65 घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम
1
धार्मिकता का सूरज पूरब से निकलता है।
हे ईश्वर! भरती तेरी महिमा धरती और आकाश को।
मेरे सुंदर प्रियतम, प्रेम तुम्हारा घेरता है मुझको।
सत्य के सभी खोजी करते प्रेम परमेश्वर को।
मैं सुबह अकेले जागती
मगर मेरे दिल में खुशी होती,
जब परमेश्वर के वचनों पे मैं मनन करती।
माँ के दुलार-से हैं, उसके मीठे वचन।
पिता की झिड़की-से हैं,
उसके न्याय के वचन।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर बहुत प्रिय है।
और कुछ भी प्यारा नही है जग में मुझे।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
मैं उसी को पूरी तरह से प्रेम करती हूँ।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
2
परमेश्वर की इच्छा प्रकट हो चुकी है
उसके सच्चे प्रेमियों को पूर्ण करने को।
जीवन से भरपूर ओ मासूम जनो,
परमेश्वर की तुम स्तुति करो।
आनंद-नृत्य है मनोहर और प्यारा,
सिंहासन के चारों ओर तुम उछलो-कूदो।
ईश्वर की वाणी की पुकार सुनने पर,
धरती के कोने कोने से हम आये हैं।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर बहुत प्रिय है।
और कुछ भी प्यारा नही है जग में मुझे।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
मैं उसी को पूरी तरह से प्रेम करती हूँ।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
3
दिये गये हैं हमें परमेश्वर के जीवन-वचन।
हो रहे हैं साफ उसके न्याय से हम।
शुद्धिकरण से और भी मज़बूत होता है प्रेम।
उसके प्रेम का आनंद लेना है मधुर अनुभूति।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर बहुत प्रिय है।
और कुछ भी प्यारा नही है जग में मुझे।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
मैं उसी को पूरी तरह से प्रेम करती हूँ।
घेर लेता है मेरे दिल को परमेश्वर का प्रेम।
घेर लेता है मेरे दिल को प्रेम तुम्हारा,
हे परमेश्वर!
घेर लेता है मेरे दिल को प्रेम तुम्हारा,
हे परमेश्वर!
घेर लेता है मेरे दिल को प्रेम तुम्हारा,
हे परमेश्वर!
घेर लेता है मेरे दिल को प्रेम तुम्हारा,
हे परमेश्वर!