प्रश्न 17: आपका दावा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों के परमेश्वर यहाँ पृथ्वी पर हैं। और आप कहती हैं, कि आपकी आस्था सच को जीवन के सही मार्ग को, खोजने की चाह से आयी है। मगर मेरा अनुभव कहता है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से अनुयायी यीशु की मिशनरियों की तरह हैं जो सुसमाचार को फैलाते हुए परमेश्वर की गवाही देते हैं परमेश्वर को अपनी देह और आत्मा अर्पित करने के लिये, बेझिझक अपने परिवार, अपने करियर को भी त्याग देते हैं, उन लोगों में, बहुत-से युवा लोग हैं जो अंत के दिनों के मसीह का अनुसरण करने की खातिर, शादी नहीं करना चाहते। आप लोगों के सुसमाचार को फैलाने के लिए सारा-कुछ छोड़ देने की वजह से, ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं। मान लीजिए दुनिया में सभी लोग परमेश्वर की शरण में चले जाएं, तो फिर कम्युनिस्ट पार्टी के साथ कौन रहेगा? पार्टी में कौन विश्वास करेगा? इसी वजह से सरकार विश्वासियों का, दमन करती है और उन्हें गिरफ्तार करती है। क्या आपको इसमें कोई समस्या नज़र आती है? आपकी ऐसी आस्था के कारण ही इतने सारे लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है इतने सारे लोग घर छोड़कर भाग गये हैं। इतने सारे दंपत्तियों ने तलाक ले लिया है, और इतने सारे बच्चे बिना मां-बाप के हो गये हैं। बुजुर्गों की देखभाल करनेवाले, कोई नहीं हैं। परमेश्वर में आपकी ऐसी आस्था आपके ही परिवारों को तकलीफ पहुंचा रही है। आप क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या यही आपका वो सच्चा मार्ग है जिस पर आपकी अगुवाई हुई है? पारंपरिक चीनी संस्कृति मां-बाप से जुड़ाव को बहुत मूल्यवान मानती है। कहा गया है: "मां-बाप का प्रेम सबसे ऊपर।" कन्फ्यूशियस ने कहा था: "जब आपके मां-बाप जीवित हों, तो बहुत दूर की यात्रा न करें।" मां-बाप के प्रति आदर की भावना मनुष्य के चाल-चलन की बुनियाद है। आप जिस प्रकार से परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, कि जिन्होंने आपको जीवन और पोषण दिया, उन्हीं की देखभाल न कर पायें, तो यह इंसानों द्वारा अनुसरण के लिए सही मार्ग कैसे हो सकता है? मैं अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुनती हूँ, कि विश्वासी सबसे अच्छे लोग होते हैं। यह गलत नहीं है। लेकिन परमेश्वर की आराधना करनेवाले और उन्हें सबसे ऊपर माननेवाले आप सभी लोग, यह कम्युनिस्ट पार्टी को आग-बबूला कर देती है यह उनमें नफ़रत भर देती है। आप जगह-जगह जाकर सुसमाचार फैलाते हैं, और फिर भी आप अपने ही परिवार की देखभाल नहीं कर सकते। इसे अच्छा चाल-चलन कैसे माना जा सकता है? क्या ऐसा नहीं लगता कि आपकी आस्था आपको अपने रास्ते से एक गलत मोड़ पर घुमाकर ले जाती है? आप जो-कुछ भी कर रहे हैं, उससे क्या आप हमारे समाज में सद्भाव और संतुलन को नष्ट नहीं कर रहे हैं? मेरी आपको सलाह है यह गलती करते न रहें। आपको अपनी आस्था छोड़कर, अपने घर, अपने परिवार में लौट जाना चाहिए, उनकी देखभाल करनी चाहिए, और एक सामान्य जीवन जीना चाहिए। संतान और माँ–बाप होने के नाते यह आपका कर्तव्य है। इंसानों को यही करना चाहिए यही व्यावहारिक है।

उत्तर: आपका ये कहना कि हमने परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए अपना घर-परिवार, करियर, सब छोड़ कर, गलती की है, तो आप बिल्कुल गलत हैं। आप एक नास्तिक हैं मुझे बताएं, मानवता को किस रास्ते पर चलना चाहिए? क्या आप जानती हैं? क्या आप देख सकती हैं कि सारा अंधकार दुनिया की बुराइयां, कहाँ से आती हैं? क्या आप देख सकती हैं, कि हम इंसान पाप में क्यों जीते हैं और क्यों संघर्ष करते हैं? क्या आपको लगता है पाप के आनंद का मज़ा लेना खुशी है? अब देहधारी परमेश्वर हम लोगों को, पाप से मुक्त कराने, आये