296 परमेश्वर के हृदय से बेहतर नहीं है दिल कोई
1
मैंने परमेश्वर को प्रेम करना चुना है,
उनके न्याय और शुद्धिकरण को मुझे स्वीकारना है।
ज़रा से दर्द के बावजूद, मुझमें परमेश्वर के प्रेम का गहन ज़ायका है।
भ्रष्ट स्वभाव के साथ, न्याय और ताड़ना के लायक है इंसान।
सत्य है परमेश्वर का वचन,
गलत नहीं समझना चाहिए परमेश्वर की इच्छा को मुझे।
हालाँकि मुश्किलें बहुत हैं, आशीष है परमेश्वर का प्रेम पाना भी।
मुश्किलों ने सिखाई मुझे फ़रमाबरदारी;
परमेश्वर के हृदय से बेहतर नहीं दिल कोई।
2
आत्म-चिंतन करता हूँ तो अक्सर बहुत ज़्यादा मलिनता पाता हूँ।
अगर प्रयास न करूँ, तो मैं पूर्ण नहीं हो सकता हूँ।
दिन-ब-दिन रहकर परमेश्वर के साथ,
कितने प्रिय हैं परमेश्वर मैं देखता हूँ।
परमेश्वर के वचनों के प्रकटन और न्याय से,
अपनी भ्रष्टता के सत्य को मैं देखता हूँ।
हालाँकि मुश्किलें बहुत हैं, आशीष है परमेश्वर का प्रेम पाना भी।
मुश्किलों ने सिखाई मुझे फ़रमाबरदारी;
परमेश्वर के हृदय से बेहतर नहीं दिल कोई।
3
परमेश्वर की जाँच से मुझे अहसास होता अपनी कमियों का।
सत्य एकदम साफ़ हो जाता है,
जब संगति के लिये अपना दिल खोलता हूँ।
परमेश्वर के स्वभाव के अपमान के ख़्याल से, मैं काँप जाता हूँ।
सजग रहूँगा मैं विद्रोह न करूँ, उन्हें कोई कष्ट न दूँ।
4
हालाँकि मैं परमेश्वर को प्रेम करना चुनता हूँ,
मगर मेरे प्यार में मिलावट है मेरे ही विचारों की।
जहाँ पहुँचा था पतरस, वहाँ पहुँचने का मुझे प्रयास करना है।
कैसे भी देखें मेरे प्यार को परमेश्वर,
मेरी एकमात्र ख़्वाहिश है, मैं परमेश्वर को प्रसन्न करूँ।
हालाँकि मुश्किलें बहुत हैं, आशीष है परमेश्वर का प्रेम पाना भी।
हालाँकि मुश्किलें बहुत हैं, आशीष है परमेश्वर का प्रेम पाना भी।
मुश्किलों ने सिखाई मुझे फ़रमाबरदारी;
परमेश्वर के हृदय से बेहतर नहीं दिल कोई।