प्रश्न 2: बाइबल के सत्य पहले ही पूर्ण हैं। परमेश्वर में हमारी आस्था के लिए हमारे पास बाइबल का होना काफी है।हमें और कोई नये वचन नहीं चाहिए!

उत्तर: बाइबल में दर्ज सामग्री सीमित मात्रा में है। पुराने नियम में सिर्फ यहोवा परमेश्वर के कार्य को दर्ज किया गया, जबकि नये नियम में प्रभु यीशु के कार्य को दर्ज किया गया। लेकिन परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के बारे में, बाइबल में सिर्फ भविष्यवाणियाँ है बाइबल में सटीक विवरण दर्ज नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य न्याय का कार्य है, यह बाइबल से बाहर का नया कार्य है। परमेश्वर सत्य व्यक्त करते हैं, और ब्रह्मांड की तमाम चीज़ों के शासक हैं। उनकी समृद्धि कभी ख़त्म नहीं हो सकती और हमेशा पोषित करती रहती है। इस सृष्टि का कोई भी जीव उनकी थाह नहीं पा सकता। इसलिए, बाइबल की विषयवस्तु परमेश्वर के सभी कार्यों को पूरी तरह से नहीं समझा सकती। आइए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के एक अंश को पढ़ें! सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "बाइबिल में दर्ज की गई चीज़ें सीमित हैं; वे परमेश्वर के संपूर्ण कार्य का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकतीं। सुसमाचार की चारों पुस्तकों में कुल मिलाकर एक सौ से भी कम अध्याय हैं, जिनमें एक सीमित संख्या में घटनाएँ लिखी हैं, जैसे यीशु का अंजीर के वृक्ष को शाप देना, पतरस का तीन बार प्रभु को नकारना, सलीब पर चढ़ाए जाने और पुनरुत्थान के बाद यीशु का चेलों को दर्शन देना, उपवास के बारे में शिक्षा, प्रार्थना के बारे में शिक्षा, तलाक के बारे में शिक्षा, यीशु का जन्म और वंशावली, यीशु द्वारा चेलों की नियुक्ति, इत्यादि। फिर भी मनुष्य इन्हें ख़ज़ाने जैसा महत्व देता है, यहाँ तक कि उनसे आज के काम की जाँच तक करता है। यहाँ तक कि वे यह भी विश्वास करते हैं कि यीशु ने अपने जीवनकाल में सिर्फ इतना ही कार्य किया, मानो परमेश्वर केवल इतना ही कर सकता है, इससे अधिक नहीं। क्या यह बेतुका नहीं है?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, देहधारण का रहस्य (1))। "बाइबल की इस वास्तविकता को कोई नहीं जानता कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख और उसके कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और इससे तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ हासिल नहीं होती। बाइबल पढ़ने वाला हर व्यक्ति जानता है कि यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य के दो चरणों को लिखित रूप में प्रस्तुत करता है। पुराने नियम सृष्टि के समय से लेकर व्यवस्था के युग के अंत तक इस्राएल के इतिहास और यहोवा के कार्य को लिपिबद्ध करता है। पृथ्वी पर यीशु के कार्य को, जो चार सुसमाचारों में है, और पौलुस के कार्य नए नियम में दर्ज किए गए हैं; क्या ये ऐतिहासिक अभिलेख नहीं हैं? अतीत की चीज़ों को आज सामने लाना उन्हें इतिहास बना देता है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितनी सच्ची और यथार्थ हैं, वे हैं तो इतिहास ही—और इतिहास वर्तमान को संबोधित नहीं कर सकता, क्योंकि परमेश्वर पीछे मुड़कर इतिहास नहीं देखता! तो यदि तुम केवल बाइबल को समझते हो और परमेश्वर आज जो कार्य करना चाहता है, उसके बारे में कुछ नहीं समझते और यदि तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, किन्तु पवित्र आत्मा के कार्य की खोज नहीं करते, तो तुम्हें पता ही नहीं कि परमेश्वर को खोजने का क्या अर्थ है। यदि तुम इस्राएल के इतिहास का अध्ययन करने के लिए, परमेश्वर द्वारा समस्त लोकों और पृथ्वी की सृष्टि के इतिहास की खोज करने के लिए बाइबल पढ़ते हो, तो तुम परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते। किन्तु आज, चूँकि तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो और जीवन का अनुसरण करते हो, चूँकि तुम परमेश्वर के ज्ञान का अनुसरण करते हो और मृत पत्रों और सिद्धांतों या इतिहास की समझ का अनुसरण नहीं करते हो, इसलिए तुम्हें परमेश्वर की आज की इच्छा को खोजना चाहिए और पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा की तलाश करनी चाहिए। यदि तुम पुरातत्ववेत्ता होते तो तुम बाइबल पढ़ सकते थे—लेकिन तुम नहीं हो, तुम उनमें से एक हो जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं। अच्छा होगा तुम परमेश्वर की आज की इच्छा की खोज करो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (4))

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन से हम यह समझ सकते हैं कि बाइबल परमेश्वर के पुराने कार्य का ऐतहासिक दस्तावेज़ है और मनुष्य को नहीं बचा सकती। बाइबल की परमेश्वर से बिल्कुल भी बराबरी नहीं की जा सकती। परमेश्वर सजीव जीवन जल का स्रोत हैं; उनके वचनों और कथनों का कोई अंत नहीं होता, उनका बहाव बंद नहीं होता, जबकि बाइबल में जो दर्ज है, वह बहुत सीमित मात्रा में है। यह एक ऐसा तथ्य है जिसको कोई नकार नहीं सकता। भाइयो और बहनो, परमेश्वर हमेशा नये होते हैं और कभी पुराने नहीं पड़ते। वे हर युग में नया कार्य करते हैं और नये वचन व्यक्त करते हैं। अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु ने नया कार्य किया और नये वचन व्यक्त किये, लेकिन उस वक्त के यहूदी पादरियों और फरीसियों ने पुराने नियम को पकड़े रखा और न सिर्फ प्रभु यीशु के कार्य को ठुकराया और उसकी निंदा की बल्कि उन्होंने उन्हें सूली पर भी चढ़ा दिया और एक भयंकर हैवानी पाप किया। अब, अंत के दिनों के मसीह—सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने सभी सत्य व्यक्त किये हैं, जो मानवजाति को बचाते और उसको शुद्ध करते हैं, जो बाइबल में बिल्कुल भी दर्ज नहीं हैं। चूंकि वे दर्ज नहीं हैं, इसलिए बाइबल परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य और उनके वचनों की नुमाइंदगी नहीं कर सकती। हम बाइबल से जुड़े नहीं रह सकते। हमें परमेश्वर की मौजूदा इच्छा और पवित्र आत्मा के कार्य को खोजना होगा। सिर्फ वही परमेश्वर की इच्छा के मुताबिक़ होगा। परमेश्वर ने एक बार ये वचन कहे थे, मुझे सबके लिए पढ़ने की इजाज़त दें! "यदि तुमने अनुग्रह के युग के दौरान पुराने विधान को खाया और पीया होता—यदि तुम अनुग्रह के युग के दौरान पुराने विधान के समय में जो अपेक्षित था, उसे व्यवहार में लाए होते—तो यीशु ने तुम्हें अस्वीकार कर दिया होता, और तुम्हारी निंदा की होती; यदि तुमने पुराने विधान को यीशु के कार्य में लागू किया होता, तो तुम एक फरीसी होते। यदि आज तुम पुराने और नए विधान को खाने और पीने के लिए एक-साथ रखोगे और अभ्यास करोगे, तो आज का परमेश्वर तुम्हारी निंदा करेगा; तुम पवित्र आत्मा के आज के कार्य में पिछड़ गए होगे! यदि तुम पुराने विधान और नए विधान को खाते और पीते हो, तो तुम पवित्र आत्मा की धारा के बाहर हो!" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन हमें बताते हैं कि अगर हम अनुग्रह के युग में पुराने नियम से चिपके रहते, तो प्रभु यीशु ने हमारी तारीफ़ न की होती, हमें परमेश्वर का अनुग्रह न मिला होता और मनुष्य का छुटकारा न हुआ होता, और यही नहीं, परमेश्वर के हमें छुटकारा दिलाने के बाद हम शांति और आनंद का अनुभव नहीं कर पाये होते। आज, सर्वशक्तिमान परमेश्वर आ चुके हैं। अगर हम अभी भी बाइबल के पुराने और नये नियमों के साथ जुड़े रहेंगे, तब हमें परमेश्वर की सराहना नहीं मिल पायेगी और यही नहीं, हमें परमेश्वर का अंत के दिनों का उद्धार भी नहीं मिल पायेगा!

"बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 1: मैंने बीस साल से भी ज़्यादा तक बाइबल का अध्ययन किया है। मैं यकीन से कह सकती हूँ कि बाइबल के बाहर परमेश्वर के कोई वचन नहीं हैं। परमेश्वर के सारे वचन बाइबल में हैं। बाइबल से भटकनेवाली कोई भी चीज़ धर्म के विरुद्ध है और भ्रम फैलानेवाली है!

अगला: प्रश्न 3: प्रभु यीशु ने खुद कहा था कि बाइबल उनकी गवाही है। इसीलिए प्रभु में हमारी आस्था की बुनियाद बाइबल ही होनी चाहिए। प्रभु को जानने का हमारा एकमात्र मार्ग बाइबल ही है।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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प्रश्न: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

उत्तर: हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। प्रभु यीशु में विश्वास...

प्रश्न 1: सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है," तो मुझे वह याद आया जो प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा" (यूहन्ना 4:14)। हम पहले से ही जानते हैं कि प्रभु यीशु जीवन के सजीव जल का स्रोत हैं, और अनन्‍त जीवन का मार्ग हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर और प्रभु यीशु समान स्रोत हों? क्या उनके कार्य और वचन दोनों पवित्र आत्मा के कार्य और वचन हैं? क्या उनका कार्य एक ही परमेश्‍वर करते हैं?

उत्तर: दोनों बार जब परमेश्‍वर ने देह धारण की तो अपने कार्य में, उन्होंने यह गवाही दी कि वे सत्‍य, मार्ग, जीवन और अनन्‍त जीवन के मार्ग हैं।...

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