655 परमेश्वर विश्वास को पूर्ण बनाता है
1
उत्कृष्ट आस्था और प्रेम की उम्मीद तुम से की जाती है
कार्य के इस चरण में।
ग़र लापरवाह हुए तुम लड़खड़ा सकते हो
क्योंकि ये कार्य अब पहले सा नहीं।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
जिसे ना कोई देख सके, और ना कोई छू सका।
ईश्वर वचन को बदले आस्था, प्रेम और जीवन में।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
होगा करना सामना लोगों को सैंकड़ों बार शुद्धिकरण का,
होगा अय्यूब से भी ज़्यादा आस्था रखना।
यातनाएं उन्हें सहनी होंगी, परमेश्वर से बिना दूर हुए।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
जिसे ना कोई देख सके, और ना कोई छू सका।
ईश्वर वचन को बदले आस्था, प्रेम और जीवन में।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
2
जब लोग हों आज्ञाकारी मरने तक आस्था सहित,
तब होगा पूर्ण ईश्वर के कार्य का यह चरण।
ये आसां नहीं जितना तुम सबको लगता है।
लोगों के मत से जितना भिन्न, उतना ही गहरा महत्व इसका...
इन बातों पर विचार करो!
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
जिसे ना कोई देख सके, और ना कोई छू सका।
ईश्वर वचन को बदले आस्था, प्रेम और जीवन में।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
जिसे ना कोई देख सके, और ना कोई छू सका।
ईश्वर वचन को बदले आस्था, प्रेम और जीवन में।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
परमेश्वर परिपूर्ण मानव की आस्था को कर रहा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मार्ग ... (8) से रूपांतरित