किस प्रकार से परमेश्वर का तिरस्कार करता है इस संबंध में बोले गए हैं कि किस प्रकार से मनुष्य शैतान का मूर्त रूप और परमेश्वर के विरूद्ध दुश्मन की शक्ति है। अपने न्याय का कार्य करने में, परमेश्वर केवल कुछ वचनों से ही मनुष्य की प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता है; वह लम्बे समय तक इसे उजागर करता है, इससे निपटता है, और इसकी काट-छाँट करता है। उजागर करने की इन विधियों, निपटने, और काट-छाँट को साधारण वचनों से नहीं, बल्कि सत्य से प्रतिस्थापित किया जा सकता है, जिसे मनुष्य बिल्कुल भी धारण नहीं करता है। केवल इस तरीके की विधियाँ ही न्याय समझी जाती हैं; केवल इसी तरह के न्याय के माध्यम से ही मनुष्य को वश में किया जा सकता है और परमेश्वर के प्रति समर्पण में पूरी तरह से आश्वस्त किया जा सकता है, और इसके अलावा मनुष्य परमेश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त कर सकता है। न्याय का कार्य जिस चीज़ को उत्पन्न करता है वह है परमेश्वर के असली चेहरे और उसकी स्वयं की विद्रोहशीलता के सत्य के बारे में मनुष्य में समझ। न्याय का कार्य मनुष्य को परमेश्वर की इच्छा की, परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य की, और उन रहस्यों की अधिक समझ प्राप्त करने देता है जो उसके लिए अबोधगम्य हैं। यह मनुष्य को उसके भ्रष्ट सार तथा उसकी भ्रष्टता के मूल को पहचानने और जानने, साथ ही मनुष्य की कुरूपता को खोजने देता है। ये सभी प्रभाव न्याय के कार्य के द्वारा निष्पादित होते हैं, क्योंकि इस कार्य का सार वास्तव में उन सभी के लिए परमेश्वर के सत्य, मार्ग और जीवन का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य है जिनका उस पर विश्वास है। यह कार्य परमेश्वर के द्वारा किया गया न्याय का कार्य है' ("वचन देह में प्रकट होता है" से "मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है")।
परमेश्वर के वचन को पढ़ने के बाद, बहन ने सहभागिता जारी रखी: "परमेश्वर के वचन के माध्यम से हम समझते हैं कि अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय का कार्य मनुष्य को उजागर और विश्लेषित करने के लिए सत्य के कई पहलुओं का उपयोग करता है, और न्याय का यह कार्य उसके धार्मिक और प्रतापी स्वभाव के उपयोग द्वारा पूरा किया जाता है जो मनुष्य के अपराध के प्रति असहिष्णु होता है। परमेश्वर मनुष्य की भ्रष्टता के बारे में सार और सच्चाई को प्रकट करने के लिए, और हमारी उस शैतानी प्रकृति का न्याय करने के लिए जो परमेश्वर के प्रति विरोध और विश्वासघात करती है, अपने वचनों का उपयोग करता है। परमेश्वर के वचनों के न्याय और उसकी ताड़ना का अनुभव करके हमारी कई प्रकार की भ्रष्टता शुद्ध की जाती है, जैसे कि परमेश्वर के कार्य के विषय में बहुत सारी अवधारणाएँ और कल्पना करना, या परमेश्वर के कार्य की जाँच करते समय में अपनी ही अवधारणाओं को सच्चाई मान लेना, जिससे हम अपनी मर्जी के अनुसार परमेश्वर का आकलन, परमेश्वर की निंदा और परमेश्वर का विरोध करते हैं; हालाँकि हम परमेश्वर में विश्वास करते हैं, वास्तव में हम अविश्वासियों से अलग नहीं हैं, हम दोनों प्रसिद्धि और सौभाग्य का पीछा करते हैं, चाहे इसके लिए जो भी क़ीमत चुकानी पड़े, लेकिन एक भी व्यक्ति परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए नहीं जीता है; हम कई चीज़ों को उन दृष्टिकोणों के साथ भी देखते हैं जो परमेश्वर के साथ असंगत हैं, जैसे कि हमारी यह धारणा है कि जब तक हम प्रभु में विश्वास करते हैं, हम बचा लिए जाएँगे, और जब प्रभु आता है तो हम स्वर्गारोहण कर स्वर्ग के राज्य में चले जाएँगे, जबकि वास्तव में परमेश्वर कहता है कि केवल परमेश्वर की इच्छा का पालन करके ही मनुष्य स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकेगा। परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के माध्यम से, इन भ्रष्ट स्वभावों, सोचने के इन गलत तरीकों और जीने के लिए शैतान के नियमों को शुद्ध और परिवर्तित कर दिया जाएगा, और हम परमेश्वर के प्रति अधिक नेकी से आज्ञापालन करेंगे, और साथ ही साथ परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के माध्यम से, हम यह भी पहचान लेंगे कि परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव मनुष्यों के अपराध के प्रति असहिष्णु है, हम जान लेंगे कि परमेश्वर किस प्रकार के व्यक्ति को पसंद करता है, किस प्रकार के व्यक्ति से परमेश्वर घृणा करता है, और हम जानेंगे कि मनुष्य को बचाना परमेश्वर की इच्छा है, हम परमेश्वर का आदर करेंगे, हम जानेंगे कि सच्चाई की खोज कैसे करें, और परमेश्वर की सराहना को प्राप्त करने के लिए हमारे कर्तव्यों को सही तरीके से कैसे पूरा करें। परमेश्वर के वचनों का अनुभव और अभ्यास करके हम सच्चाई को और अधिक समझेंगे। उदाहरण के लिए: हम जान लेंगे कि परमेश्वर में विश्वास करने का अर्थ क्या है; हम जान लेंगे कि वास्तव में उद्धार प्राप्त करने का अर्थ क्या है; हम जानेंगे कि परमेश्वर का अनुपालन करने और परमेश्वर से प्यार करने का अर्थ क्या है; हम जान लेंगे कि परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण करने का अर्थ क्या है। हमारे सभी भ्रष्ट स्वभाव अलग-अलग हद तक बदल जाएँगे, और हमारे जीवन की विचारधाराएँ और हमारी मूल्य-प्रणाली भी परिवर्तित हो जाएँगी। यही न्याय और ताड़ना का वो कार्य है जो परमेश्वर हमारे बीच करता है, तुम इसे परमेश्वर का प्रेमपूर्ण उद्धार भी कह सकती हो। तो, केवल अंत के दिनों के मसीह—सर्वशक्तिमान परमेश्वर के आसन के सामने न्याय को प्राप्त करके हम सत्य को प्राप्त करने में सक्षम होंगे, केवल तभी हम पाप से दूर जा सकेंगे और शुद्ध होकर उद्धार को प्राप्त करेंगे। बहन, क्या तुम इस सहभागिता को स्वीकार कर सकती हो?"
परमेश्वर के वचनों को पढ़ने से और बहन की सहभागिता के माध्यम से, मैं परमेश्वर के कार्य और उसकी इच्छा को समझने लगी। मैंने सहमति में अपना सिर हिलाया, और गहराई से द्रवित हो जाना महसूस किया, और मैंने कहा: "परमेश्वर को धन्यवाद, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को सुनकर, मुझे यह समझ आ गया है कि अंत के दिनों में परमेश्वर मनुष्य का न्याय और शुद्धिकरण का कार्य करने के लिए अपने वचन की सच्चाई का उपयोग करता है। मेरी पिछली खोजें बहुत अस्पष्ट थीं, वे अव्यवहारिक थीं, लेकिन अब मैं समझती हूँ कि यह केवल अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य को स्वीकार करने के माध्यम से ही है कि मनुष्य परमेश्वर द्वारा शुद्ध किया जा सकता है और उद्धार प्राप्त कर सकता है, ताकि वह स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सके। सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु यीशु है! मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को, परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना को, स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ, ताकि मेरा भ्रष्ट स्वभाव किसी दिन जल्द ही बदला जा सके।" जैसे ही बहन ने मेरी बात सुनी, वह खुशी से मुस्कुराई, और उसने लगातार परमेश्वर को अपना धन्यवाद दिया।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे अपने मन की अवधारणाओं से मुक्त कर दिया, और उन्होंने मुझे मेरे भ्रष्ट स्वभाव को हटाने, और शुद्ध हो जाने का, मार्ग दिखाया। मुझे लगता है कि मेरे पास उद्धार प्राप्त करने की खोज में जाने का एक स्पष्ट मार्ग है, और मेरा आत्मा उज्ज्वल और स्थिर महसूस करती है, जैसे कि यह मुक्त हो गई हो। जब मैंने खिड़की से बाहर देखा, तो मुझे लगा कि उस दिन का आकाश विशेष रूप से साफ़ और उजला था। मैंने तुरंत ज़मीन पर झुक गई और मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की: "हे परमेश्वर, मैं तुम्हें धन्यवाद देती हूँ। अपने जीवनकाल में, मैं तुम्हारी वापसी का स्वागत करके और तुम्हारे प्रकटन की गवाही देकर बहुत सम्मानित हुई हूँ। यह मेरे लिए आशीर्वाद है! लेकिन मैं अंधी और अज्ञानी हूँ, क्योंकि मैंने पादरी और एल्डर्स द्वारा फैली अफ़वाहों पर विश्वास किया, मैं अपनी अवधारणाओं और कल्पनाओं को थामे रही, और मैंने लगभग अपना अनंत उद्धार खो ही दिया था! हे परमेश्वर, मैं बहुत अज्ञानी और सुस्त हूँ! मैं पश्चाताप करने के लिए तैयार हूँ, और मैं उद्धार प्राप्त करने के इस अत्यंत दुर्लभ अवसर को संजोए रखती हूँ। मैं आपकी उपस्थिति में अन्य भाइयों और बहनों को लाने के लिए भी तैयार हूँ ताकि वे उद्धार प्राप्त कर सकें! आमेन!"
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?