हैं, प्रकाश की ओर और एक अच्छी मंज़िल की ओर ले जाने के लिए। भ्रष्ट मानवजाति के लिए यह एक अद्भुत समाचार है। शैतान ने हममें से किसी को भी भ्रष्ट करने से नहीं छोड़ा। हमें परमेश्वर के कार्य को और उनके द्वारा बोले गए सब सत्य को स्वीकार कर लेना चाहिए। यही शुद्धिकरण और हमारे उद्धार पाने का एकमात्र रास्ता है। हम इंसानों को इसी मार्ग पर चलना चाहिये। आप मुझसे कैसे कह सकती हैं कि यह गलत है? आपके नज़रिये से, प्रभु यीशु के अनुयायियों ने प्रभु का अनुसरण करने के लिए अपने परिवारों को त्याग दिया और यह एक गलत मार्ग है। पश्चिमी मिशनरियाँ अपने प्रियजनों को छोड़कर, चीन आ गईं, उन्होंने अपना जीवन प्रभु यीशु से उद्धार की गवाही देने में लगा दिया, कुछ लोगों ने तो इसके लिए अपना जीवन भी दे दिया। और आप दावा करती हैं कि वे निर्दयी थे? वे परमेश्वर की इच्छा का पालन कर रहे थे ताकि लोग, उद्धार पा सकें। वे हितैषी थे; परमेश्वर की इच्छा का पालन करने में, यह सबसे बड़ा धर्मी कार्य था, प्रभु यीशु ने कहा था: "यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्‍चों और भाइयों और बहिनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता" (लूका 14:26)। "और जो अपना क्रूस लेकर मेरे पीछे न चले वह मेरे योग्य नहीं" (मत्ती 10:38)। दो हज़ार साल तक, अनगिनत ईसाइयों ने अपने परिवारों को और नौकरी-पेशों को त्याग दिया और परमेश्वर के सुसमाचार को फैलाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनकी नि:स्वार्थी कोशिशों के कारण ही, दुनिया के कोने-कोने में, लोग प्रभु के उद्धार के बारे में जान सके हैं। आज सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में, प्रभु यीशु लौट आये हैं, उन्होंने अंत के दिनों में मनुष्य को शुद्ध करने और उसे बचाने की खातिर न्याय का कार्य करने के लिए सत्य बोला है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के ईसाई, अपनी हर प्यारी चीज़ का त्याग कर देते हैं और उद्धारकर्ता, अंत के दिनों के मसीह, की गवाही देने के लिए सब-कुछ समर्पित कर देते हैं, ताकि ज़्यादा लोग परमेश्वर के वचन सुन सकें, अंत के दिनों के उनके शुद्धिकरण और उद्धार को स्वीकार कर, एक अच्छी मंज़िल तक पहुँच सकें। और आपको लगता है हम गलत हैं? यह पूरी तरह से बाइबल के मुताबिक़ है परमेश्वर के मुताबिक़।

आपका कहना है, कि विश्वासियों द्वारा सुसमाचार को फैलाने के लिए, परिवारों को अलग कर देने की वजह से बहुत-से ईसाई परिवार टूट जाते हैं। क्या यह वाकई सच है? सभी जानते हैं कि, जब से सीसीपी सत्ता में आयी है, उन लोगों ने धार्मिक आस्थाओं पर अत्याचार किया है, ईसाई धर्म को कुपंथ बोला, और पवित्र बाइबल पर एक कुपंथी किताब होने का ठप्पा लगाया है। वे परमेश्वर के विश्वासियों को गिरफ्तार कर उन पर अत्याचार करते हैं, अनगिनत ईसाइयों को जेल में ठूंस देते हैं, जबकि अनगिनत ईसाइयों को अपाहिज बना दिया जाता है और मार डाला जाता है। कौन है जो परिवारों को वाकई नष्ट कर रहा है? कौन है जो ईसाइयों को घर लौटने लायक नहीं छोड़ता, परिवार के सदस्यों को, एक-दूसरे से तोड़ कर अलग करता है? क्या यह पूरी त्रासदी, कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा ईसाइयों पर अत्याचार का नतीजा नहीं है? जब प्रजातांत्रिक पश्चिमी देशों में ईसाई, सुसमाचार को फैलाने के लिए परिवार और नौकरी-पेशे को अलग छोड़ देते हैं, तो क्या कारण है कि उनके परिवार अटूट रहते हैं? यहाँ क्या हो रहा है? ऐसा क्यों है कि चीन में, जहां कम्युनिस्ट पार्टी का राज है, परमेश्वर में विश्वास करना इतना बड़ा अपराध है? किस देश में इस प्रकार के क़ानून हैं? ये किस प्रकार के शासक हैं? कभी मेरा एक अच्छा परिवार हुआ करता था। चीन की कम्युनिस्ट पुलिस को जब मेरी आस्था का पता चला