2. परमेश्वर के देह बनने क महत्व

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :

यह देह इंसान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि वह इंसान है और उससे भी बढ़कर वह परमेश्वर है, क्योंकि वह उस कार्य को कर सकता है जिसे हाड़-माँस का कोई सामान्य इंसान नहीं कर सकता, क्योंकि वह भ्रष्ट इंसान को बचा सकता है, जो पृथ्वी पर उसके साथ मिलकर रहता है। हालाँकि वह भी इंसान है, फिर भी देहधारी परमेश्वर किसी भी मूल्यवान व्यक्ति की तुलना में मनुष्यजाति के लिए अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह उस कार्य को कर सकता है जो परमेश्वर के आत्मा के द्वारा नहीं किया जा सकता, वह स्वयं परमेश्वर की गवाही देने के लिए परमेश्वर के आत्मा की तुलना में अधिक सक्षम है, और मनुष्यजाति को पूरी तरह से प्राप्त करने के लिए परमेश्वर के आत्मा की तुलना में अधिक समर्थ है। परिणामस्वरूप, यद्यपि यह देह सामान्य और साधारण है, लेकिन जब मनुष्यजाति के प्रति उसके योगदान और मनुष्यजाति के अस्तित्व के लिए उसके महत्व की बात आती है तो वह अत्यंत मूल्यवान हो जाता है और कोई भी मनुष्य इस देह के वास्तविक मूल्य तथा महत्व का मापन नहीं कर सकता। यद्यपि यह देह सीधे तौर पर शैतान को नष्ट नहीं कर सकता, फिर भी वह मनुष्यजाति को जीतने और शैतान को हराने के लिए अपने कार्य का उपयोग कर सकता है, शैतान को पूरी तरह से अपने प्रभुत्व के अधीन कर सकता है। चूँकि परमेश्वर देहधारी है, वह शैतान को हरा कर इंसान को बचा सकता है। वह सीधे तौर पर शैतान को नष्ट नहीं करता, बल्कि जिस मनुष्यजाति को शैतान ने भ्रष्ट किया है, उसे जीतने का कार्य करने के लिए वह देह बनता है। इस तरह से, वह अपने सृजित प्राणियों के बीच बेहतर ढंग से गवाही दे सकता है, और वह भ्रष्ट हुए इंसान को बेहतर ढंग से बचा सकता है। परमेश्वर के आत्मा के द्वारा शैतान के प्रत्यक्ष विनाश की तुलना में देहधारी परमेश्वर के द्वारा शैतान की पराजय अधिक बड़ी गवाही देती है और ज़्यादा प्रेरक है। देहधारी परमेश्वर सृजनकर्ता को जानने में मनुष्य के लिए अधिक लाभदायक है, और अपने सृजित प्राणियों के बीच स्वयं की बेहतर ढंग से गवाही दे सकता है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर द्वारा उद्धार की अधिक आवश्यकता है

देह में उसके कार्य की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वह उन लोगों के लिए सटीक वचन, उपदेश और मनुष्यजाति के लिए अपने सटीक इरादों को उन लोगों के लिए छोड़ सकता है जो उसका अनुसरण करते हैं, ताकि बाद में उसके अनुयायी देह में किए गए उसके समस्त कार्य और संपूर्ण मनुष्यजाति के लिए उसके इरादों को अत्यधिक सटीकता से, और अधिक व्यावहारिक शब्दों में उन लोगों तक पहुँचा सकें जो इस मार्ग को स्वीकार करते हैं। केवल मनुष्यों के बीच कार्य करता हुआ देहधारी परमेश्वर ही सही अर्थों में