260 मैं दिल से केवल परमेश्वर से प्रेम करना चाहता हूँ
1
हे ईश्वर! मैं न चाहूँ कि दूसरे मुझसे
अच्छे से पेश आएँ, मुझे सहें,
न ये कि वे मुझे समझें या मुझे स्वीकार करें।
मैं तो बस इतना माँगूँ
कि मैं दिल से प्रेम करूँ तुमसे,
मेरा ज़मीर साफ रहे और सुकून हो मेरे दिल में।
तुम्हारे लिए प्रेम से भरे दिल से मैं
सारे काम करना चाहूँ;
सच्चे दिल और सत्य के साथ
तुम्हारी सेवा करना चाहूँ।
मैं तो बस इतना चाहूँ
कि जब तक जीऊँ तुम्हारी इच्छा पूरी करूँ,
अपने सारे काम तुम्हारी इच्छा अनुसार करूँ।
2
मैं न माँगूँ दूसरों की प्रशंसा,
न ये कि वे मेरे बारे में ऊँचा सोचें;
अपने दिल से बस तुम्हें संतुष्ट करना चाहूँ मैं,
मेरी कामना है बस इतनी कि
सत्य का अभ्यास कर पाऊँ
ताकि तुझे संतुष्ट करने के काबिल हो सकूँ मैं।
तुम्हारे लिए प्रेम से भरे दिल से मैं
सारे काम करना चाहूँ;
सच्चे दिल और सत्य के साथ
तुम्हारी सेवा करना चाहूँ।
मैं तो बस इतना चाहूँ
कि जब तक जीऊँ तुम्हारी इच्छा पूरी करूँ,
अपने सारे काम तुम्हारी इच्छा अनुसार करूँ।
3
पूरी निष्ठा से मैं निभाऊँ अपना कर्तव्य,
मेरी क्षमता और बुद्धि कम ही सही,
पर मैं इतना जानूँ कि तुम प्यारे हो,
और मैं तैयार हूँ अपना सब कुछ तुम्हें देने को।
तुम्हारे लिए प्रेम से भरे दिल से मैं
सारे काम करना चाहूँ;
सच्चे दिल और सत्य के साथ
तुम्हारी सेवा करना चाहूँ।
मैं तो बस इतना चाहूँ
कि जब तक जीऊँ तुम्हारी इच्छा पूरी करूँ,
अपने सारे काम तुम्हारी इच्छा अनुसार करूँ।