223 सत्य के प्रति तुम्हारा रवैया अति महत्वपूर्ण है
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निष्ठा तुम्हारी बस वचनों में है,
तुम्हारा ज्ञान बौद्धिक-वैचारिक है,
तुम्हारे श्रम हैं सारे, पाने को आशीष स्वर्ग के।
तो कैसा है विश्वास तुम्हारा?
आज भी करते तुम अनसुना सत्य के हर वचन को।
जो ईश्वर में विश्वास करते चमत्कारों के
कारण वे अवश्य ही नष्ट हो जाएंगे।
जो फिर देह बने यीशु के वचनों को स्वीकार नहीं सकते,
वह यकीनन है संतान नरक की, वंशज प्रधान दूत के,
जो हैं अधीन अनंत विनाश के।
2
तुम ना जानो ईश्वर क्या है, तुम न जानो मसीह क्या है,
कैसे करें आदर यहोवा का, या आत्मा के कार्य में प्रवेश।
तुम न बता सकते फर्क ईश्वर के कार्यों और इंसानी छल में,
पर निंदा करते ईश्वर के सत्यों की, जो अलग है तुम्हारी अपनी सोच से।
कहाँ है तुम्हारी नम्रता? तुम्हारा आज्ञा-पालन और निष्ठा?
तुम्हारी सत्य की चाह? तुम्हारी ईश्वर-श्रद्धा?
जो ईश्वर में विश्वास करते चमत्कारों के
कारण वे अवश्य ही नष्ट हो जाएंगे।
जो फिर देह बने यीशु के वचनों को स्वीकार नहीं सकते,
वह यकीनन है संतान नरक की, वंशज प्रधान दूत के,
जो हैं अधीन अनंत विनाश के।
जो ईश्वर में विश्वास करते चमत्कारों के
कारण वे अवश्य ही नष्ट हो जाएंगे।
जो फिर देह बने यीशु के वचनों को स्वीकार नहीं सकते,
वह यकीनन है संतान नरक की, वंशज प्रधान दूत के,
जो हैं अधीन अनंत विनाश के, विनाश के।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा से रूपांतरित