परमेश्वर के मनुष्य के साथ रहने और उसके साथ जीने को यथार्थ बनाता है और परमेश्वर के चेहरे को देखने, परमेश्वर के कार्य की गवाही देने, और परमेश्वर के व्यक्तिगत वचन को सुनने की मनुष्य की इच्छा को पूरा करता है। देहधारी परमेश्वर उस युग का अंत करता है जब सिर्फ यहोवा की पीठ ही मनुष्यजाति को दिखाई देती थी, और साथ ही वह अज्ञात परमेश्वर में मनुष्यजाति के विश्वास करने के युग को भी समाप्त करता है। विशेष रूप से, परमेश्वर के अंतिम देहधारण का कार्य संपूर्ण मनुष्यजाति को एक ऐसे युग में लाता है जो अधिक वास्तविक, अधिक व्यावहारिक, और अधिक सुंदर है। यह काम न केवल व्यवस्था और विनियमों के युग का ही अंत करता है, बल्कि अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वह मनुष्यजाति पर ऐसे परमेश्वर को प्रकट करता है जो व्यावहारिक और सामान्य है, जो धार्मिक और पवित्र है, जो प्रबंधन योजना के कार्य का खुलासा करता है और मनुष्यजाति के रहस्यों और मंज़िल को प्रदर्शित करता है, जिसने मनुष्यजाति का सृजन किया और प्रबंधन कार्य को अंजाम तक पहुँचाता है, और जिसने हज़ारों वर्षों तक खुद को छिपा कर रखा है। यह काम अस्पष्टता के युग का पूर्णतः अंत करता है, यह उस युग का समापन करता है जिसमें संपूर्ण मनुष्यजाति परमेश्वर का चेहरा खोजना तो चाहती थी मगर खोज नहीं पायी, यह उस युग का अंत करता है जिसमें संपूर्ण मनुष्यजाति शैतान की सेवा करती थी, और यह संपूर्ण मनुष्यजाति की एक पूर्णतया नए युग में अगुवाई करता है। यह सब परमेश्वर के आत्मा के बजाए देह में प्रकट परमेश्वर के कार्य का परिणाम है। केवल जब परमेश्वर अपने देह में कार्य करता है, तभी जो लोग उसका अनुसरण करते हैं, वे अब और उन चीजों को खोजते और टटोलते नहीं हैं जो विद्यमान और अविद्यमान दोनों प्रतीत होती हैं, और अस्पष्ट परमेश्वर के इरादों का अंदाजा लगाना बंद कर देते हैं। जब परमेश्वर देह में अपने कार्य को फैलाता है, तो जो लोग उसका अनुसरण करते हैं वे उसके द्वारा देह में किए गए कार्य को सभी धर्मों और पंथों में आगे बढ़ाएँगे, और वे उसके सभी वचनों को संपूर्ण मनुष्यजाति के कानों तक पहुँचाएँगे। उसके सुसमाचार को प्राप्त करने वाले जो सुनेंगे, वे उसके कार्य के तथ्य होंगे, ऐसी चीजें होंगी जो मनुष्य के द्वारा व्यक्तिगत रूप से देखी और सुनी गई होंगी, और तथ्य होंगे, अफवाह नहीं। ये तथ्य ऐसे प्रमाण हैं जिनसे वह कार्य को फैलाता है, और वे ऐसे साधन भी हैं जिन्हें वह कार्य को फैलाने में उपयोग करता है। बिना तथ्यों के उसका सुसमाचार सभी देशों और सभी स्थानों तक नहीं फैलेगा; बिना तथ्यों के केवल मनुष्यों की कल्पनाओं के सहारे, वह कभी भी संपूर्ण ब्रह्माण्ड पर विजय नहीं पा सकेगा। पवित्रात्मा मनुष्य के लिए अस्पृश्य और अदृश्य है, और पवित्रात्मा का कार्य मनुष्य के लिए परमेश्वर के कार्य के और प्रमाण या और तथ्यों को छोड़ने