प्रश्न 16: आपका दावा है कि, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अंत के दिनों में परमेश्वर का प्रकटन हैं सत्य है। आपका, यह भी दावा है, कि परमेश्वर ने इस संसार की रचना की और वे इस पर राज करते हैं। कि पूरे इतिहास में परमेश्वर मानवता का, मार्गदर्शन कर उसे बचा रहे हैं। मुझे बताएं आपकी इन आस्थाओं का तथ्यात्मक आधार क्या है? हम कम्युनिस्ट पार्टी में, सभी लोग नास्तिक हैं। हम परमेश्वर के शासन को या उनके अस्तित्व को ज़रा भी नहीं मानते। और आप जिन देहधारी परमेश्वर में, विश्वास करते हैं उनको तो और भी नहीं। जिस यीशु में ईसाई विश्वास करते हैं, वो तो साफ़ तौर पर मनुष्य हैं। उनके माता-पिता और भाई-बहन थे। ईसाई धर्म जोर देता है कि एक सच्चे परमेश्वर के रूप में, उनकी आराधना की जाए। पूरी बकवास। सर्वशक्तिमान परमेश्वर यीशु जैसे ही हैं आप और मुझ जैसे साधारण इंसान। किस वजह से, आप विश्वास करते हैं कि, वे देहधारी परमेश्वर हैं? और आपके लिए यह क्यों ज़रूरी है कि खुद ऐसी गवाही दें, कि वे अंत के दिनों के मसीह उद्धारकर्ता हैं? यह सरासर बेवकूफी और अज्ञान है। यह सब किस्सा-कहानी है कोई परमेश्वर नहीं है। और यही नहीं, कोई देहधारी परमेश्वर नहीं हैं। मैं फिर से कहता हूँ: आपका दावा है कि परमेश्वर ने अब साधारण मनुष्य का रूप धरा है। आपके पास कोई सबूत है? क्या कोई मुझे बता सकता है कि, आपकी आस्था की बुनियाद क्या है?

उत्तर: परमेश्वर एक आत्मा हैं, जिन्हें आप देख, या छू नहीं सकते। लेकिन परमेश्वर का आत्मा काम करता है, जिसे लोगों द्वारा, सुना और देखा जा सकता है। यह सच है। बाइबल में दर्ज तथ्यों से, हम यह सब जान सकते हैं। वे गर्जना के जरिये हमसे बात कर सकते हैं। वे धू-धू कर जलती आग के जरिये हमसे बात कर सकते हैं। एक इंसान के रूप में, हमसे सीधे बात करने के लिए वे देहधारी बन सकते हैं। ये ऐसे तथ्य हैं, जिनको कोई नकार नहीं सकता। परमेश्वर ने, हज़ारों सालों से मनुष्य का मार्गदर्शन किया है व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग, और राज्य के युग के जरिये। इन सभी चरणों के दौरान, परमेश्वर ने अनेक वचन बोले हैं। अनुग्रह के युग में, सत्य बोलने के लिए परमेश्वर प्रभु यीशु के रूप में देहधारी हुए, और उन्हें मनुष्य के पापों के लिए सूली पर चढ़ा दिया गया, और उन्होंने छुटकारे का कार्य किया। राज्य के युग में, परमेश्वर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में, फिर से देहधारी हुए हैं, और उन्होंने अंत के दिनों का न्याय का कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त किया है, और वे मनुष्य को शुद्ध करके उन्हें एक अच्छी मंजिल तक ले जाने आये हैं। उसके बाद बुराई और अंधकार का युग ख़त्म हो जाएगा। अपने दोनों देहधारणों के दौरान परमेश्वर के बोले सभी वचनों ने लोगों को उनकी शरण में जाने के बाद एक-के-बाद-एक उनकी वाणी को और उनके कार्य को सुनने दिया है। अब से मानवजाति ने, उनकी सर्वशक्तिमत्ता और उनकी बुद्धि और उनके धर्मी स्वभाव को समझ लिया है, और उनके कार्य को देखा है। देहधारी परमेश्वर के कार्य से, हासिल नतीजों में यह सबसे ज़्यादा जाहिर है। इंसान इनमें से कुछ भी हासिल नहीं कर सकता था, क्योंकि हम इंसानों के पास अपनी जाति को बचाने के लिए ज़रूरी सत्य को तो छोड़ ही दीजिए सत्य ही नहीं है। परमेश्वर के कार्य करने या बोलने का तरीका चाहे जो हो, उनका कार्य चाहे जितना भी महान क्यों न हो, कितने भी लोग उनकी शरण में आयें, शैतान-किस्म के लोग उनके प्रकटन की निंदा करने की भरसक कोशिश करते हैं। वे लोगों को धोखा देने के बहाने भी ढूंढ़ लेते हैं, जिससे वे परमेश्वर को नकारते और उन पर शक करते हैं। सीसीपी मसीह को नकारती है और उनकी निंदा करती है, और प्रभु यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साधारण इंसान कहती है। यह सत्य से नफ़रत करनेवाली, और परमेश्वर का विरोध करनेवाली कम्युनिस्ट पार्टी के शैतानी सार की वजह से है। कम्युनिस्ट पार्टी एक नास्तिक पार्टी है, जो स्वर्ग में भी, परमेश्वर के अस्तित्व को नकारती है। यह देहधारी परमेश्वर को कभी भी भला कैसे मान पायेगी?

