657 परीक्षण माँग करते हैं आस्था की

1

इम्तहानों के वक्त कमज़ोर हो सकता है इन्सान,

आ सकते हैं मन में उसके गलत ख़्याल।

परमेश्वर की इच्छा को लेकर हो सकता है स्पष्टता का अभाव उसमें,

या कौन-सा मार्ग बेहतरीन है अमल वो जिस पर करे।

मगर अय्यूब की तरह होनी चाहिये परमेश्वर के कार्य में आस्था तुम्हारी,

कमज़ोर था वो, कोसा अपने जन्म के दिन को उसने,

मगर नकारा नहीं उसने कि देता है सबकुछ परमेश्वर,

कि ले भी लेता है सबकुछ परमेश्वर।

सहते हो जो भी शोधन परमेश्वर के वचनों से तुम,

आस्था तुम्हारी पूर्ण करता है परमेश्वर।

इसे छू न पाओ जब तुम, इसे देख न पाओ जब तुम,

तब चाहिये आस्था तुम्हारी। तब चाहिये आस्था तुम्हारी।


2

जब दिखे न कोई चीज़ तब आस्था चाहिये,

जब खुली आँखों से छिपी हो ये,

जब छोड़ न पाओ तुम धारणाएं अपनी,

जब स्पष्ट न हो तुम परमेश्वर के काम पर, तब तुम में आस्था हो,

और तब मजबूत रहकर तुम गवाही दो।

अय्यूब जब पहुँचा इस मुकाम पर,

तब परमेश्वर ने उससे बात की उसे दर्शन देकर।

आस्था ही कराती है परमेश्वर के दर्शन तुम्हें,

आस्था ही कराती है पूर्ण परमेश्वर से तुम्हें।

सहते हो जो भी शोधन परमेश्वर के वचनों से तुम,

आस्था तुम्हारी पूर्ण करता है परमेश्वर।

इसे छू न पाओ जब तुम, इसे देख न पाओ जब तुम,

तब चाहिये आस्था तुम्हारी। तब चाहिये आस्था तुम्हारी।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जिन्हें पूर्ण बनाया जाना है उन्हें शोधन से गुजरना होगा से रूपांतरित

पिछला: 656 परीक्षणों की पीड़ा एक आशीष है

अगला: 658 सच्चा विश्वास क्या है

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें