172 अपना काम करने के लिए परमेश्वर को देहधारण करना होगा
परमेश्वर का आत्मा सीधे तौर पर
न बचा सके भ्रष्ट इंसान को शैतान से,
ये हो सके उस देह से जिसे आत्मा धारण करे,
वो देह जो देहधारी परमेश्वर का है।
1
यह देह है इंसान जिसमें है सामान्य मानवता,
है यह ईश्वर भी जिसमें है पूरी दिव्यता।
यह है अलग आत्मा से,
पर देहधारी ईश्वर ही इंसान को बचाये, जो आत्मा भी है, देह भी।
ईश-कार्य के तीन चरणों में,
एक चरण किया गया है सीधे आत्मा द्वारा,
बाकी दोनों देहधारी परमेश्वर करता,
नहीं किये जाते वे सीधे आत्मा द्वारा।
केवल देहधारी ईश्वर
इंसान का विश्वासपात्र, चरवाहा और सहायक हो सके,
देहधारण की ज़रूरत कल भी यही थी, और आज भी यही है।
2
आत्मा द्वारा किए गए व्यवस्था के काम में
नहीं शामिल था बदलाव इंसान के भ्रष्ट स्वभाव का,
न जुड़ा था ये इंसान के ईश्वरीय ज्ञान से।
अनुग्रह और राज्य के युग में देहधारी ईश्वर के काम में,
शामिल है भ्रष्ट इंसानी स्वभाव, ईश्वर का ज्ञान,
और यह है एक ज़रूरी हिस्सा
इंसान के मोक्ष के लिए किए गए ईश-कार्य का।
भ्रष्ट इंसान को ज़्यादा ज़रूरत है देहधारी ईश्वर की,
कि वो दे उसे मोक्ष और अपना काम,
करे चरवाही, दे सहारा, भोजन-पानी, करे न्याय, दे ताड़ना,
दे अधिक कृपा और छुटकारा बड़ा।
केवल देहधारी ईश्वर
इंसान का विश्वासपात्र, चरवाहा और सहायक हो सके,
देहधारण की ज़रूरत कल भी यही थी, और आज भी यही है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर द्वारा उद्धार की अधिक आवश्यकता है से रूपांतरित