81 अंत के दिनों में न्याय का कार्य है युग को समाप्त करना

1 अंत के दिन अनुग्रह के युग और व्यवस्था के युग से काफ़ी अलग हैं। अंत के दिनों का कार्य इस्राएल में क्रियान्वित नहीं किया जाता बल्कि अन्यजाति राष्ट्रों के बीच किया जाता है; यह मेरे सिंहासन के सामने, इस्राएल के बाहर के सभी राष्ट्रों और कबीलों के लोगों पर विजय है, ताकि संपूर्ण जगत में मेरी जो महिमा है, वो ब्रह्मांड और नभमंडल को भर सके। यह इसलिए ताकि मैं और अधिक महिमा प्राप्त कर सकूँ, ताकि पृथ्वी के सभी प्राणी मेरी महिमा को हर राष्ट्र को, निरंतर पीढ़ी-दर-पीढ़ी सौंप सकें, और स्वर्ग एवं पृथ्वी के सभी प्राणी मेरी उस समस्त महिमा को देख सकें, जो मैंने पृथ्वी पर अर्जित की है।

2 अंत के दिनों के दौरान क्रियान्वित कार्य विजय का कार्य है। यह पृथ्वी पर सभी लोगों के जीवन का मार्गदर्शन नहीं, बल्कि पृथ्वी पर मानवजाति के सहस्रों-वर्ष लंबे अविनाशी दुःख का अंत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अंत के दिन संपूर्ण युग का उपसंहार हैं। ये परमेश्वर की छह-हज़ार-वर्षीय प्रबंधन योजना की पूर्णता और समाप्ति हैं और ये मनुष्य के दुःखों की जीवन यात्रा का समापन करते हैं। ये समस्त मानवजाति को एक नए युग में नहीं ले जाते या मानवजाति का जीवन जारी नहीं रहने देते; इसका मेरी प्रबंधन योजना या मनुष्य के अस्तित्व के लिए कोई महत्व नहीं होगा।

3 मेरा कार्य केवल छह हज़ार वर्ष तक चलता है और मैंने वादा किया कि समस्त मानवजाति पर उस दुष्ट का नियंत्रण भी छह हजार वर्षों से अधिक तक नहीं रहेगा। इसलिए, अब समय पूरा हुआ। अंत के दिनों के दौरान मैं शैतान को परास्त कर दूँगा, मैं अपनी संपूर्ण महिमा वापस ले लूँगा और मैं पृथ्वी पर उन सभी आत्माओं को वापस प्राप्त करूँगा जो मुझसे संबंधित हैं, ताकि ये व्यथित आत्माएँ दुःख के सागर से बच सकें और इस प्रकार पृथ्वी पर मेरे समस्त कार्य का समापन होगा। इस दिन के बाद, मैं पृथ्वी पर फिर कभी भी देहधारी नहीं बनूँगा और फिर कभी भी पूर्ण-नियंत्रण करने वाला मेरा आत्मा पृथ्वी पर कार्य नहीं करेगा। मैं पृथ्वी पर केवल एक कार्य करूँगा : मैं मानवजाति को पुनः बनाऊँगा, ऐसी मानवजाति जो पवित्र हो और जो पृथ्वी पर मेरा विश्वसनीय शहर हो।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, कोई भी जो देह में है, कोप के दिन से नहीं बच सकता से रूपांतरित

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