मैं आपको बताती हूँ कि व्यावहारिक देहधारी परमेश्वर, किसी भी समय या स्थान पर सत्य व्यक्त करने, और परमेश्वर का कार्य खुद करने की क्षमता के कारण साफ़ जाहिर हैं। हालांकि वे देखने में एक साधारण इंसान नज़र आ सकते हैं, परन्तु वे परमेश्वर के आत्मा का देह हैं। वे जो भी कहते और करते हैं, वे परमेश्वर के आत्मा की अभिव्यक्ति हैं। वे मनुष्य को छुटकारा दिला सकते हैं और उसे बचा सकते हैं। वे नये युग का आगाज़ कर सकते हैं, और दूसरे युगों का अंत कर सकते हैं, और आखिरकार, मनुष्य को अपने राज्य में ला सकते हैं। बेशक, देहधारी मसीह का कार्य खुद परमेश्वर का कार्य है; मसीह परमेश्वर की अभिव्यक्ति हैं। प्रभु यीशु की ही तरह, हालांकि बाहर से वे एक साधारण इंसान जैसे नज़र आ सकते हैं, उन्होंने हमें सिखाया: "मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है" (मत्ती 4:17)। और उन्होंने वाकई हमें छुटकारा दिलाया। उन्होंने अनगिनत चमत्कार किये। उन्होंने, पांच रोटियों और दो मछलियों से हज़ारों लोगों को खाना खिलाया। सिर्फ एक वचन से, उन्होंने हवाओं और समुद्र को शांत कर दिया। उन्होंने एक मृतक को जीवित कर दिया सूची बहुत लंबी है। उन्होंने जो सत्य बोले और जो चमत्कार उन्होंने किये, उन्हें कोई भी साधारण इंसान, नहीं कर सकता था। यह परमेश्वर के अधिकार और शक्ति को बेहद स्पष्ट कर देती है, यह निश्चित रूप से साबित करती है कि प्रभु यीशु देहधारी परमेश्वर थे कि वे हमारा छुटकारा थे। उस वक्त के यहूदी धर्म के अगुवा, अच्छी तरह जानते थे कि प्रभु यीशु के वचन, और कार्य में ऐसा अधिकार और सामर्थ्य है जो कोई मनुष्य हासिल नहीं कर सकता। और फिर भी उन्होंने प्रभु यीशु की निंदा की, यह कहकर कि वे मनुष्य हैं, कि वे तिरस्कार की ज़बान बोल रहे हैं, और हैवान शासक का सहारा लेकर हैवानों को भगा रहे हैं। उन्होंने लोगों को इस तरह से धोखा दिया, जिससे वे प्रभु यीशु को नकारने लगे और उसकी निंदा करने लगे। उनका शैतानी स्वभाव स्पष्ट है परमेश्वर का विरोध और सत्य से नफ़रत। फिलहाल, धार्मिक वर्ग आम तौर पर मानते हैं, कि प्रभु यीशु मसीह थे देहधारी परमेश्वर। सिर्फ शैतान से जुड़े हैवान ही उन्हें नकारते और उनकी निंदा करते हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऐसा ही करने की भरसक कोशिश करती है, देहधारी मसीह को एक साधारण इंसान कहती है, ईसाई धर्म की कलीसियाओं को कुपंथ कहती है उन पर पूरी बंदिश लगाती है। क्या इस कारण से सीसीपी बुरी और प्रतिक्रियात्मक नहीं है? क्या वे शैतानी और परमेश्वरहीन हैवान नहीं हैं?