में असमर्थ है। मनुष्य परमेश्वर के असली चेहरे को कभी नहीं देख पाएगा, वह हमेशा ऐसे अस्पष्ट परमेश्वर में विश्वास करेगा जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। मनुष्य कभी भी परमेश्वर के मुख को नहीं देखेगा, न ही मनुष्य परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों को कभी सुन पाएगा। आखिर, मनुष्य की कल्पनाएँ खोखली होती हैं, वे परमेश्वर के असली चेहरे का स्थान कभी नहीं ले सकतीं; मनुष्य परमेश्वर के अंतर्निहित स्वभाव, और स्वयं परमेश्वर के कार्य का अभिनय नहीं कर सकता। स्वर्ग के अदृश्य परमेश्वर और उसके कार्य को केवल परमेश्वर के व्यक्तिगत रूप से से अपना कार्य करने के लिए देह बनने और मनुष्य के बीच आने के द्वारा ही पृथ्वी पर लाया जा सकता है जो मनुष्यों के बीच व्यक्तिगत रूप से अपना कार्य करता है। परमेश्वर के लिए मनुष्य के सामने प्रकट होने का यही सबसे आदर्श तरीका है, जिसमें मनुष्य परमेश्वर को देखता है और परमेश्वर के असली चेहरे को जानने लगता है। इसे कोई गैर-देहधारी परमेश्वर संपन्न नहीं कर सकता।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर द्वारा उद्धार की अधिक आवश्यकता है

इस बार परमेश्वर कार्य करने के लिए आध्यात्मिक शरीर में नहीं, बल्कि बहुत ही साधारण शरीर में आया है। इसके अलावा, यह परमेश्वर के दूसरे देहधारण का शरीर है और यह वह शरीर भी है, जिसके द्वारा वह देह में लौटकर आया है। यह एक बहुत साधारण देह है। उस पर नजर डालकर तुम ऐसा कुछ नहीं देख सकते जो उसे दूसरों से अलग खड़ा करता हो, लेकिन तुम उससे पहले कभी न सुने गए सत्य प्राप्त कर सकते हो। महज यह तुच्छ देह परमेश्वर के सत्य के समस्त वचनों का मूर्त रूप है, अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की धारक है और मनुष्य के समझने के लिए परमेश्वर के संपूर्ण स्वभाव की अभिव्यक्ति है। क्या तुम स्वर्ग के परमेश्वर को देखने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? क्या तुम स्वर्ग के परमेश्वर को समझने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? क्या तुम मानवजाति का गंतव्य देखने की प्रबल अभिलाषा नहीं करते? वह तुम्हें ये सभी रहस्य बताएगा—वे रहस्य जो कोई मनुष्य तुम्हें कभी नहीं बता पाया है—और वह तुम्हें वे सत्य भी बताएगा जिन्हें तुम नहीं समझते। वह राज्य में जाने का तुम्हारा द्वार है, और नए युग में जाने के लिए तुम्हारा मार्गदर्शक है। यह साधारण देह कई रहस्यों को समेटे हुए है जिनकी थाह मनुष्य नहीं ले सकता है। उसके कर्म तुम्हारे लिए गूढ़ हैं, लेकिन उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य का संपूर्ण लक्ष्य तुम्हें इतना देखने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त है कि वह कोई साधारण देह नहीं है, जैसा कि लोग मानते हैं—क्योंकि वह अंत के दिनों के परमेश्वर के इरादों और अंत के दिनों में मानवजाति के प्रति परमेश्वर की परवाह का प्रतिनिधित्व करता है। यद्यपि तुम उसके द्वारा बोले गए उन वचनों को नहीं सुन सकते जो आकाश और पृथ्वी को कँपाते-से लगते हैं, यद्यपि तुम उसकी आँखें आग की लपटों जैसी नहीं देख सकते, और यद्यपि तुम उसके लौह-दंड का अनुशासन नहीं पा सकते, फिर भी तुम उसके वचनों से यह सुन सकते हो कि परमेश्वर क्रोधित हो रहा है और यह जान सकते हो कि परमेश्वर मानवजाति पर दया दिखा रहा है, और तुम परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव और उसकी बुद्धि देख सकते हो, और उससे भी अधिक, समस्त मानवजाति के लिए परमेश्वर की परवाह को समझ सकते हो। अंत के दिनों में परमेश्वर का कार्य मनुष्य को स्वर्ग के परमेश्वर का पृथ्वी पर मनुष्यों के बीच रहना दिखाना है और परमेश्वर को जानने, उसके प्रति समर्पण करने, उसका भय मानने और उससे प्रेम करने में सक्षम बनाना है। यही कारण है कि वह दूसरी बार देह में लौटा है। यूँ तो आज मनुष्य जो देखता है वह एक ऐसा परमेश्वर है जो बिल्कुल मनुष्य के ही समान है, एक नाक और दो आँखों वाला परमेश्वर और एक बहुत ही साधारण परमेश्वर, लेकिन अंत में परमेश्वर तुम लोगों को दिखाएगा कि अगर यह व्यक्ति न हो तो स्वर्ग और पृथ्वी एक जबरदस्त बदलाव से गुजरेंगे; अगर यह व्यक्ति न हो तो स्वर्ग धुँधला जाएगा, पृथ्वी पर उथल-पुथल मच जाएगी और समस्त मानवजाति अकाल और महामारियों के बीच जिएगी। वह तुम लोगों को दिखाएगा कि यदि अंत के दिनों का देहधारी परमेश्वर तुम लोगों को बचाने के लिए न आता तो परमेश्वर समस्त मानवजाति को बहुत पहले ही नरक में नष्ट कर चुका होता; यदि यह देह न होती तो तुम लोग सदैव महापापी होते और तुम हमेशा के लिए लाश बन जाते। तुम लोगों को जानना चाहिए कि यदि यह देह न होती तो समस्त मानवजाति के लिए एक महा आपदा से बचना असंभव होता, और उसके लिए अंत के दिनों में परमेश्वर द्वारा मानवजाति को दिए जाने वाले और भी कठोर दंड से बच पाना कठिन होता। यदि इस साधारण देह का जन्म न हुआ होता तो तुम सबकी ऐसी हालत होती कि तुम लोग जीवन की भीख माँगते लेकिन जी न पाते और मरने की भीख माँगते लेकिन मर न पाते; यदि यह देह न होती तो तुम लोग सत्य प्राप्त न कर पाते और आज परमेश्वर के सिंहासन के सामने न आ पाते, बल्कि अपने जघन्य पापों के लिए परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाते। क्या तुम लोग जानते थे कि यदि परमेश्वर देह में लौटा न होता तो किसी के पास भी उद्धार का अवसर न होता; और यदि इस देह का आगमन न होता तो परमेश्वर ने बहुत पहले ही पुराने युग को समाप्त कर दिया होता? ऐसा होने से क्या तुम लोग अभी भी परमेश्वर के दूसरे देहधारण को नकारोगे? चूँकि तुम लोग इस साधारण व्यक्ति से इतने बड़े लाभ प्राप्त कर सकते हो तो तुम उसे प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार क्यों नहीं करोगे?

