278 अपना मार्ग हमें स्वयं चुनना है
मसीह सत्य व्यक्त करता है अंत के दिनों में,
मसीह परमेश्वर की धार्मिकता उजागर करता है अंत के दिनों में।
सत्य है वो, धार्मिक है वो सबके लिये।
इंसानों का परिणाम है निर्भर उनमें निहित सत्य पर।
बाहर हो जाओगे अगर न चलोगे सत्य पर।
1
दिखावे का नेक बर्ताव,
नुमाइंदगी नहीं करता जीवन होने की।
इंसानियत उसी सच्चे इंसान में है,
जो पालन करता है सत्य का।
बग़ैर अच्छे कर्म या सत्य के, मुँह मोड़ लेता है परमेश्वर।
धार्मिक है, पवित्र है स्वभाव परमेश्वर का,
और इजाज़त नहीं देता अपमान की।
बुरा करोगे, परमेश्वर का विरोध करोगे तो सज़ा पाओगे।
हमें रास्ता अपना ख़ुद चुनना है,
नहीं कर सकता इस काम को हमारे लिये कोई।
हम सराहना पा सकते हैं परमेश्वर की,
सिर्फ़ सत्य पर अमल कर, सच्चाई को जी कर।
सच्चाई को जी कर, सच्चाई को जी कर।
2
अपनी आस्था में परमेश्वर की सराहना पाने की ख़ातिर,
अहम है प्रेम करना, आज्ञापालन करना परमेश्वर का।
समझदार हैं वो जो शुद्ध होने के लिये, स्वीकार करते हैं
ताड़ना और न्याय परमेश्वर का।
कोई कीमत, कोई अर्थ नहीं है
धन-दौलत, ओहदे-शोहरत के पीछे भागने का।
निभाते हैं जो फ़र्ज़ अपना, अमल करते हैं सत्य पर,
वही हैं अनुयायी परमेश्वर के, परमेश्वर के।
3
उपदेश देना मगर सत्य पर अमल न करना,
तुच्छ बना देता है हर चीज़ को।
जी सकते हैं हम सच्चा जीवन तभी,
जब परमेश्वर से सच्चा प्रेम करें, नेक गवाही दें।
न्याय और ताड़ना, काट-छाँट से गुज़रना,
है ये सब प्रेम परमेश्वर का।
महिमा बढ़ाता है परमेश्वर की,
शुद्धिकरण और हर इम्तहान में गवाही देना।
4
दुख-दर्द और इम्तहान, दिखाते हैं साफ़गोई से,
क्या सत्य की वास्तविकता है इंसान में।
गवाही दे सकते हैं तभी हम परमेश्वर की,
जब पा लें हम सत्य को, जान लें परमेश्वर को।
सत्य को जब खोज लें, अपने स्वभाव को बदल लें हम,
तभी पूरी तरह से कामयाब होते हैं हम।
सत्य को जब खोज लें, अपने स्वभाव को बदल लें हम,
तभी पूरी तरह से कामयाब होते हैं हम।