220 विश्वासियों को ध्यान से ईश्वर के पदचिह्नों का अनुसरण करना ही चाहिए
क्यूँकि रखे इंसान ईश्वर में आस्था, उसे चलना चाहिए ध्यान से उसके पीछे।
1
पवित्र आत्मा का कार्य निकाले उन्हें जो सिद्धांतों के गुलाम हैं।
हर युग में ईश्वर नया काम करे, इंसानों के बीच नई शुरुआत करे।
अगर इंसान एक ही युग के इन सत्यों को मानेगा
कि "यहोवा ईश्वर है" और "यीशु मसीह है,"
तो पवित्रात्मा के काम के संग चल न सकेगा, न कभी उसे हासिल करेगा।
क्यूँकि रखे इंसान ईश्वर में आस्था, उसे चलना चाहिए ध्यान से उसके पीछे।
कदम-दर-कदम ईश्वर के पीछे चले, "जहाँ मेमना जाए, वहीं जाए।"
ये ही लोग सच्चा मार्ग खोजें, ये ही लोग जानें पवित्रात्मा के काम को।
जो अंत तक मेमने का अनुसरण करें वे ही अंतिम आशीष पाएँ।
2
जो अंत तक अनुसरण न करें, या पवित्र आत्मा के काम संग न चलें,
जो पुराने काम से चिपके रहें वे ईश्वर के प्रति वफ़ादार न रह पाएँ।
वे ईश्वर-विरोधी बनकर, नये युग द्वारा नकारे जाएँ, वे सभी अंत में सज़ा पाएँ।
इनसे ज़्यादा दयनीय और कौन हो सके।
क्यूँकि रखे इंसान ईश्वर में आस्था, उसे चलना चाहिए ध्यान से उसके पीछे।
कदम-दर-कदम ईश्वर के पीछे चले, "जहाँ मेमना जाए, वहीं जाए।"
ये ही लोग सच्चा मार्ग खोजें, ये ही लोग जानें पवित्रात्मा के काम को।
जो अंत तक मेमने का अनुसरण करें वे ही अंतिम आशीष पाएँ।
3
जो हूबहू व्यवस्था से चिपके रहें व्यवस्था के प्रति अधिक वफ़ा दिखाएँ,
वे विद्रोही उतना ही ईश्वर का विरोध करें।
अब व्यवस्था का नहीं, राज्य का युग है।
पहले किए गए काम के बराबर न रखा जा सके आज के काम को;
पिछले की तुलना न हो आज के काम से।
ईश-कार्य बदला है, इंसान का अभ्यास भी बदला है;
ये व्यवस्था-पालन या क्रूस धारण करना नहीं है।
इनके प्रति इंसान की वफ़ा को नहीं मिलेगी ईश्वर की स्वीकृति।
क्यूँकि रखे इंसान ईश्वर में आस्था, उसे चलना चाहिए ध्यान से उसके पीछे।
कदम-दर-कदम ईश्वर के पीछे चले, "जहाँ मेमना जाए, वहीं जाए।"
ये ही लोग सच्चा मार्ग खोजें, ये ही लोग जानें पवित्रात्मा के काम को।
जो अंत तक मेमने का अनुसरण करें वे ही अंतिम आशीष पाएँ।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास से रूपांतरित