151 हो जाओ इकट्ठे सिय्योन में
1
हे सिय्योन, हे सिय्योन, हे सिय्योन, हे सिय्योन, हे सिय्योन!
सर्वशक्तिमान सच्चा परमेश्वर हुआ है प्रकट
पृथ्वी पर यहां पूरब में।
सभी घुटने टेककर करते हैं उसकी आराधना।
सभी आवाज़ें प्रशंसा से हैं गाती।
ब्रह्मांड हो जाएगा नया।
पूरी पृथ्वी भर गई है
जय से और उसकी धार्मिकता से।
क्योंकि ये रहा है परमेश्वर का स्वर्ग और पृथ्वी।
हे सिय्योन! हे सिय्योन! परमेश्वर का निवास,
एक सुंदर और ख़ुश जगह।
इकट्ठा होना है कितनी बड़ी ख़ुशी।
परिवार की अनंत खुशी का लो आनंद, लो आनंद।
2
वसंत की तरह चमकता, मुस्कुराता परमेश्वर का चेहरा।
परमेश्वर का दिन है आ गया।
आकाश में, सफ़ेद बादल करते हैं उसका स्वागत,
क्योंकि जीतकर लौटा है वो।
परमेश्वर का दिल भरा है ख़ुशी से।
उसे है सुकून, वो गहराई तक द्रवित हुआ है।
परमेश्वर लौट आया है अपने निवास में,
परिवार की गर्माहट का फिर से स्वाद चखता है वो।
हे सिय्योन! हे सिय्योन! परमेश्वर का निवास,
एक सुंदर और ख़ुश जगह।
इकट्ठा होना है कितनी बड़ी ख़ुशी।
परिवार की अनंत खुशी का लो आनंद, लो आनंद।
3
परमेश्वर की महिमा का होता है उदय, चमकती है वो।
पर्वत हैं ख़ुश, हंसते हैं पानी।
सूरज, चांद और सितारे
परमेश्वर के स्वागत में होते हैं एकजुट।
पूरी की है उसने छह हज़ार साल की योजना,
लौटा है वो विजयी होकर।
हम ख़ुशी और उत्साह से करते हैं जय।
परमेश्वर का प्रभुत्व है धरती पर, धरती पर।
हे सिय्योन! हे सिय्योन! परमेश्वर का निवास,
एक सुंदर और ख़ुश जगह।
इकट्ठा होना है कितनी बड़ी ख़ुशी।
परिवार की अनंत खुशी का लो आनंद, लो आनंद।