परमेश्वर का मसीह के रूप में देहधारण, मुख्य रूप से सत्य बोलने, और मनुष्य को उद्धार दिलाने के मकसद से है। आप नहीं मानते कि, मसीह के वचन सत्य हैं, जाहिर है आप उन्हें नकारेंगे, और उनकी निंदा भी करेंगे। सिर्फ ऐसे ही लोग जो मसीह को मानकर उनकी शरण में जाएंगे वे ही परमेश्वर से सत्य और उद्धार पा सकेंगे। अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने, ऐसे सत्य व्यक्त किये हैं, जो मानवजाति को शुद्ध कर उसको बचा सकते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, प्रभु यीशु से अलग नहीं हैं; वे देखने में साधारण लग सकते हैं, फिर भी वे मनुष्य रूप में परमेश्वर का आत्मा हैं। सार में, वे परमेश्वर हैं, और वे सत्य बोल सकते हैं, और ऐसे कार्य कर सकते हैं जो परमेश्वर खुद करेंगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने, मनुष्य के भ्रष्ट चाल-चलन के सत्य का खुलासा किया है, और साफ़ ढंग से समझाया है कि शैतान ने किस तरह से मानवजाति को भ्रष्ट किया है, और हमें यह भी बताया है कि, परमेश्वर हमसे क्या अपेक्षा करते हैं वह सत्य जो उनके पास होना चाहिए। सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमें उजले रास्ते पर ले जा रहे हैं, और हमसे ईमानदार रहने और उनके वचन परमेश्वर के वचन के मुताबिक़ जीने को कह रहे हैं। सिर्फ इसी तरह से परमेश्वर का आशीर्वाद, पाया जा सकता है। हमारे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करने, उनके कार्य का अनुभव करने और बहुत सारे सत्य को समझने, अधार्मिकता को छोड़ देने और दुष्टता को त्याग देने के बाद, हम सबने अलग-अलग मात्रा में शुद्धिकरण का अनुभव किया है। हम कैसे जियें और ज़िंदगी में क्या पाने की कोशिश करें के बारे में हमें एक बुनियाद मिली है। हमारे ऊपर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के, वचनों का यह प्रभाव पड़ा है। इससे यह साबित होता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बिल्कुल सत्य हैं, और मानवजाति को शुद्ध करने और उसको बचाने की क्षमता रखते हैं। वे लोगों को अपने शैतानी स्वभाव छोड़ने, और शैतान के प्रभाव से दूर रहने लायक बनाते हैं, और उन्हें एक, शानदार मंजिल मिलती है। मुझे बताइए, परमेश्वर के अलावा, इस कार्य को दूसरा कौन कर सकता है? दूसरा कौन हमारे पाप करने के मूल कारण को जड़ से मिटा सकता है, और हमें पाप के चंगुल से बचा सकता है? दूसरा कौन हमें, अच्छी मंजिल तक पहुंचा सकता है? परमेश्वर के सिवाय, दूसरा कोई नहीं है जिसके पास, ऐसी सामर्थ्य है। देहधारी मसीह के अलावा, दूसरा कोई इंसान नहीं है जो सत्य व्यक्त कर सकता है। यह एक सच्चाई है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा प्रकट सत्य इस बात का सबूत हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर देहधारी परमेश्वर हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, खुद परमेश्वर का, अंत के दिनों के उद्धारकर्ता मसीह के रूप में प्रकटन हैं।

अभी आप जिस तरह से देहधारी परमेश्वर को नकारने के लिए बहुत ज़्यादा कृतसंकल्प हैं, लेकिन क्या आपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ा है? क्या आपने कभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जांच-पड़ताल की है? अगर आपने नहीं की है, तो मैं सिफारिश करता हूँ कि आप मसीह को नकारें नहीं, तो बेहतर होगा और उन्हें दोषी तो, बिल्कुल भी न ठहराएं। अगर आप मुझे इजाज़त दें, तो मैं आपके साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश साझा करना चाहूंगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। "मसीह अंत के दिनों में आता है ताकि वह उसमें सच्चा विश्वास करने वाले सभी लोगों को जीवन प्रदान कर सके। उसका कार्य पुराने युग को समाप्त करने और नए युग में प्रवेश करने के लिए है, और उसका कार्य वह मार्ग है जिसे उन सभी लोगों को अपनाना चाहिए जो नए युग में प्रवेश करेंगे। यदि तुम उसे पहचानने में असमर्थ हो, और इसकी बजाय उसकी भर्त्सना, निंदा, या यहाँ तक कि उसे उत्पीड़ित करते हो, तो तुम्हें अनंतकाल तक जलाया जाना तय है और तुम परमेश्वर के राज्य में कभी प्रवेश नहीं करोगे। क्योंकि यह मसीह स्वयं पवित्र आत्मा की अभिव्यक्ति है, और परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वह जिसे परमेश्वर ने पृथ्वी पर करने के लिए अपना कार्य सौंपा है। और इसलिए मैं कहता हूँ कि यदि तुम वह सब स्वीकार नहीं करते हो जो अंत के दिनों के मसीह के द्वारा किया जाता है, तो तुम पवित्र आत्मा की निंदा करते हो। पवित्र आत्मा की निंदा करने वालों को जो प्रतिशोध सहना होगा वह सभी के लिए स्वत: स्पष्ट है। मैं तुम्हें यह भी बताता हूँ कि यदि तुम अंत के दिनों के मसीह का प्रतिरोध करोगे, यदि तुम अंत के दिनों के मसीह को ठुकराओगे, तो तुम्हारी ओर से परिणाम भुगतने वाला कोई अन्य नहीं होगा। इतना ही नहीं, इस दिन के बाद तुम्हें परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने का दूसरा अवसर नहीं मिलेगा; यदि तुम अपने प्रायश्चित का प्रयास भी करते हो, तब भी तुम दोबारा कभी परमेश्वर का चेहरा नहीं देखोगे। क्योंकि तुम जिसका प्रतिरोध करते हो वह मनुष्य नहीं है, तुम जिसे ठुकरा रहे हो वह कोई अदना प्राणी नहीं है, बल्कि मसीह है। क्या तुम जानते हो कि इसके क्या परिणाम होंगे? तुमने कोई छोटी-मोटी गलती नहीं, बल्कि एक जघन्य अपराध किया होगा। और इसलिए मैं सभी को सलाह देता हूँ कि सत्य के सामने अपने जहरीले दाँत मत दिखाओ, या छिछोरी आलोचना मत करो, क्योंकि केवल सत्य ही तुम्हें जीवन दिला सकता है, और सत्य के अलावा कुछ भी तुम्हें पुनः जन्म लेने नहीं दे सकता, और न ही तुम्हें दोबारा परमेश्वर का चेहरा देखने दे सकता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, मसीह के सार को बड़े साफ़ तौर पर समझाते हैं। हम लोगों ने, जो विश्वास करते हैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अनेक वचनों को पढ़ा है। इसीलिए हम, परमेश्वर के देहधारण के सत्य को समझ पाते हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर पाते हैं। सत्य की समझ के बिना, परमेश्वर के कार्य को आसानी से गलत समझा जा सकता है, और उनकी निंदा भी की जा सकती है। सत्य की तलाश और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का ज्ञान, यह सुनिश्चित करेगा कि आप परमेश्वर के विरुद्ध कुछ भी न बोलें। हम उम्मीद करते हैं कि आप परमेश्वर या कहें कि देहधारी परमेश्वर को नकारने से पहले दो बार सोचेंगे कहीं ऐसा न हो कि आप उनका अपमान कर दें।

"साम्यवाद का झूठ" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 15: राष्ट्रीय नेताओं ने, ईसाई धर्म और कैथोलिक धर्म पर, कुपंथ का ठप्पा लगाया है, और पवित्र बाइबल को, कुपंथ की किताब कहा है। ये आम तौर पर माने हुए तथ्य हैं। इस सवाल पर, कि केंद्र सरकार ने ईसाई गृह कलीसियाओं, ख़ास तौर से सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर कुपंथ का ठप्पा क्यों लगाया है, मेरा शोध मुझे कुछ यूं यकीन करने की तरफ आगे बढ़ाता है: वे सभी जो, यह गवाही देते हैं कि परमेश्वर ने सब चीज़ों की