150 सर्वशक्तिमान परमेश्वर आप हैं मालिक मेरे दिल के
1
किसका वचन है मधुरतम,
करता पोषित मेरी आत्मा को?
किसका प्रेम है सबसे सुंदर,
और बाँधता है मेरे दिल को?
किसका काम है सबसे अद्भुत,
जो साफ़ करता बुराइयों को?
कौन देता है उद्धार,
ले जाता ईश्वर के तख्त पास?
कौन इन्सान को बचाने को सत्य अभिव्यक्त करता है?
कौन मुझे फिर से रोशनी दिखाता है?
कौन सबसे प्रेमयोग्य है?
कौन है जिसे मै हर क्षण याद करूँ?
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मेरे प्रियतम,
आप मेरे दिल में रहेंगे हमेशा।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मेरे प्रियतम,
आप ही तो मेरे दिल के स्वामी हैं।
2
छः हज़ार सालों से आप करते रहे इन्सान का प्रबन्धन,
लोगों को पाने की खातिर अब फिर से देहधारण किया।
स्वर्ग की ऊंचाइयों से आप सभी को देखते,
इन्सान की बुराइयों पर आप आह भरते।
मानव के बीच चलते, उसके संग रहते हुए आप,
संसार की मुश्किलों का अनुभव कर रहे हैं आप।
आप बोलते, कार्य करते, बहाते दिल का लहू
पूर्ण करने को अपने सच्चे प्रेमियों को।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मेरे प्रियतम,
आप मेरे दिल में रहेंगे हमेशा।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मेरे प्रियतम,
आप ही तो मेरे दिल के स्वामी हैं।
3
क्या मिलना चाहिए लोगों को परमेश्वर में अपनी आस्था से?
परमेश्वर का ज्ञान और सत्य उनको पाना चाहिए।
सहनी कौन सी कठिनाई होती है सबसे लाभकारी?
जो बदल देती इन्सान का स्वभाव वही।
कौन सी राह दे कामयाबी?
पतरस के जैसा ईश्वर प्रेम।
क्या है सच्चा ईश्वर प्रेम?
दिल से उनकी करना परवाह।
ईश्वर की इच्छा है मानव बदले, वे उसे पाएं।
उनके दिल को शांत और तृप्त करने की मैं कोशिश करूंगी।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मेरे प्रियतम,
आप मेरे दिल में रहेंगे हमेशा।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मेरे प्रियतम,
आप ही तो मेरे दिल के स्वामी हैं।