526 सत्य के साथ शक्ति होती है
1 तुम लोगों को समझना होगा कि अपने परिवार को त्यागना और स्वयं को परमेश्वर पर अर्पित कर देने का क्या अर्थ है, साथ ही, तुम लोग ऐसा क्यों करना चाहते हो। यदि यह सत्य की खोज करने के लिए है, जीवन की खोज करने के लिए है, अपने कर्तव्य का निर्वहन करने और परमेश्वर के प्रेम को चुकाने के लिए है, तो वह पूरी तरह से धर्मी है, सकारात्मक है, और यह स्वर्ग का कानून और पृथ्वी का सिद्धांत है। उस मामले में, तुम लोगों को पछतावा नहीं होगा, और तुम लोग नकारात्मक नहीं बनोगे। जब लोगों के पास सत्य होता है, तो उनके पास शक्ति होती है। जब उनके पास सत्य होता है, तो वे अतुलनीय ऊर्जा से भर जाता है। जब उनके पास सत्य होता है, तो आत्मबल होता है। बिना सत्य के वे लुंज-पुंज होते हैं। सत्य के साथ, वे दृढ़ और साहसी बन जाते हैं, और वे अपने दुख को पीड़ा की तरह नहीं देखते, भले ही वह जितना भी सहें।
2 यदि लोगों को परमेश्वर के स्वभाव की वास्तविक समझ होती है, और वे उसकी पवित्रता और धार्मिकता की हृदयस्पर्शी प्रार्थना दे सकते हैं, तो इसका मतलब है कि वे सच में उसे जानते और सत्य को धारण करते हैं, और केवल तभी वे प्रकाश में जीते हैं। केवल जब दुनिया और जीवन के बारे में एक व्यक्ति का दृष्टिकोण बदलता है, तभी उसमें आधारभूत रूपान्तरण होता है। जब किसी का कोई जीवन लक्ष्य होता है और वह सत्य के अनुसार आचरण करता है, जब वह पूरी तरह से खुद को परमेश्वर के प्रति समर्पण कर देता है और उसके वचनों के अनुसार जीता है, जब वह अपनी आत्मा में गहराई से शान्त महसूस करता है और रोशन हो उठता है, जब उसका दिल अंधकार से मुक्त होता है, और जब वह पूरी तरह से स्वतंत्र और बाधा मुक्त होकर परमेश्वर की उपस्थिति में जी पाता है, केवल तभी वह एक सच्चा मानव जीवन व्यतीत करता है और सत्य धारण करने वाला व्यक्ति बन जाता है। इसके अलावा, जो भी सत्य तुम्हारे पास हैं वह परमेश्वर के वचनों से आए हैं और स्वयं परमेश्वर से आए है। समस्त ब्रह्मांड और सभी चीज़ों का शासक—परमेश्वर जो सबसे ऊँचा है—तुम्हें एक वास्तविक मनुष्य के रूप में अनुमोदित करता है। सत्य धारण करने का अर्थ यही है।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, मनुष्य का स्वभाव कैसे जानें से रूपांतरित