तो उन्होंने मुझे ढूंढ़ निकाला। मैं बस भाग ही सकती थी। उन्होंने मेरे परिवार का भी पीछा किया। उन्होंने न केवल हमारे घर की निगरानी की हमारे फोन की भी टैपिंग की, वे मेरी बेटी के स्कूल में गये मुझे गिरफ्तार करने के इरादे से यह कह कर कि मैं एक राजनीतिक अपराधी हूँ। नतीजा यह हुआ, कि शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने मेरी बेटी के साथ भेदभाव किया और उसे स्कूल से जबरन बाहर निकाल दिया गया। उस साल, वो सिर्फ चौदह साल की थी। मैं हमेशा उसके बारे में, सोचती थी। माँ-बाप की कमी महसूस करती थी लेकिन कभी उन्हें फोन करने की हिम्मत नहीं हुई। कई बार, मैं अपने गाँव से होकर गुज़री लेकिन मैं बस दूर से ही देख सकती थी, वहां जाने की हिम्मत नहीं कर सकती थी। ऐसा लगता है कि मेरे पास विकल्प था, लेकिन दरअसल मुझे जाने की इजाज़त भी नहीं थी। गिरफ्तारी के वारंट के कारण, मेरे पति की नौकरी पर असर पड़ा, और आखिरकार, उन्होंने मुझे तलाक दे दिया। मेरा परिवार पूरी तरह से बिखर गया। और इसके लिए कौन जिम्मेदार था? मेरे परिवार के पास देखभाल करनेवाला कोई नहीं है। तो फिर यहाँ अपराधी कौन है? क्या इसकी ज़िम्मेदार चीनी कम्युनिस्ट सरकार नहीं है? वे विश्वासियों पर अत्याचार करने के लिए, ज़िंदा रहने के हमारे हक़ को छीनने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं। और फिर वे हमारे परिवारों के पीछे लग जाते हैं। स्वर्ग का क़ानून इसे बरदाश्त नहीं करेगा! हम जिस मार्ग पर चलते हैं वह बिल्कुल सही है। तो फिर किसलिए वे हमारे साथ ऐसे क्यों पेश आते हैं? हमें हानि क्यों पहुंचाते हैं? क्या वे इसी को "महानता गौरव और इंसाफ" कहते हैं? कम्युनिस्ट पार्टी किसी भी विश्वासी को गिरफ्तार कर, अनगिनत ईसाई घर-परिवारों को तोड़ देती है। और फिर उनकी ये गुस्ताख़ी वे दावा करते हैं कि ये हमने खुद किया है और सबसे कहते हैं दुनिया की तमाम दिक्कतों की वजह हमारी आस्था है कि ईसाई सामाजिक व्यवस्था को भंग करते हैं। कम्युनिस्ट पार्टी सच्चाई को बेशर्मी से तोड़-मरोड़ रही है सरासर झूठ बोल रही है! और ऐसा करते हुए उन्हें ज़रा भी शर्म नहीं आती!

"साम्यवाद का झूठ" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 16: आपका दावा है कि, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंत के दिनों में परमेश्वर का प्रकटन हैं सत्य है। आपका, यह भी दावा है, कि परमेश्वर ने इस संसार की रचना की और वे इस पर राज करते हैं। कि पूरे इतिहास में परमेश्वर मानवता का, मार्गदर्शन कर उसे बचा रहे हैं। मुझे बताएं आपकी इन आस्थाओं का तथ्यात्मक आधार क्या है? हम कम्युनिस्ट पार्टी में, सभी लोग नास्तिक हैं। हम परमेश्वर के शासन को या उनके अस्तित्व को ज़रा भी नहीं मानते। और आप जिन देहधारी परमेश्वर में, विश्वास करते हैं उनको तो और भी नहीं। जिस यीशु में ईसाई विश्वास करते हैं, वो तो साफ़ तौर पर मनुष्य हैं। उनके माता-पिता और भाई-बहन थे। ईसाई धर्म जोर देता है कि एक सच्चे परमेश्वर के रूप में, उनकी आराधना की जाए। पूरी बकवास। सर्वशक्तिमान परमेश्वर यीशु जैसे ही हैं आप और मुझ जैसे साधारण इंसान। किस वजह से, आप विश्वास करते हैं कि, वे देहधारी परमेश्वर हैं? और आपके लिए यह क्यों ज़रूरी है कि खुद ऐसी गवाही दें, कि वे अंत के दिनों के मसीह उद्धारकर्ता हैं? यह सरासर बेवकूफी और अज्ञान है। यह सब किस्सा-कहानी है कोई परमेश्वर नहीं है। और यही नहीं, कोई देहधारी परमेश्वर नहीं हैं। मैं फिर से कहता हूँ: आपका दावा है कि परमेश्वर ने अब साधारण मनुष्य का रूप धरा है। आपके पास कोई सबूत है? क्या कोई मुझे बता सकता है कि, आपकी आस्था की बुनियाद क्या है?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

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