259 मैं हूँ बस एक अदना सृजित प्राणी
1
हे परमेश्वर! चाहे मेरे पास कोई रुतबा हो न हो,
अब मैं ख़ुद को समझता हूँ।
यदि मेरा रुतबा ऊँचा है, तो ये ऊँचाई तूने दी है।
यदि मेरा रुतबा नीचा है, तो ये विधान तेरा है।
हे परमेश्वर! न मेरे पास है विकल्प, ना ही शिकायतें।
सब कुछ है तेरे हाथों में।
तूने किया तय कि मैं लूँ जन्म
इस देश में, इन लोगों के बीच में,
और मुझे केवल तेरे प्रभुत्व के अधीन फ़रमाबरदार होना चाहिए।
मैं एक छोटे जीव से ज़्यादा कुछ भी नहीं,
सृष्टिकर्ता के द्वारा जीवित किया गया।
तूने मुझे बनाया और तूने अब मुझे रखा है
अपने हाथों में, अपनी करुणा पर।
मैं चाहता हूँ बनना तेरा साधन, तेरी विषमता।
क्योंकि ये तूने तय किया है,
और कोई इसे कभी बदल नहीं सकता है।
सब कुछ है तेरे हाथों में।
2
हे परमेश्वर! मैं केन्द्रित नहीं हूँ रुतबे की ओर, मैं नहीं हूँ।
मैं हूँ केवल जीवों में से एक।
यदि तू मुझे रखे गंधक और आग की झील में,
या गहरी खाई में, मैं कुछ भी नहीं पर एक जीव हूँ।
मैं एक छोटे जीव से ज़्यादा कुछ भी नहीं,
सृष्टिकर्ता के द्वारा जीवित किया गया।
तूने मुझे बनाया और तूने अब मुझे रखा है
अपने हाथों में, अपनी करुणा पर।
मैं चाहता हूँ बनना तेरा साधन, तेरी विषमता।
क्योंकि ये तूने तय किया है,
और कोई इसे कभी बदल नहीं सकता है।
सब कुछ है तेरे हाथों में।
3
यदि तू मेरा उपयोग करे, मैं एक जीव हूँ।
यदि तू मुझे पूर्ण करे, फिर भी मैं एक जीव हूँ।
यदि मुझे तू करे न पूर्ण, मैं फिर भी तुझसे प्यार करूँगा
क्योंकि मैं सिर्फ़ एक जीव हूँ।
मैं एक छोटे जीव से ज़्यादा कुछ भी नहीं,
सृष्टिकर्ता के द्वारा जीवित किया गया।
तूने मुझे बनाया और तूने अब मुझे रखा है
अपने हाथों में, अपनी करुणा पर।
मैं चाहता हूँ बनना तेरा साधन, तेरी विषमता।
क्योंकि ये तूने तय किया है,
और कोई इसे कभी बदल नहीं सकता है।
सब कुछ है तेरे हाथों में।