995 आज की आशीषों को तुम्हें संजोना चाहिए
1
जब ईश्वर हाथों से जग को ऊँचा करता है, लोग खुशी से झूमते हैं।
वे और दुखी नहीं रहते, वे उस पर निर्भर होते हैं।
जब ईश्वर अपना चेहरा छिपाता है, नीचे दबा कर लोगों को,
जल्द ही दम घुटता है उनका, मुश्किल से जीते हैं।
वे मृत्यु से डर कर परमेश्वर को पुकारते हैं।
क्योंकि वे देखना चाहते हैं वो दिन जब उसकी महिमा होगी।
ईश्वर ने कइयों को जग में भेजा और कइयों को निकाला है।
और ईश्वर के हाथों से कई गुज़रे।
कई आत्माएं अधोलोक में फेंकी गईं,
कई रहे हैं देह में, कई फिर से जन्मे हैं।
फिर भी कोई भी स्वर्ग के राज्य के आशीषों का आनंद न ले सका।
2
परमेश्वर का दिन परम है मानव के जीने के लिए।
उनमें तड़प है उसके महान दिन की, इसलिए वे जीवित हैं।
ईश्वर के मुँह से निकला आशीष है कि अंत के दिनों में,
लोग हैं ईश्वर की महिमा को निहारने के क़ाबिल।
समय के साथ छोड़ा जग को कइयों ने अनिच्छा और मायूसी से,
और कई आए दुनिया में आशा और आस्था के साथ।
ईश्वर ने कइयों को जग में भेजा और कइयों को निकाला है।
और ईश्वर के हाथों से कई गुज़रे।
कई आत्माएं अधोलोक में फेंकी गईं,
कई रहे हैं देह में, कई फिर से जन्मे हैं।
फिर भी कोई भी स्वर्ग के राज्य के आशीषों का आनंद न ले सका।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 20 से रूपांतरित