प्रश्न 1: बाइबल में लिखा है, "क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है" (रोमियों 10:10)। यीशु में अपने विश्वास के कारण हमें पहले ही बचा लिया गया है। एक बार बचा लिए जाने पर, हम अनंत काल के लिये बच जाते हैं। प्रभु के आने पर हम ज़रूर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकेंगे।

उत्तर: "एक बार हम बचा लिये जाते हैं तो हम हमेशा के लिये बच जाते हैं और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकते हैं," ये इंसानी दिमाग की उपज और कल्पना है। ये बात परमेश्वर के वचनों से बिल्कुल मेल नहीं खाती। प्रभु यीशु ने कभी नहीं कहा कि विश्वास के कारण बचाए जाने पर लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकते हैं। प्रभु यीशु ने कहा है कि जो स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा करते हैं, केवल वही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकते हैं। केवल प्रभु यीशु के वचनों में ही अधिकार और सत्य है। इंसान की धारणाएं और कल्पनाएं सच नहीं होतीं। वे स्वर्ग के राज्य में जाने का पैमाना नहीं हैं। हम जिस "विश्वास के ज़रिए उद्धार" की बात करते हैं, इसमें इंसान को सिर्फ क्षमा किया जाता है, उसे मुजरिम नहीं ठहराया जाता कानूनन मौत की सज़ा नहीं दी जाती। इसका मतलब ये नहीं है कि जिसे "बचा" लिया गया है, वो परमेश्वर के मार्ग पर चल सकता है, पापमुक्त और पवित्र हो गया है। इसका ये मतलब तो बिल्कुल नहीं है कि वो स्वर्ग के राज्य में जा सकता है। भले ही आस्था के ज़रिये हमें अपने पापों से क्षमा मिल गई है, लेकिन हमारे पाप फिर भी हैं। हम अभी भी पाप और परमेश्वर का विरोध कर सकते हैं। हम लगातार पाप करने और उन्हें स्वीकार करने के फेर में रहते हैं। इस तरह के लोग भला स्वर्ग के राज्य में कैसे प्रवेश पा सकते हैं? बाइबल कहती है, "और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)। अगर तुम कहते हो कि बार-बार पाप करने वाला स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकता है तो ये सच्चाई के अनुरूप नहीं है। क्या तुम ये बात कह पाओगे कि अशुद्ध, दूषित और लगातार पाप करने वाले स्वर्ग के राज्य में रहते हैं? क्या तुमने कभी किसी अशुद्ध और दुष्ट व्यक्ति को स्वर्ग के राज्य में देखा है? प्रभु धार्मिक और पवित्र हैं। क्या प्रभु लगातार पाप करने वाले को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने देंगे? प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)। इसलिये ज़ाहिर है, जो लोग पापों से मुक्त होकर पवित्र नहीं हुए हैं, वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। अगर तुम्हारी बात सच है, और आस्था के ज़रिए उद्धार पाने वाला स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकता है, तो फिर प्रभु यीशु ने ये क्यों कहा, "जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।" उन्होंने क्यों कहा, वो बकरियों को भेड़ों से और गेहूं को घास-फूस से अलग कर देंगे? इसलिये "विश्वास के ज़रिए उद्धार पाने वाले स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर जाएंगे" वाली बात सही नहीं हो सकती है। ये विश्वास प्रभु यीशु के वचनों के बिल्कुल विपरीत है।

"मर्मभेदी यादें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 7: आज हम प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं; उनके नाम को फैलाने के लिये इतना त्याग करते हैं, हर चीज़ छोड़ रहे हैं। हम स्‍वर्गिक पिता की इच्छा का पालन ही तो कर रहे हैं। इसका मतलब है कि हम पवित्र बन चुके हैं। जब प्रभु आएंगे तो वो ज़रूर हमें स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहित करेंगे।

अगला: प्रश्न 2: बाइबल में कहा गया है, "परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्‍वर ही है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा?" (रोमियों 8:33-34)। इससे सिद्ध होता है कि प्रभु यीशु ने सलीब पर चढ़कर हम सबके पापों को क्षमा कर दिया। प्रभु यीशु अब हमें पापी नहीं मानते। अब हम पर इल्ज़ाम कौन लगाएगा?

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें