प्रश्न 4: इन्होंने कहा कि किताब परमेश्वर का नया वचन है! प्रकाशित वाक्य में स्पष्ट कहा गया है: "मैं हर एक को, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूँ: यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्‍वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा" (प्रकाशितवाक्य 22:18)। इनकी बातें बाइबल के अलावा हैं।

उत्तर: "आज्ञा में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना" जैसे कि धर्मग्रंथों में कहा गया है। आपको लगता है कि हम बाइबल में जोड़ रहे हैं। तो फिर आइए, समस्या की खोजबीन करें। भाइयो और बहनो, यूहन्ना ने कहा था "यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए," लेकिन यह नहीं कहा, "यदि कोई मनुष्य बाइबल में कुछ बढ़ाए," इसके अलावा, जब यूहन्ना ने ये वचन कहे थे, तब नया नियम था ही नहीं। नया नियम 300 ईसवी के आसपास तैयार हुआ। प्रकाशित वाक्य 90 ईसवी के बाद तैयार हुआ; यह पतामोस के द्वीप पर यूहन्ना की दृष्टि का दस्तावेज था। साफ़ तौर पर, यूहन्ना के कहे अनुसार यह किताब प्रकाशित वाक्य की किताब से भविष्यवाणियों की इबारत के बारे में है, पूरी बाइबल के बारे में नहीं। इसलिए, "आज्ञा में न तो कुछ बढ़ाना" का मतलब यह नहीं है कि भविष्य में परमेश्वर का नया कार्य और वचन नहीं होंगे। यूहन्ना ने जो देखा वह सिर्फ एक दृष्टि थी और परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की वास्तविकता नहीं थी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य और वचन प्रकाशित वाक्य की किताब की भविष्यवाणियों के अलावा नहीं हैं, बल्कि प्रकाशित वाक्य की किताब की भविष्यवाणियों का साकार होना हैं। आइए, बाइबल के दो अंशों पर गौर करें। प्रकाशित वाक्य 2:17 में कहा गया है: "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है। जो जय पाए, उस को मैं गुप्‍त मन्ना में से दूँगा..." धर्मग्रंथों के इस भाग में कहा गया है: "आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" और "गुप्‍त मन्ना।" ये दरअसल सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों में व्यक्त वचनों के बारे में हैं! साथ ही प्रकाशित वाक्य 5:1-5 भी है। "जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी। फिर मैं ने एक बलवन्त स्वर्गदूत को देखा जो ऊँचे शब्द से यह प्रचार करता था, 'इस पुस्तक के खोलने और उसकी मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?' परन्तु न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्तक को खोलने या उस पर दृष्‍टि डालने के योग्य निकला। तब मैं फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि उस पुस्तक के खोलने या उस पर दृष्‍टि डालने के योग्य कोई न मिला। इस पर उन प्राचीनों में से एक ने मुझ से कहा, 'मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है।'" हम सबने सोचा था कि किताब बाइबल का संदर्भ दे रही है, लेकिन धर्मग्रंथ के इस भाग में कहा गया है कि इस किताब पर किसी ने गौर नहीं किया। यह दर्शाता है कि यह किताब बाइबल को लेकर नहीं है। धर्मग्रंथों में कहा गया है: "जो सिंहासन पर बैठा था, मैं ने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी" (प्रकाशितवाक्य 5:1)। इससे पता चलता है कि इस किताब की विषयवस्तु प्रकाशित वाक्य की किताब में दर्ज नहीं की गयी थी। यह आयत हमें बताती है कि सिर्फ अंत के दिनों के मसीह ही इस किताब को खोलने और सात मुहरों को ढीला करने के काबिल हैं।