रचना की, जो गवाही देते हैं कि परमेश्वर सृष्टिकर्ता हैं, और उन्होंने मानवजाति की रचना की, जो गवाही देते हैं कि परमेश्वर सब पर शासन करते हैं, और जो गवाही देते हैं कि परमेश्वर नियंत्रण करते हैं, और वे ब्रह्मांड के प्रभु हैं, और हमसे परमेश्वर का,सम्मान और आराधना, करवाते हैं ये कुपंथ हैं। वे सभी जो गवाही देते हैं, कि परमेश्वर धार्मिक और पवित्र हैं, और जो परमेश्वर के प्रेम और उद्धार की गवाही देते हैं, जो शैतान की मानवजाति को भ्रष्ट करनेवाली दुष्ट शासक शक्ति के रूप में निंदा करते हैं, ख़ास तौर से जो कम्युनिस्ट पार्टी पर सीधा हमला करते हैं और उसकी निंदा करते हैं ये सब कुपंथ हैं। वे सभी जो, गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आये हैं, जो देहधारी मसीह की गवाही देते हैं, और एक साधारण इंसान के काम के बारे में बात करते हैं, मानो यह किसी उद्धारकर्ता का कार्य हो, और गवाही देते और प्रचारित करते हैं कि मसीह के सभी वचन संपूर्ण सत्य हैं, और लोगों से कहते हैं, कि वे परमेश्वर को, स्वीकार करें, उनकी शरण में जाएं और कम्युनिस्ट पार्टी के बजाय उनके आगे समर्पण करें ये कुपंथ हैं। वे सभी जो, गवाही देते हैं कि, परमेश्वर के वचन, सबसे बड़े सत्य हैं, जो गवाही देते हैं कि पवित्र बाइबल परमेश्वर का वचन है वचन देह में प्रकट होता है सत्य है, और मार्क्सवाद-लेनिनवाद कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा की निंदा करते हैं ये कुपंथ हैं। वे सभी जो अंत के दिनों के मसीह की गवाही देते हैं, यह उपदेश देते हुए कि परमेश्वर वापस आ चुके हैं, पूरी मानवजाति को परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार करने देते हैं, जो लोगों का आह्वान करते हैं कि स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए परमेश्वर का अनुसरण करें ये कुपंथ हैं। मेरी जानकारी के अनुसार, यही वजह है कि सरकार सभी ईसाई कलीसियाओं पर, ख़ास तौर से सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर, कुपंथ का ठप्पा लगाती है। चीन में, कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण है। कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी-लेनिनवादी, नास्तिक पार्टी है जो हर प्रकार की आस्तिकता का विरोध करती है। कम्युनिस्ट पार्टी परमेश्वर में विश्वास करनेवाले सभी समूहों को कुपंथ मानती है। यह उनके, संपूर्ण अधिकार को दर्शाता है। सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी ही महान, गौरवशाली और सही है। मार्क्सवाद-लेनिनवाद का विरोध करनेवाली हर चीज़ गलत है; कम्युनिस्ट पार्टी इन सब पर बंदिश लगाना चाहती है। चीन में, आपको कम्युनिस्ट पार्टी को, महान मानना ही होगा। तो क्या, इसमें कुछ गलत है? आपकी कलीसिया का दावा है, यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आये हैं, और वे अंत के दिनों के मसीह हैं। आप यह भी, दावा करते हैं कि, सर्वशक्तिमान परमेश्वर लोगों को, शुद्ध करने के लिए सत्य व्यक्त करते हैं, इससे धार्मिक वर्ग बंट गये हैं, और करोड़ों लोग, परमेश्वर की शरण में जा रहे हैं। इसने चीन पर, बहुत बुरा असर डाला है और समाज में, अशांति फैलती जा रही है। आप लोक व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा कर रहे हैं। इसलिए सरकार, सर्वशाक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को कुपंथ घोषित करती है, और उस पर कार्रवाई करती है। आप सबने धोखा खाया है भटक गये हैं। हम उम्मीद करते हैं कि, आप शीघ्र पश्चाताप करेंगे, थ्री-सेल्फ कलीसिया के लिए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को छोड़ देंगे। फिर आप, आपराधिक रूप से जिम्मेदार नहीं होंगे।

