138 जहाँ भी जाओगे, मैं तुम्हें चाहूंगा
1
मैंने दिल अपना तुम्हें दिया है, नहीं प्यार दूजा तुम्हारे सिवा।
तुम्हारे लिये मेरा प्यार है गहरी धारा ओ प्रियतम।
मैं चलता रहूंगा जीवनभर पीछे तुम्हारे, है मुझको कसम।
जीता है मुझको तुम्हारे प्रतापी वचन ने।
तोड़ देता दिल मेरा ये दुखदायी शुद्धिकरण।
देखी है सुंदरता तुम्हारी, जानूं मैं श्रद्धा तुम्हारी।
सख़्ती से निपटते हो मुझसे कितनी बार।
छुपकर आंसू बहाते हुए जाना, नहीं कोई तुमसे प्यारा।
नहीं चाहिये छोड़कर तुमको, मुझे कोई और।
तुम्हें प्यार करने की खातिर, जीवन भी देने को तैयार हूं।
करता रहूंगा प्रेम तुम्हें मैं, जीवन की अंतिम साँसों तक,
पा जाओ तुम अपनी महिमा, वो दिन भी मैं देखूँ।
दर्द में हूं या शैतान घेर ले मुझको,
तुम्हें प्यार करके न पछताऊँगा, अपना मैं सबकुछ तुम्हें सौंपूँ।
जहाँ भी जाओगे, मैं तुम्हें चाहूंगा।
चाहत है तुम्हें देखूं, तुम्हें देखूं, तुम्हें देखूं।
हां, कितनी चाहत है देखूं, तुम्हें देखूं।
2
कौन है जो तुम्हें प्यार न करे, तुम सबसे प्यारे हो।
मेरा प्यार तुम्हारी खातिर सच्चा है, कोई रोक न पाए।
मेरा प्यार है पेड़ खड़ा ज्यों, नदी किनारे मज़बूती से।
गर्मी से ये ना घबराए, सूखे में भी ना मुरझाए।
तुम्हें प्यार करने की खातिर दुख सहता हूं।
कल की चिंता कभी नहीं करता हूं।
आंधी हो, तूफ़ान तुम्हारी खातिर, मैं सब पी जाता हूं।
बनकर गवाह तुम्हारा, अपयश को सहता हूं।
देता हूँ सबकुछ जो है पास मेरे,
ताकि तुम्हारे प्रेम की कीमत अदा कर सकूँ।
मेरा दिल जल रहा है मुझमें। शीघ्रता से उठने की,
निर्मलता से प्रेम करने की तड़प है मुझमें।
फूट-फूटकर रोता हूँ, दुआ करता हूँ।
निराश करना सह नहीं पाता हूँ, सह नहीं पाता हूँ।
अपनी अशुद्धियाँ दरकिनार कर, भोज में साथ तुम्हारे ज़रूर आऊँगा।
कितना तड़पता हूँ तुम्हारे दर्शन को, तुमसे न जुदा फिर कभी होऊँगा।
व्यथा जब कही न जाए, तो तुम्हारे वचन सुकून देते हैं मुझे।
अपयश हो या अस्वीकृति, सब स्वीकार है मुझे।
मेरे प्रेम को जगा दिया तुम्हारे ख्याल ने।
इसे सुन सकते हो तुम मेरी दुआ की आवाज़ में।