यूहन्ना ने सातों गर्जन के कथनों के बारे में भी नहीं लिखा था, जिसके बारे में प्रकाशित वाक्य की किताब में लिखा गया है। इससे पता चलता है कि हमें परमेश्वर के अंत के दिनों में आने का इंतजार करना होगा कि वे हमारे सामने इन रहस्यों का खुलासा करें। अगर हम "आज्ञा में न तो कुछ बढ़ाना" का उपयोग परमेश्वर के कार्य और वचन को सीमित करने के लिए करेंगे, तो फिर वह किताब कैसे खुल पायेगी? प्रकाशित वाक्य की किताब की भविष्यवाणियाँ कैसे साकार हो पायेंगी? सर्वशक्तिमान परमेश्वर अब आ चुके हैं, और सात मुहरों और किताब को खोल कर, उन सभी रहस्यों को प्रकट कर दिया है जो लोग युग-युग से समझ नहीं पाये थे। बिल्कुल यही सातों गर्जनाओं के कथनों और पवित्र आत्मा द्वारा कलीसियाओं के लिए बोले गये वचन हैं। यह सच्चा है! तो आइए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के एक और अंश को पढ़ें! "जब तुम इस पुस्तक को पूरा पढ़ लोगे, जब तुम राज्य के युग में देहधारी परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक चरण का अनुभव कर लोगे, तब तुम महसूस करोगे कि अनेक वर्षों की तुम्हारी आशाएँ अंततः साकार हो गई हैं। तुम महसूस करोगे कि केवल अब तुमने परमेश्वर को वास्तव में आमने-सामने देखा है; केवल अब तुमने परमेश्वर के चेहरे को निहारा है, उसके व्यक्तिगत कथन सुने हैं, उसके कार्य की बुद्धिमत्ता को सराहा है, और वास्तव में महसूस किया है कितना वास्तविक और सर्वशक्तिमान है वह। तुम महसूस करोगे कि तुमने ऐसी बहुत-सी चीजें पाई हैं, जिन्हें अतीत में लोगों ने न कभी देखा था, न ही प्राप्त किया था। इस समय, तुम स्पष्ट रूप से जान लोगे कि परमेश्वर पर विश्वास करना क्या होता है, और परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप होना क्या होता है। निस्संदेह, यदि तुम अतीत के विचारों से चिपके रहते हो, और परमेश्वर के दूसरे देहधारण के तथ्य को अस्वीकार या उससे इनकार करते हो, तो तुम खाली हाथ रहोगे और कुछ नहीं पाओगे, और अंततः परमेश्वर का विरोध करने के दोषी ठहराए जाओगे। वे जो सत्य का पालन करते हैं और परमेश्वर के कार्य के प्रति समर्पण करते हैं, उनका दूसरे देहधारी परमेश्वर—सर्वशक्तिमान—के नाम पर दावा किया जाएगा। वे परमेश्वर का व्यक्तिगत मार्गदर्शन स्वीकार करने में सक्षम होंगे, वे अधिक और उच्चतर सत्य तथा वास्तविक जीवन प्राप्त करेंगे। वे उस दृश्य को निहारेंगे, जिसे अतीत के लोगों द्वारा पहले कभी नहीं देखा गया था : 'तब मैं ने उसे, जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं, और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्‍वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्‍वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है' (प्रकाशितवाक्य 1:12-16)यह दृश्य परमेश्वर के संपूर्ण स्वभाव की अभिव्यक्ति है, और उसके संपूर्ण स्वभाव की यह अभिव्यक्ति वर्तमान देहधारण में परमेश्वर के कार्य की अभिव्यक्ति भी है। ताड़ना और न्याय की बौछारों में मनुष्य का पुत्र कथनों के माध्यम से अपने अंर्तनिहित स्वभाव को अभिव्यक्त करता है, और उन सबको जो उसकी ताड़ना और न्याय स्वीकार करते हैं, मनुष्य के पुत्र के वास्तविक चेहरे को निहारने की अनुमति देता है, जो यूहन्ना द्वारा देखे गए मनुष्य के पुत्र के चेहरे का ईमानदार चित्रण है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)

"बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 3: प्रभु यीशु ने खुद कहा था कि बाइबल उनकी गवाही है। इसीलिए प्रभु में हमारी आस्था की बुनियाद बाइबल ही होनी चाहिए। प्रभु को जानने का हमारा एकमात्र मार्ग बाइबल ही है।

अगला: प्रश्न 5: 2 तीमुथियुस 3:16 में पौलुस ने कहा था: "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है …" यह दर्शाता है कि बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर का वचन है। लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो कहते हैं कि बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर का वचन नहीं है। क्या यह बाइबल को नकारना और लोगों को धोखा देना नहीं है?

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प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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