993 परमेश्वर की महिमा के दिन को तुम्हें संजोना चाहिए

1 लोग मेरे आने को बहुमूल्य नहीं समझते हैं, न ही वे मेरी महिमा के दिनों को महत्व देते हैं। वे मेरी ताड़ना प्राप्त करने पर आनंदित नहीं हैं, मेरी महिमा मुझे वापिस लौटाने के इच्छुक तो बिल्कुल भी नहीं हैं, न ही वे दुष्ट के ज़हर को निकाल फेंकने के इच्छुक हैं। इंसान उसी पुराने तरीके से मुझे धोखा देना जारी रखते हैं, अभी भी उसी पुराने तरीके से उज्ज्वल मुस्कुराहट और ख़ुशनुमा चेहरों को पहने हुए हैं। लोग अंधकार की उस गहराई से अनजान हैं जो मानवजाति पर उस समय उतरेगी जब मेरी महिमा उन्हें छोड़ देगी। विशेष रूप से, वे अनजान हैं कि जब समस्त मानव जाति के सामने मेरा दिन आएगा, तब यह उनके लिए नूह के समय के लोगों की अपेक्षा और भी अधिक कठिनाई पैदा करेगा, क्योंकि वे नहीं जानते हैं कि जब इस्राएल से मेरी महिमा चली गई थी तो वह कितना अंधकारमय बन गया था, क्योंकि मनुष्य भूल जाता है कि भोर के समय अंधकार की गहरी रात को गुज़ारना कितना मुश्किल था। जब सूर्य वापिस छुप जाएगा और मनुष्य पर अंधकार उतरेगा, तो वह फिर दोबारा विलाप करेगा और अंधकार में अपने दाँतों को पीसेगा।

2 क्या तुम लोग भूल गए हो, जब मेरी महिमा इस्राएल से चली गई, तो इस्राएलियों के लिए दुःखों के उन दिनों को सहना कितना मुश्किल हो गया था? अब वह समय है जब तुम लोग मेरी महिमा को देखते हो, और यही वह समय भी है जब तुम लोग मेरी महिमा के दिन को साझा करते हो। जब मेरी महिमा गंदी धरती को छोड़ देगी, तब मनुष्य अंधकार के बीच विलाप करेगा। अब महिमा का वह दिन है जब मैं अपना कार्य करता हूँ, और यही वह दिन भी है जब मैं मानवजाति को दुःखों से मुक्त करता हूँ, क्योंकि मैं उसके साथ यातना और क्लेश के पलों को साझा नहीं करूँगा। मैं सिर्फ़ मानवजाति को पूरी तरह से जीतना और मानवजाति के दुष्ट को पूरी तरह से परास्त करना चाहता हूँ।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, एक वास्तविक व्यक्ति होने का क्या अर्थ है से रूपांतरित

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