613 कलीसिया की अगुआई के लिए किसकी आवश्यकता है
1 जो लोग कलीसिया की अगुवाई कर सकते हैं, लोगों को जीवन प्रदान कर सकते हैं, और लोगों के लिए एक प्रेरित हो सकते हैं, उनके पास वास्तविक अनुभव होने ही चाहिए; उन्हें आध्यात्मिक चीज़ों की सही समझ, सत्य की सही समझ और अनुभव होना चाहिए। ऐसे ही लोग कलीसिया की अगुवाई करने वाले कर्मी या प्रेरित होने के योग्य हैं। अन्यथा, वे न्यूनतम रूप में ही अनुसरण कर सकते हैं। क्योंकि प्रेरित का कार्य भाग-दौड़ करना या लड़ना नही है; बल्कि जीवन की सेवकाई का कार्य करना और लोगों के स्वभाव में परिवर्तन लाने के लिए उनकी अगुवाई करना है। इस कार्य को करने वालों को बड़ा दायित्व दिया जाता है जिसे हर कोई नहीं कर सकता है।
2 इस प्रकार के कार्य का बीड़ा केवल ऐसे लोगों द्वारा ही उठाया जा सकता है जिन्हें जीवन की समझ है, अर्थात जिन्हें सत्य का अनुभव है। इसे बस यों ही ऐसा कोई व्यक्ति नहीं कर सकता है जो त्याग कर सकता हो, भाग-दौड़ कर सकता हो या जो खुद को खपाने की इच्छा रखता हो; जिन्हें सत्य का कोई अनुभव नहीं है, जिनकी काट-छाँट या जिनका न्याय नहीं किया गया है, वे इस प्रकार का कार्य करने में असमर्थ होते हैं। ऐसे लोग जिनके पास कोई अनुभव नहीं है, लोग जिनके पास कोई वास्तविकता नहीं है, वे वास्तविकता को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते, क्योंकि उनके पास ऐसा अस्तित्व नहीं होता। इसलिए, इस प्रकार का व्यक्ति न केवल अगुवाई का कार्य नहीं कर पाता, बल्कि यदि उसमें लम्बी अवधि तक कोई सत्य न हो, तो वह निष्कासन की वस्तु बन जाएगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य से रूपांतरित