66 अंत के दिनों में विजय-कार्य का सत्य
1
भ्रष्ट इंसान ईश्वर को न जानता न पूजता।
जब आदम और हव्वा को बनाया गया, गौरव तब यहोवा का कायम था।
लेकिन इंसान भ्रष्ट हो गया, इंसान ने जब विद्रोह किया
ईश्वर को पूजना उसने छोड़ दिया, महिमा और साक्ष्य खो दिया।
सारी महिमा को फिर से पाना आज का काम है,
ताकि सब पूजें ईश्वर को, रचे प्राणियों में गवाही दें।
इसे किया जाएगा, कार्य के इस चरण में, अंत के दिनों के विजय-कार्य में।
2
कैसे जीता जा सकता है इंसान को?
इंसान को वचनों के काम से विश्वास दिलाया जाएगा,
न्याय, ताड़ना, शाप से वश में किया जाएगा,
इंसान के विद्रोह को उजागर और विरोध का न्याय किया जाएगा,
ताकि इंसान जान सके वो है अधर्मी, मलिन, और देख सके ईश्वर धार्मिक है।
सारी महिमा को फिर से पाना आज का काम है,
ताकि पूजें सभी ईश्वर को, रचे प्राणियों में गवाही दें।
इसे किया जाएगा, कार्य के इस चरण में, अंत के दिनों के विजय-कार्य में।
3
ईश्वर के वचन इंसान को जीत लेंगे और आश्वस्त कर देंगे।
जो इसे मानते हैं उन्हें, ईश्वर के वचनों का न्याय मानना चाहिए।
गर तुम अपनी राह पर न चल के, इन वचनों का पालन कर सको,
तो ईश्वर के वचनों से तुम जीत लिए जाओगे।
सारी महिमा को फिर से पाना आज का काम है,
ताकि सब पूजें ईश्वर को, रचे प्राणियों में गवाही दें।
इसे किया जाएगा, कार्य के इस चरण में,
अंत के दिनों के विजय-कार्य में, अंत के दिनों के विजय-कार्य में।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विजय के कार्य की आंतरिक सच्चाई (1) से रूपांतरित