453 पवित्र आत्मा के कार्य के अपने सिद्धांत हैं
1 पवित्र आत्मा के कार्य के अपने सिद्धांत हैं और यह सशर्त है। अपने विश्वास में, व्यक्ति को साफ तौर पर यह समझना चाहिए कि पवित्र आत्मा के कार्य को प्राप्त करने के लिए, उसके पास कम से कम एक ईमानदार हृदय और चेतना का होना जरूरी है। जब तुम्हारे पास एक ईमानदार हृदय होता है—साथ ही चेतना और तर्क होता है जो मानवीय प्रकृति में होने जरूरी हैं—पवित्र आत्मा तुम पर कार्य कर सकता है। पवित्र आत्मा आम तौर पर उन लोगों पर कार्य करता है जिनके दिल ईमानदार हैं, वह तभी कार्य करता है जब लोग मुश्किल में होते हैं और सत्य की खोज करते हैं। परमेश्वर उन लोगों पर ध्यान नहीं देगा जिनके पास इंसानी तर्क या चेतना का ज़रा सा भी अंश नहीं है। उन्हें सच्चे दिल से पश्चाताप करना चाहिए और ईमानदार इंसान बनना चाहिए।
2 तुम्हारा हृदय परमेश्वर के लिए खुला होना चाहिए और तुम्हें परमेश्वर से सत्य की खोज करनी चाहिए; एक बार जब तुम सत्य को समझ लोगे, तब तुम्हें इसका अभ्यास करना चाहिए। फिर तुम्हें परमेश्वर की व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित हो जाना चाहिए और परमेश्वर को अपना नियंत्रण लेने देना चाहिए। सिर्फ़ इसी तरीके से तुम परमेश्वर की प्रशंसा पा सकोगे। सबसे पहले तुम्हें अपनी प्रतिष्ठा और दंभ को अलग रखना होगा और अपने हितों को त्यागना होगा। एक बार जब तुम उन्हें अलग रख देते हो, तब तुम अपने पूरे शरीर और आत्मा को अपना दायित्व पूरा करने और परमेश्वर के लिए गवाही देने के काम में लगा दो। सबसे पहले तुम्हें अपने आपको समर्पित कर देना चाहिए, परमेश्वर के लिए अपने हृदय को खोल दो और उन चीजों को अलग कर दो जिन्हें तुम संजोकर रखते हो। अगर तुम परमेश्वर से अनुरोध करते समय उनसे चिपके रहते हो, तो क्या तुम पवित्र आत्मा के कार्य को प्राप्त कर पाओगे?
3 पवित्र आत्मा का कार्य सशर्त है, और परमेश्वर वह परमेश्वर है जो दुष्टों से नफरत करता है और जो स्वयं पवित्र है। अगर लोग हमेशा इन चीजों से चिपके रहेंगे, लगातार अपने आपको परमेश्वर से दूर करते रहेंगे और परमेश्वर के कार्य एवं मार्गदर्शन को अस्वीकार करते रहेंगे, तो परमेश्वर उन पर कार्य करना बंद कर देगा। ऐसा नहीं है कि परमेश्वर को हर व्यक्ति के भीतर कार्य करना चाहिए। वह तुम्हारे साथ जबर्दस्ती नहीं करता। मनुष्यों को ऐसा-वैसा करने के लिए बाध्य करना दुष्ट आत्माओं का काम होता है। पवित्र आत्मा तो बहुत शालीनता के साथ कार्य करता है; वह तुम्हें प्रेरित करता है और तुम्हें महसूस भी नहीं होता। तुम्हें ऐसा लगता है जैसे तुम्हें अनजाने में ही कुछ समझ में आ गया है या उसका अहसास हो गया है। इसलिये, इंसानी तर्क और विवेक से रहित लोगों को सच्चे दिल से पश्चाताप करना चाहिये अन्यथा पवित्र आत्मा उन पर कार्य नहीं करेगा।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, अपना हृदय परमेश्वर को देकर सत्य प्राप्त किया जा सकता है से रूपांतरित