947 परमेश्वर द्वारा सदोम के विनाश में मनुष्यों के लिए चेतावनी
1
जो कुकर्म किए थे सदोम में रहने वालों ने,
ईश्वर के सेवकों को नुकसान पहुँचाना
तो उसका एक छोटा-सा अंश था,
इसने उनकी जो दुष्ट प्रकृति दिखाई,
वो समुद्र की एक बूँद जितनी ही थी।
इसलिए, ईश्वर ने उन्हें आग से नष्ट करने की ठानी।
हाँ, उसने उन्हें नष्ट किया आग से।
सदोम के विनाश ने, शैतान के इंसान को भ्रष्ट कर,
निगलकर ईश्वर का विरोध करने के लक्ष्य को बाधित किया।
इंसान का ईश्वर से दूर होना, खुद को बुराई के
हवाले करना शर्म का चिह्न है।
ये विनाश ईश्वर के धार्मिक स्वभाव का सच्चा प्रकाशन है।
2
न बाढ़ से, न तूफ़ान से, न भूकंप, न सुनामी से :
ईश्वर ने आग से नाश किया ताकि शहर पूरा नष्ट हो जाए।
सिर्फ़ उसका रूप या संरचना नहीं,
बल्कि नामोनिशान मिट गया, न रहा अस्तित्व
उसका, न उसके लोगों की आत्माओं का।
सब कुछ उजड़ गया,
शहर की हर चीज़ का अस्तित्व ख़त्म हो गया।
सदोम से जुड़ी सभी चीज़ें, सभी चीज़ें नष्ट हो गईं,
इसके वासियों को न मिलेगा अगला जीवन,
न होगा पुनर्जन्म।
ईश्वर द्वारा रची गयी मानवता से वे हटा दिये जाएंगे—
सदा के लिए।
सदोम के विनाश ने, शैतान के इंसान को भ्रष्ट कर,
निगलकर ईश्वर का विरोध करने के लक्ष्य को बाधित किया।
इंसान का ईश्वर से दूर होना, खुद को बुराई के
हवाले करना शर्म का चिह्न है।
ये विनाश ईश्वर के धार्मिक स्वभाव का सच्चा प्रकाशन है।
3
आग का इस्तेमाल ये दिखाये कि
इस जगह के पाप का अंत हुआ।
पाप पर अंकुश लग गया, ये न फैलेगा,
न इसका अस्तित्व रहेगा।
शैतान की दुष्टता की उपजाऊ मिट्टी और उसका
कब्रिस्तान—रहने और जीने की जगह छिन गई।
ईश्वर और शैतान के बीच युद्ध में,
ईश्वर द्वारा आग का इस्तेमाल, उसकी जीत की छाप है,
जो शैतान पर अंकित है।
सदोम के विनाश ने, शैतान के इंसान को भ्रष्ट कर,
निगलकर ईश्वर का विरोध करने के लक्ष्य को बाधित किया।
इंसान का ईश्वर से दूर होना, खुद को बुराई के
हवाले करना शर्म का चिह्न है।
ये विनाश ईश्वर के धार्मिक स्वभाव का सच्चा प्रकाशन है।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II से रूपांतरित