742 वही मनुष्य खुश है जो परमेश्वर का सम्मान करता है
1
एक धार्मिक इंसान था, नाम उसका अय्यूब था,
ईश्वर का भय मानता था, बुराई से दूर रहता था,
ईश्वर उसके कर्मों को सराहता था,
इंसान उसे याद करता था।
अय्यूब का जीवन कीमती था, सार्थक था।
ईश्वर का आशीष था उस पर, मगर उसका
इम्तहान लिया शैतान ने, परीक्षण लिया ईश्वर ने।
ईश्वर की गवाही दी अय्यूब ने,
वो धार्मिक इंसान कहलाने लायक था।
तमाम अनुभवों से गुज़रकर भी,
उसका जीवन ख़ुश था, कोई दुख न था।
अय्यूब सिर्फ़ इसलिए ख़ुश न था
कि ईश्वर ने उसे सराहा था या वो आशीषित था,
बल्कि अनुसरण के कारण भी,
क्योंकि वो अनुसरण कर रहा था
ईश्वर के प्रति श्रद्धा का।
अय्यूब ख़ुश था।
2
इम्तहान के बाद के कुछ दशकों में,
ज़्यादा ठहराव था, अर्थ था अय्यूब के जीवन में।
उसने अनुसरण किया आस्था का, मान्यता का,
ईश्वर-प्रभुता के प्रति समर्पण का।
अय्यूब के जीवन के हर ज़रूरी मोड़ का
हिस्सा थे ये लक्ष्य और मकसद।
जीवन के आख़िरी वर्षों में
वो उनके साथ सुकून से जिया,
अंत का उसने ख़ुशी से स्वागत किया।
तमाम अनुभवों से गुज़रकर भी,
उसका जीवन ख़ुश था, कोई दुख न था।
अय्यूब सिर्फ़ इसलिए ख़ुश न था
कि ईश्वर ने उसे सराहा था या वो आशीषित था,
बल्कि अनुसरण के कारण भी,
क्योंकि वो अनुसरण कर रहा था
ईश्वर के प्रति श्रद्धा का।
अय्यूब ख़ुश था।
3
ईश्वर का भय मानने, बुराई से दूर रहने की कोशिश में,
अय्यूब ने ईश्-प्रभुता को जान लिया था।
ईश्वर के कर्म कितने अद्भुत हैं
इस बात को उसने अपने अनुभव से पहचाना।
अय्यूब ख़ुश था क्योंकि ईश्वर उसके संग था,
ईश्वर से उसका परिचय था,
ईश्वर और उसमें तालमेल था।
अय्यूब ख़ुश था।
अय्यूब सिर्फ़ इसलिए ख़ुश न था
कि ईश्वर ने उसे सराहा था या वो आशीषित था,
बल्कि अनुसरण के कारण भी,
क्योंकि वो अनुसरण कर रहा था
ईश्वर के प्रति श्रद्धा का।
अय्यूब ख़ुश था।
अय्यूब उस सुख और आनंद के कारण ख़ुश था
जो उसे ईश्-इच्छा को जानने से मिला था,
उस भय के कारण ख़ुश था जब देखा उसने
ईश्वर कितना महान, अद्भुत, प्यारा, और निष्ठावान है।
अय्यूब ख़ुश था।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III से रूपांतरित