परमेश्वर का कार्य ऐसा है, जिसे तुम समझ नहीं सकते। यदि तुम न तो पूरी तरह से यह समझ सकते हो कि तुम्हारा चुनाव सही है या नहीं, और न ही तुम यह जान सकते हो कि परमेश्वर का कार्य सफल हो सकता है या नहीं, तो तुम अपनी किस्मत क्यों नहीं आजमाते और क्यों नहीं यह देखते कि क्या यह साधारण मनुष्य तुम्हारी बड़ी मदद कर सकता है और क्या परमेश्वर ने वास्तव में महान काम किया है? लेकिन मुझे तुम्हें बताना चाहिए कि नूह के दिनों में लोग इस हद तक खाने-पीने और शादी-ब्याह करने में लीन रहते थे कि परमेश्वर के यह सब देखना लिए असहनीय हो गया था, इसलिए उसने समस्त मानवजाति के विनाश के लिए एक बड़ी बाढ़ भेजी और बस आठ सदस्यों वाले नूह के परिवार और सभी प्रकार के पशु-पक्षियों को बचाया। लेकिन अंत के दिनों में परमेश्वर द्वारा बचाए गए लोग वे हैं, जो अंत तक उसके वफादार रहे हैं। यद्यपि दोनों युग अत्यधिक भ्रष्टाचार के युग थे जो परमेश्वर के लिए असहनीय था, और दोनों युगों में मानवजाति बहुत भ्रष्ट हो चुकी थी और उसने परमेश्वर को अपना प्रभु मानने से इनकार कर दिया था, फिर भी परमेश्वर ने नूह के समय के लोगों को ही नष्ट किया। दोनों युगों में मानवजाति ने परमेश्वर को बहुत कष्ट दिया, फिर भी परमेश्वर ने अंत के दिनों में अब तक मनुष्यों के प्रति धीरज रखा है। ऐसा क्यों है? क्या तुम लोगों ने कभी सोचा नहीं कि ऐसा क्यों है? यदि तुम लोग सचमुच नहीं जानते, तो चलो, मैं तुम्हें बता देता हूँ। अंत के दिनों में परमेश्वर द्वारा लोगों को अनुग्रह प्रदान कर पाने का कारण यह नहीं है कि वे नूह के समय के लोगों की तुलना में कम भ्रष्ट हैं या उन्होंने परमेश्वर के सामने पश्चात्ताप किया है, और यह कारण तो बिल्कुल नहीं है कि अंत के दिनों में तकनीक इतनी उन्नत हो गई है कि परमेश्वर लोगों को नष्ट नहीं कर सकता। बल्कि इसका कारण यह है कि अंत के दिनों में परमेश्वर को लोगों के एक समूह में कार्य करना है, और परमेश्वर यह कार्य अपने देहधारण में स्वयं करेगा। इतना ही नहीं, परमेश्वर इस समूह के एक भाग को अपने उद्धार का पात्र और अपनी प्रबंधन-योजना का परिणाम बनाएगा, और इन लोगों को अगले युग में लाएगा। इसलिए फिर भी, परमेश्वर ने जो कीमत चुकाई है, वह पूरी तरह से अंत के दिनों में उसके द्वारा धारित देह द्वारा किए जाने वाले कार्य की तैयारी में रही है। यह तथ्य कि तुम लोग आज तक पहुँच गए हो, इसी देह के कारण है। चूँकि परमेश्वर देह में जीता है, इसीलिए तुम लोगों के पास जीवित रहने का मौका है। यह सारा आशीष इसी साधारण मनुष्य के कारण मिला है। इतना ही नहीं, बल्कि अंत में समस्त राष्ट्र इस साधारण मनुष्य की उपासना करेंगे और साथ ही इस मामूली मनुष्य को धन्यवाद देंगे और उसके प्रति समर्पण करेंगे, क्योंकि उसके द्वारा लाए गए सत्य, जीवन और मार्ग ने ही समस्त मानवजाति को बचाया है, मनुष्य और परमेश्वर के बीच के संघर्ष को शांत किया है, उनके बीच की दूरी कम की है, और परमेश्वर के विचारों और मनुष्य के बीच संबंध स्थापित किया है। इसी ने परमेश्वर के लिए और अधिक महिमा हासिल की है। क्या ऐसा साधारण मनुष्य तुम्हारे विश्वास और श्रद्धा के योग्य नहीं है? क्या यह साधारण देह मसीह कहलाने के योग्य नहीं है? क्या ऐसा साधारण मनुष्य लोगों के बीच परमेश्वर की अभिव्यक्ति नहीं बन सकता? क्या ऐसा व्यक्ति, जिसने मानवजाति को आपदा से बचाया है, तुम लोगों के प्रेम और थामे रखने की तुम्हारी इच्छा के लायक नहीं हो सकता? यदि तुम लोग उसके मुख से निकले सत्य को नकारते हो, और अपने बीच उसके अस्तित्व से घृणा करते हो, तो अंत में तुम लोगों का क्या होगा?

