80 न्याय से बचने के परिणाम
1
समझता है तू क्या होता है सत्य और न्याय?
ऐसा है अगर, तो न्याय को समर्पित हो जाने को,
प्रोत्साहित करता है तुझे परमेश्वर।
वरना परमेश्वर से प्रशंसा का, या उसके द्वारा
उसके राज्य में लाए जाने का, गँवा देगा तू अवसर।
वफादारी का दावा किया, फिर दग़ा दिया जिसने,
नहीं बख़्शेगा ऐसे गद्दार को परमेश्वर।
ऐसे लोग सज़ा पाएँगे, आत्मा, प्राण और शरीर में।
क्या प्रकाशन नहीं है ये परमेश्वर की धार्मिकता का,
मकसद इंसान के न्याय और उसे प्रकट करने का?
2
जो न्याय स्वीकार करते हैं केवल,
शुद्ध नहीं किये जा सकते कभी मगर,
कर जाते हैं पलायन न्याय-कार्य के मध्य जो,
सदा के लिये नकार देता है उन्हें परमेश्वर।
फरीसियों से ज़्यादा हैं, जघन्य हैं पाप उनके।
चूँकि दग़ा दिया है, विरोध किया है परमेश्वर का उन्होंने।
सेवा तक के लायक नहीं हैं ऐसे लोग,
न ख़त्म होने वाली सज़ा के भागी होंगे वे लोग।
वफादारी का दावा किया, फिर दग़ा दिया जिसने,
नहीं बख़्शेगा ऐसे गद्दार को परमेश्वर।
ऐसे लोग सज़ा पाएँगे, आत्मा, प्राण और शरीर में।
क्या प्रकाशन नहीं है ये परमेश्वर की धार्मिकता का,
मकसद इंसान के न्याय और उसे प्रकट करने का?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है से रूपांतरित