प्रश्न 2: बाइबल में कहा गया है, "परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर ही है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा?" (रोमियों 8:33-34)। इससे सिद्ध होता है कि प्रभु यीशु ने सलीब पर चढ़कर हम सबके पापों को क्षमा कर दिया। प्रभु यीशु अब हमें पापी नहीं मानते। अब हम पर इल्ज़ाम कौन लगाएगा?
उत्तर: बाइबल में लिखा है, "परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा?" यहां एक बात स्पष्ट होनी चाहिये। वो कौन लोग हैं जिन्हें परमेश्वर ने चुना है? जो लगातार पाप करने वाले हैं, जो प्रभु को और अपने दोस्तों को बेचते हैं, वो जो परमेश्वर की भेंटें चुरा लेते हैं, व्यभिचारी, डरपोक और पाखंडी फरीसी, क्या वे परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं? जो भी परमेश्वर में विश्वास करता है, वो परमेश्वर का चुना हुआ है, तो फिर जो प्रकाशित-वाक्य में लिखा है, उसे कैसे समझें, "पर कुत्ते, और टोन्हें, और व्यभिचारी, और हत्यारे और मूर्तिपूजक, और हर एक झूठ का चाहनेवाला और गढ़नेवाला बाहर रहेगा" (प्रकाशितवाक्य 22:15)। इसलिये परमेश्वर में विश्वास करने वाला हर इंसान परमेश्वर का चुना हुआ नहीं है। जो वाकई परमेश्वर की सेवा करते हैं और उन्हें प्रेम करते हैं, जो उनकी सच्ची गवाही देते हैं, वही परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं। मिसाल के तौर पर, अब्राहम, अय्यूब और पतरस परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते थे और उन्हें पूजते थे। उनके कर्म धार्मिक थे और वे अच्छे गवाह थे। उनके हर कार्य को परमेश्वर की मंज़ूरी मिली थी। कोई भी उन पर इल्ज़ाम नहीं लगा पाया। परमेश्वर ने ये कब कहा कि सभी आस्थावान धार्मिक हैं? उनमें से अधिकतर पाप करते हैं, परमेश्वर का विरोध करते हैं और उन्हें धोखा देते हैं। ये सच है। प्रभु यीशु ने कभी नहीं कहा कि अधिकतर विश्वासी धार्मिक हैं। इसलिये, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के मायने हैं वो लोग जो धार्मिक कार्य करते हैं और परमेश्वर की इच्छा को पूरा करते हैं।
"मर्मभेदी यादें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश