27 जब पूरब से बिजली चमके
1
जब हर इंसान ध्यान दे, हर चीज़ नयी और जीवित हो जाए,
हर कोई बिना शक ईश्वर की आज्ञा माने, ईश्वर का बोझ उठाए,
तब पूरब से बिजली आए, पूरब से पश्चिम तक सब चमकाए,
डराए पूरी धरती को इस रोशनी से। ऐसे में ईश्वर नवजीवन शुरू करे।
ईश्वर धरती पर नया काम शुरू करे, और कायनात के लोगों से कहे :
जब पूरब से बिजली आए, तो उस वक्त ईश्वर बोलना शुरू करे।
जैसे ही बिजली आए, आसमान रोशन हो जाए,
तारे बदल जाएँ, हाँ बदल जाएँ।
2
ईश्वर की गवाही से लेकर कार्य के आरंभ तक,
पूरी धरती पर दिव्यता के शासन तक,
यह पूर्वी बिजली की किरण है, जो चमके पूरी कायनात में।
धरती के राज्य सारे, मसीह के हो जाते तब पूरी कायनात रोशन हो।
ये समय है पूर्वी बिजली के चमकने का :
देहधारी ईश्वर बोले और करे काम दिव्यता से।
जब ईश्वर धरती पर बोलना शुरू करे, तो चमकती पूर्वी बिजली आए।
जब सिंहासन से जीवन जल बहे, जब सिंहासन से वाणी की शुरुआत हो,
उसी समय सात आत्माओं के वचन शुरू हों।
3
ये समय है पूरब की बिजली के चमकने का :
समय के अंतर के कारण, रोशनी का स्तर बदलता है,
प्रकाश का दायरा भी सीमित होता है।
पर जैसे ही उसका काम और योजना बदले,
अपने पुत्रों, लोगों पर उसका काम बदले,
रोशनी करे अपना काम, कायनात रोशन हो, कोई मैल न रहे।
ये फल है ईश्वर की छह हज़ार साल की योजना का, ईश्वर जिसका आनंद ले।
जब ईश्वर रोशन करे पूरी धरती को, तो स्वर्ग और धरती की हर चीज़ बदले।
आसमाँ के सितारे बदल जाएँगे, चाँद-सूरज नए हो जाएँगे,
तब धरती पर इंसान भी नया होगा, ये काम है ईश्वर का स्वर्ग और धरती पर।
आसमाँ के सितारे बदल जाएँगे, चाँद-सूरज नए हो जाएँगे,
तब धरती पर इंसान भी नया होगा, ये काम है ईश्वर का स्वर्ग और धरती पर।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 12 से रूपांतरित