अंत के दिनों में परमेश्वर का सारा काम इस साधारण मनुष्य के माध्यम से किया जाता है। वह तुम्हें सब-कुछ प्रदान करेगा और इतना ही नहीं, वह तुमसे जुड़ी हर चीज तय करने में सक्षम होगा। क्या ऐसा व्यक्ति वैसा हो सकता है जैसा तुम लोग मानते हो : एक इतना सरल मनुष्य जो उल्लेख करने योग्य नहीं है? क्या उसका सत्य तुम लोगों को पूर्ण रूप से आश्वस्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है? क्या उसके कर्मों को अपनी आँखों से देखना तुम लोगों को आश्वस्त करने में असमर्थ है? या फिर जिस मार्ग पर वह ले जाता है वह तुम्हारे लिए चलने के योग्य नहीं है? सब कुछ कहे और किए जाने के बाद वह क्या चीज है जिसके कारण तुम लोग उससे बैर-भाव महसूस करते हो और उसे नकार देते हो और उससे बचते रहते हो? यही वह मनुष्य है जो सत्य अभिव्यक्त करता है, यही वह मनुष्य है जो सत्य प्रदान करता है और यही वह मनुष्य है जो तुम लोगों को अनुसरण करने के लिए मार्ग प्रदान करता है। क्या ऐसा हो सकता है कि तुम लोग अभी भी इन सत्यों के भीतर परमेश्वर के कार्य के संकेत पाने में असमर्थ हो? यीशु के कार्य के बिना मानवजाति सूली से नहीं उतर सकती थी, लेकिन आज के देहधारण के बिना सूली से उतरे लोग कभी परमेश्वर का अनुमोदन नहीं पा सकते या नए युग में प्रवेश नहीं कर सकते। इस साधारण मनुष्य के आगमन के बिना तुम लोगों को कभी परमेश्वर के सच्चे मुखमंडल का दर्शन करने का अवसर नहीं मिलता, न ही तुम इसके योग्य होते, क्योंकि तुम सब लोग ऐसी वस्तुएँ हो जिन्हें बहुत पहले ही नष्ट कर दिया जाना चाहिए था। परमेश्वर के द्वितीय देहधारण के आगमन के कारण परमेश्वर ने तुम लोगों को क्षमा कर दिया है और तुम लोगों पर दया दिखाई है। खैर अंत में मुझे तुम लोगों को जिन वचनों के साथ छोड़ना होगा, वे अभी भी यही हैं : यह साधारण मनुष्य, जो देहधारी परमेश्वर है, तुम लोगों के लिए अत्यधिक महत्व का है। यह वह महान काम है जिसे परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच पहले ही कर दिया है।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या तुम जानते थे? परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच एक महान काम किया है

जो लोग मसीह द्वारा बोले गए सत्य पर भरोसा किए बिना जीवन प्राप्त करना चाहते हैं, वे पृथ्वी पर सबसे बेतुके लोग हैं, और जो मसीह द्वारा लाए गए जीवन के मार्ग को स्वीकार नहीं करते, वे कोरी कल्पना में खोए हैं। और इसलिए मैं कहता हूँ कि जो लोग अंत के दिनों के मसीह को स्वीकार नहीं करते, उनसे परमेश्वर हमेशा घृणा करेगा। मसीह अंत के दिनों के राज्य के लिए मनुष्य का प्रवेशद्वार है और ऐसा कोई नहीं है जो उसे लाँघकर निकल सके। मसीह के माध्यम के अलावा किसी भी दूसरे तरीके से किसी को भी परमेश्वर द्वारा पूर्ण नहीं बनाया जा सकता। तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, इसलिए तुम्हें उसके वचन स्वीकारने चाहिए और उसके वचन के प्रति समर्पण करना चाहिए। सत्य और जीवन के प्रावधान को स्वीकारने में असमर्थ रहते हुए केवल आशीष प्राप्त करने की मत सोचो। मसीह अंत के दिनों में इसलिए आया है ताकि वह उन सबको जीवन प्रदान कर सके जो उसमें ईमानदारी से विश्वास रखते हैं। यह कार्य