222 तुम लोगों को सत्य स्वीकार करने वाला बनना चाहिए
1
यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है,
जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं,
पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं,
यह दंडाज्ञा का संकेत है।
तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए,
और पवित्र आत्मा के खिलाफ निंदा नहीं करनी चाहिए
और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए।
तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए,
बल्कि ऐसा बनना चाहिए जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के प्रति समर्पण करता हो
और सत्य के लिए लालायित होकर इसकी खोज करता हो;
सिर्फ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे।
2
मैं तुम लोगों को परमेश्वर में विश्वास के रास्ते पर सावधानी से चलने की सलाह देता हूँ।
निष्कर्ष पर पहुँचने की जल्दी में न रहो;
और परमेश्वर में अपने विश्वास में लापरवाह और विचारहीन न बनो।
तुम लोगों को जानना चाहिए कि कम से कम,
जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं उनके पास विनम्र और परमेश्वर का भय मानने वाला हृदय होना चाहिए।
जिन्होंने सत्य सुन लिया है
और फिर भी इस पर अपनी नाक-भौंह सिकोड़ते हैं, वे मूर्ख और अज्ञानी हैं।
जिन्होंने सत्य सुन लिया है
और फिर भी लापरवाही के साथ निष्कर्षों तक पहुँचते हैं या उसकी निंदा करते हैं,
ऐसे लोग अभिमान से घिरे हैं।
जो भी यीशु पर विश्वास करता है वह दूसरों को शाप देने या निंदा करने के योग्य नहीं है।
तुम सब लोगों को ऐसा व्यक्ति होना चाहिए, जो समझदार है और सत्य स्वीकार करता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को फिर से बना चुका होगा