अगला: प्रश्न 17: आपका दावा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों के परमेश्वर यहाँ पृथ्वी पर हैं। और आप कहती हैं, कि आपकी आस्था सच को जीवन के सही मार्ग को, खोजने की चाह से आयी है। मगर मेरा अनुभव कहता है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से अनुयायी यीशु की मिशनरियों की तरह हैं जो सुसमाचार को फैलाते हुए परमेश्वर की गवाही देते हैं परमेश्वर को अपनी देह और आत्मा अर्पित करने के लिये, बेझिझक अपने परिवार, अपने करियर को भी त्याग देते हैं, उन लोगों में, बहुत-से युवा लोग हैं जो अंत के दिनों के मसीह का अनुसरण करने की खातिर, शादी नहीं करना चाहते। आप लोगों के सुसमाचार को फैलाने के लिए सारा-कुछ छोड़ देने की वजह से, ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं। मान लीजिए दुनिया में सभी लोग परमेश्वर की शरण में चले जाएं, तो फिर कम्युनिस्ट पार्टी के साथ कौन रहेगा? पार्टी में कौन विश्वास करेगा? इसी वजह से सरकार विश्वासियों का, दमन करती है और उन्हें गिरफ्तार करती है। क्या आपको इसमें कोई समस्या नज़र आती है? आपकी ऐसी आस्था के कारण ही इतने सारे लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है इतने सारे लोग घर छोड़कर भाग गये हैं। इतने सारे दंपत्तियों ने तलाक ले लिया है, और इतने सारे बच्चे बिना मां-बाप के हो गये हैं। बुजुर्गों की देखभाल करनेवाले, कोई नहीं हैं। परमेश्वर में आपकी ऐसी आस्था आपके ही परिवारों को तकलीफ पहुंचा रही है। आप क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या यही आपका वो सच्चा मार्ग है जिस पर आपकी अगुवाई हुई है? पारंपरिक चीनी संस्कृति मां-बाप से जुड़ाव को बहुत मूल्यवान मानती है। कहा गया है: "मां-बाप का प्रेम सबसे ऊपर।" कन्फ्यूशियस ने कहा था: "जब आपके मां-बाप जीवित हों, तो बहुत दूर की यात्रा न करें।" मां-बाप के प्रति आदर की भावना मनुष्य के चाल-चलन की बुनियाद है। आप जिस प्रकार से परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, कि जिन्होंने आपको जीवन और पोषण दिया, उन्हीं की देखभाल न कर पायें, तो यह इंसानों द्वारा अनुसरण के लिए सही मार्ग कैसे हो सकता है? मैं अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुनती हूँ, कि विश्वासी सबसे अच्छे लोग होते हैं। यह गलत नहीं है। लेकिन परमेश्वर की आराधना करनेवाले और उन्हें सबसे ऊपर माननेवाले आप सभी लोग, यह कम्युनिस्ट पार्टी को आग-बबूला कर देती है यह उनमें नफ़रत भर देती है। आप जगह-जगह जाकर सुसमाचार फैलाते हैं, और फिर भी आप अपने ही परिवार की देखभाल नहीं कर सकते। इसे अच्छा चाल-चलन कैसे माना जा सकता है? क्या ऐसा नहीं लगता कि आपकी आस्था आपको अपने रास्ते से एक गलत मोड़ पर घुमाकर ले जाती है? आप जो-कुछ भी कर रहे हैं, उससे क्या आप हमारे समाज में सद्भाव और संतुलन को नष्ट नहीं कर रहे हैं? मेरी आपको सलाह है यह गलती करते न रहें। आपको अपनी आस्था छोड़कर, अपने घर, अपने परिवार में लौट जाना चाहिए, उनकी देखभाल करनी चाहिए, और एक सामान्य जीवन जीना चाहिए। संतान और माँ–बाप होने के नाते यह आपका कर्तव्य है। इंसानों को यही करना चाहिए यही व्यावहारिक है।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

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प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

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