पुराने युग को समाप्त करने और नए युग में प्रवेश करने के लिए है, और यह कार्य वह मार्ग है जिसे नए युग में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को अपनाना चाहिए। यदि तुम मसीह को नहीं स्वीकारते और यही नहीं, उसकी भर्त्सना, ईशनिंदा या उसका उत्पीड़न करते हो, तो तुम्हें अनंतकाल तक जलाया जाना तय है और तुम परमेश्वर के राज्य में कभी प्रवेश नहीं करोगे। ऐसा इसलिए क्योंकि यह मसीह स्वयं पवित्र आत्मा की अभिव्यक्ति है, परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वह है जिसे परमेश्वर ने अपना कार्य पृथ्वी पर करने के लिए सौंपा है, और इसलिए मैं कहता हूँ कि यदि तुम वह सब स्वीकार नहीं करते जो अंत के दिनों के मसीह द्वारा किया जाता है, तो तुम पवित्र आत्मा की ईशनिंदा करते हो। पवित्र आत्मा की ईशनिंदा करने वाले जिस प्रतिफल के पात्र हैं, वह सभी को स्वतः स्पष्ट है। मैं तुम्हें यह भी बताता हूँ : अगर तुम अंत के दिनों के मसीह का प्रतिरोध करते हो, अगर तुम अंत के दिनों के मसीह को नकारते हो तो कोई भी अन्य तुम्हारे बदले में इसका अंजाम नहीं भुगत सकता है। इतना ही नहीं, उस बिंदु के बाद तुम्हें परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त करने का दूसरा अवसर नहीं मिलेगा; यदि तुम अपने तौर-तरीके सुधारना भी चाहो, तब भी तुम दोबारा कभी परमेश्वर का चेहरा नहीं देख पाओगे। ऐसा इसलिए क्योंकि तुम जिसका प्रतिरोध कर रहे हो वह मानव नहीं है, तुम जिसे अस्वीकार कर रहे हो वह कोई तुच्छ व्यक्ति नहीं है, बल्कि मसीह है। क्या तुम जानते हो कि इसके क्या दुष्परिणाम हैं? तुम कोई छोटी-मोटी गलती नहीं कर रहे हो, बल्कि एक जघन्य पाप कर रहे हो। और इसलिए मैं हर व्यक्ति को सलाह देता हूँ कि सत्य के सामने अपने नुकीले दाँत और पंजे मत दिखाओ या मनमानी आलोचना मत करो, क्योंकि केवल सत्य ही तुम्हें जीवन दिला सकता है, और सत्य के अलावा कुछ भी तुम्हें पुनः जन्म लेने या दोबारा परमेश्वर का चेहरा देखने में सक्षम नहीं बना सकता।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है

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प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

5. पुराने और नए दोनों नियमों के युगों में, परमेश्वर ने इस्राएल में काम किया। प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की कि वह अंतिम दिनों के दौरान लौटेगा, इसलिए जब भी वह लौटता है, तो उसे इस्राएल में आना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, कि वह देह में प्रकट हुआ है और चीन में अपना कार्य कर रहा है। चीन एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित राष्ट्र है। किसी भी (अन्य) देश में परमेश्वर के प्रति इससे अधिक विरोध और ईसाइयों का इससे अधिक उत्पीड़न नहीं है। परमेश्वर की वापसी चीन में कैसे हो सकती है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"क्योंकि उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक जाति-जाति में मेरा नाम महान् है, और हर कहीं मेरे नाम पर धूप और शुद्ध भेंट...

प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

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